Publish Date:09-Dec-2016 18:56:50
राजकाज न्यूज, भोपाल
राज्य की दलित आईएएस के निलंबन मामले ने तूल पकड़ लिया है। आईएएस शशि कर्णावत के अन्न-जल त्याग आंदोलन को तीन दिन पूरे हाे गये। जहां एक ओर उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है, वहीं दूसरी ओर कर्णावत द्वारा राज्य शासन के खिलाफ की जा रही बयानबाजी के कारण राज्य सरकार भी अपना पक्ष रखने के लिए मजबूर हो गयी है।
शुक्रवार को जीएडी राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने मीडिया को बुलाकर राज्य सरकार की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि कर्णावत जिस तरह से राज्य सरकार के विरूद्ध बयानबाजी कर रही है, वह कानून एवं संविधान के विरूद्ध है। इधर कांग्रेस ने शशि कर्णावत की बर्खास्तगी को राजनीतिक आंतकवाद की श्रेणी में रखते हुए इसे दलित वर्ग पर दबाव निरूपित किया है। यहां बता दें कि कांग्रेस का बर्खास्तगी का आरोप ठीक नहीं है, क्योंकि मामला हाई कोर्ट में लंबित है, इसलिए अभी इस संबंध में केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशासन मंत्रालय कोई भी स्वीकृति नहीं दे सकता। यह सही है कि राज्य की ओर से उनकी बर्खास्तगी के संबंध में पत्र लिखा गया है।
राज्य मंत्री आर्य ने शुक्रवार दोपहर को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कर्णावत राज्य सरकार को नियम विरूद्ध कटघरे में खड़ा कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान में वर्गभेद का कोई स्थान नहीं है। इसके बाद भी सुश्री कर्णावत जिस प्रकार से आरोप लगा रही है, वह ठीक नहीं है। राज्य सरकार ने सुश्री कर्णावत को डीई के दौरान भी निलंबित नहीं किया था। उन्हें जब कोर्ट के निर्णय के बाद निलंबित किया गया, तब 50 प्रतिशत जीवन-निर्वाह भत्ता दिया गया। जब उन्होंने इसे अपर्याप्त बताया तो इसे बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया। अब जबकि अदालत ने उन्हें ईओडब्ल्यू की जांच के बाद दोषी पाया है, और जेल में निरूद्ध करने के आदेश पर स्टे मिलने पर केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय से पत्रचार किया जा रहा है। यूपीएस-सी से अनुमोदन मिलने पर यह पत्रचार किया जा रहा है। अभी इस संबंध में कार्रवाही लंबित रखी गयी है, क्योंकि मामला अदालत में है। आर्य ने यह भी कहा कि अभी बर्खास्तगी का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। अार्य से जब पूछा गया कि क्या सुश्री कर्णावत ने अनशन की सूचना शासन को दी है, तो उन्होंने कहा- नहीं।
दलित आईएएस अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए सरकार ले रही है राजनैतिक आतंकवाद का सहारा: के.के. मिश्रा
इधर कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति में प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने दलित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे के स्थानांतरण और महिला दलित आईएएस शशि कर्णावत की बर्खास्तगी को लेकर की गई सरकारी कवायद को राजनैतिक आतंकवाद का सहारा लेकर समूचे दलित वर्ग पर दबाव बनाने का अक्षम्य राजनैतिक अपराध निरूपित किया है।
मिश्रा ने कहा कि मंत्रालय में पदस्थ कतिपय कृपापात्र नौकरशाह दलित वर्ग व इससे जुड़े अधिकारियों को डराने, उनका मंुह बंद करने तथा उनके मन में भय व्याप्त करने के नापाक उद्देश्यों से इस तरह की षड्यंत्रपूर्वक कार्यवाही को अंजाम दे रहे हैं। एक ओर राज्य सरकार व भ्रष्टाचार को कानून से शासित करने वाली राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो और लोकायुक्त संगठन जैसी एजेंसियां राजनैतिक दबाव/ हस्तक्षेप के कारण भ्रष्ट राजनेताओं, मंत्रियों और नौकरशाहों को क्लीनचीट देने का महाअभियान जारी किये हुए हैं, वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले इन दलित अधिकारियों पर राज्य सरकार बेरहम हो रही है। जितनी तत्परता राज्य सरकार ने थेटे और कर्णावत को लेकर दिखाई है, उतनी तत्परता राज्य सरकार में शामिल कई भ्रष्ट मंत्रियों व अन्य भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के रूप में सामने क्यों नहीं दिखाई दे रही है? संभवतः इसलिए कि वे या तो दलित नहीं है, भ्रष्टाचार के माध्यम से कमाई गई अकूत संपत्ति के कारण वे प्रभावी राजनेताओं को अपनी उंगलियां पर नचाते है या उन्हें भाजपा अथवा आरएसएस के वरिष्ठतम नेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त है?
मिश्रा ने एक ओर थेटे के स्थानांतरण को अनुचित बताते हुए उसे निरस्त करने की जहां मांग की है, वहीं यह भी कहा है कि जब कर्णावत का मामला अभी न्यायालय में लंबित है, तो ऐसी स्थिति में उनके विरूद्व उनकी बर्खास्तगी को लेकर दिखाई जा रही तत्परता के माध्यम से सरकार कैसा और किन्हें संदेश देना चाहती है, स्पष्ट होना चाहिए।
अन्य विज्ञप्ति में दलित आदिवासी फोरम ने बताया कि दिनांक 10 दिसम्बर को सुबह 11ः30 बजे करोड़ों दलितों को मानवीय अधिकार दिलाने वाले डाॅ. बाबा साहब अम्बेडकर जी की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण एवं वंदना का कार्यक्रम संस्था के अध्यक्ष डाॅ. मोहनलाल पाटील की उपस्थिति में रखा गया है। इस अवसर पर डाॅ. शशि कर्णावत आई.ए.एस. प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगी। उक्त कार्यक्रम बोर्ड आॅफिस चैराहा पर रखा गया है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में डाॅ. बाबा साहब के अनुयायी उपस्थित रहेंगे।