26-Apr-2024

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शादी के बाहर संबंध में महिला को सजा क्यों नहीं, सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

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अन्यगमन (एडल्टरी) के कृत्य में विवाहित महिला के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट इस सवाल पर सुनवाई करेगा। सर्वाेच्च अदालत ने आईपीसी की एडल्टरी की धारा 497 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा संविधान महिला और पुरुष दोनों को बराबर मानता है तो आपराधिक केसों में ये असमानता क्यों? कोर्ट ने कहा कि जीवन के हर पहलू में महिलाओं को पुरुषों के समान माना गया है तो इस मामले में अलग से बर्ताव कैसे हो रहा है।  वह भी तब जब अपराध महिला और पुरुष दोनों की सहमति के साथ किया गया हो तो महिला को कानून से संरक्षण क्यों दिया गया है। यह संविधान के अनुच्छेद 15 (लिंग, धर्म और जाति के आधार पर बराबरी न देना) उल्लंघन लगता है।

गौरतलब है कि आईपीसी की धारा 497 एक विवाहित महिला को संरक्षण देता है भले ही उसके दूसरे पुरुष से संबंध हों। इस कृत्य में महिला को पीड़ित ही माना जाता है, भले ही अपराध को महिला और पुरुष दोनों ने किया हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान की वैधता पर सुनवाई की जाएगी। किसी भी आपराधिक मामले में महिला के साथ अलग से बर्ताव नहीं किया जा सकता जब दूसरे अपरों में लैंगिक भेदभाव नहीं होता तो इसमें क्यों। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह भी अजीब है कि यह अपराध तब अपराध नहीं माना जाएगा जब  इसके लिए पति स्वीक़ृति दे दे। सवाल यह है कि क्या महिला एक वस्तु है।

केरल के सामाजिक कार्यकर्ता जोसफ साइन ने वकील कालेश्वरम के जरिये दायर याचिका में धारा 497 की वैधता को चुनौती दी है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों (1954 और 1985) में इस धारा को वैध घोषित किया गया था और संसद को कानून में संशोधन करने की छूट दी गई थी। उन्होंने कहा कि संसद ने इस बारे में अब तक कुछ नहीं किया है।

साभार- लाइव हिन्‍दुस्‍तान
धारा 497, एडल्टरी :

जो भी व्यक्ति पति की सहमति या उसकी मिलीभगत के बिना उसकी स्त्री के साथ संबंध बनाता है तो यह रेप के समान नहीं होगा लेकिन वह एडल्टरी के अपराध का दोषी होगा। ऐसे मामलों में पत्नी को उकसाने के कृत्य में ही दंडित किया जाएगा। धारा 497 के तहत दोषी करार दिए जाने पर दोषी को पांच साल तक की सजा और जुर्माना दोनों किए जा सकते हैं।  यह गैरजमानती और गैरमाफी योग्य है।

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