28-Apr-2024

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सीएम डॉ. यादव से निराश कर्मचारियों ने 15 मार्च को डी.ए. की मांग को लेकर लिया प्रदर्शन का निर्णय

उमाशंकर तिवारी को एमपी अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा भोपाल के अध्यक्ष पद की मिली जिम्मेदारी

भोपाल, मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों को उम्‍मीद थी कि आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में उनकी 8 प्रतिशत मं‍हगाई भत्‍तें की मांग पूरी हो जाएगी, लेकिन बैठक में इस संबंध में कोई निर्णय नहीं होने पर कर्मचारी वर्ग में निराशा का भाव आ गया है। यही वजह है कि प्रदेश के 52 संगठनों का प्रतिनिधित्‍व करने वाले मध्‍यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चे ने 15 मार्च को दोपहर 1 बजे राज्‍य मंत्रालय पर प्रदर्शन का निर्णय लिया है।

इस मोर्चे ने हाल ही में अपनी भोपाल इकाई में कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी को अध्‍यक्ष बनाया है। उन्‍होंने भी अध्‍यक्ष बनते ही राज्‍य सरकार के खिलाफ आंदोलन की घोषणा कर दी है। 

राज्‍य मंत्रालय के अधिकारी और कर्मचारी भी निराश

मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्‍यक्ष सुधीर नायक एवं कार्यकारी अध्‍यक्ष राजकुमार पटेल ने एक बयान में कहा है कि आज की कैबिनेट में भी मध्यप्रदेश के 07 लाख अधिकारियों कर्मचारियों के लंबित 8 प्रतिशत मंहगाई भत्ते के संबंध में कोई निर्णय न होने से कर्मचारी जगत में घोर निराशा व्याप्त है। विगत 08 वर्ष से पदोन्नतियां बंद होने से कर्मचारी अधिकारी पहले से ही निराशा से भरे हुए हैं उसके बाद मंहगाई भत्ता की दो - दो किश्तें ड्यू हो जाने से निराशा और क्षोभ बढ़ गया है। पिछले कुछ समय से दैनिक उपयोग की उपभोक्ताओं वस्तुओं का अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 14 अंकों की वृद्धि हुई है। इस तथ्य को शासन की ही एजेंसी श्रमायुक्त ने स्वीकार किया है और उसी आधार पर श्रमिकों के पारिश्रमिक में अभी 13/03/2024 को वृद्धि की गयी है।

यह विचारणीय है कि 4% मंहगाई भत्ता स्वीकृत करने का निर्णय तो विधानसभा चुनाव के पूर्व ही ले लिया गया था और उसका प्रस्ताव निर्वाचन आयोग को भेजा गया था। तत्समय निर्वाचन आयोग की सहमति न मिल पाने के कारण उक्त 4% मंहगाई भत्ता स्वीकृत नहीं हो पाया था। चूंकि उक्त 4% मंहगाई भत्ता स्वीकृत करने का निर्णय पूर्व में ही हो चुका है अतएव 4% का आदेश जारी करने में तो कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।
 यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की किश्त घोषित होते ही राज्य शासन में पदस्थ अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को तत्काल मंहगाई भत्ता स्वीकृत कर दिया जाता है।दूसरी ओर राज्य शासन के अधिकारियों कर्मचारियों को इंतजार करने के लिए कहा जाता है।यह सच है कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की सेवा शर्तें पृथक हैं लेकिन नैतिकता की दृष्टि से देखें तो सर्वोच्च अधिकारियों को मंहगाई भत्ता स्वीकृत करना और अधीनस्थ अधिकारियों कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता को लंबित रखना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता। मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि वे लंबित मंहगाई भत्ते के आदेश लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने के पूर्व ही जारी करने के निर्देश प्रदान करें।
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