हिंदी के महान कवि हरिवंश राय बच्चन की एक मशहूर कविता है 'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'। मतलब, इंसान अगर कुछ भी करने की ठान ले तो उसे सफलता जरूर मिलती है। हां, इसमें थोड़ी देर जरूर हो सकती है लेकिन मेहनत बेकार नहीं जाती। कुछ ऐसा ही हुआ है मध्य प्रदेश के नीमच की रहने वाली 24 वर्षीय आंचल गंगवाल के साथ। आंचल ने अपनी कड़ी मेहनत से एयर फोर्स कॉमन ए़डमिशन टेस्ट पास कर लिया है। उनका चयन वायुसेना के फ्लाइंग ब्रांच में हुआ है। वह अब वायुसेना का फाइटर प्लेन उड़ाएंगी।
बताते चलें कि आंचल के पिता चाय बेचने का काम करते हैं। वह अपनी बेटी की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे। आंचल के पूरे परिवार में खुशी की लहर है। उनके पिता ने अपनी बेटी की इस सफलता पर उसे मिठाई खिलाई और भगवान का शुक्रिया अदा किया।
आंचल का कहना है कि वह उत्तराखंड में 2013 में आई आपदा के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए बचाव अभियान से काफी प्रेरित थीं और उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने भी भारतीय सेना में जाने का मन बना लिया था।
पत्रकारों से बातचीत में आंचल ने कहा, 'जब मैं 12वीं क्लास में थी, तब उत्तराखंड में भयानक बाढ़ आई थी और इस दौरान भारतीय सशस्त्र बलों के रेस्क्यू ऑपरेशन को देखकर मैं काफी प्रभावित हुई थी और तभी मैंने सेना में जाने का निर्णय कर लिया था। लेकिन उस समय मेरे आर्थिक हालात सही नहीं थे'।
आंचल कई सालों से लगातार मेहनत कर रही थीं। उन्होंने इससे पहले 5 बार इंटरव्यू दिया था, लेकिन वह हर बार फेल हो गईं। हालांकि लगातार मिलती असफलता से उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार छठी बार उन्होंने इंटरव्यू पास कर ही लिया। बता दें कि इस परीक्षा के नतीजों की घोषणा 7 जून को की गई थी। इस परीक्षा में देशभर से कुल 22 कैंडिडेट्स का सेलेक्शन हुआ है और आंचल उनमें से एक हैं।
आंचल के पिता सुरेश गंगवाल का नीमच बस स्टैंड के पास ही चाय की एक छोटी सी दुकान है। उन्होंने कहा कि आसपास के इलाके के सभी लोग मेरे 'नामदेव टी स्टॉल' के बारे में जानते हैं और मैं काफी गौरवान्वित महससू कर रहा हूं जब लोग मुझे मेरी बेटी की सफलता पर धन्यवाद दे रहे हैं।
साभार- अमर उजाला