26-Apr-2024

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हड़ताल की पूर्व संध्या पर बैंक कर्मियों का प्रभावी प्रदर्शन

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22 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल

भोपाल। आॅल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन एवं बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन आॅफ इंडिया के आह्वान पर देशभर के करीब 5 लाख बैंक कर्मी ”बैंकों के विलय“ के विरोध में 22 अक्टूबर 2019 को ”राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल“ में भाग लेंगे। हड़ताली बैंक कर्मियों की माँग है कि- ”बैंकों के विलय को रोका जाए, जन-विरोधी बैंकिंग सुधारों को रोका जाए, खराब ऋणों की वसूली सुनिश्चित कर ऋण चूककर्ताओं पर कड़ी कार्यवाही की जाए, दण्डात्मक शुल्क लगाकर ग्राहकों को प्रताड़ित न किया जाए, सेवा शुल्कों में वृद्धि न की जाए, जमा राशियों पर ब्याज दर बढ़ाई जाए, नौकरी एवं नौकरियों की सुरक्षा पर हमले रोके जाएँ, सभी बैकों में समुचित भर्ती की जाए“ आदि।
राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल की पूर्व संध्या पर विभिन्न बैंकों के सैकड़ों बैंक कर्मचारी आज शाम 5ः45 बजे ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स, रीजनल आॅफिस, प्रेस काम्पलेक्स, भोपाल के सामने एकत्रित हुए, उन्होंने अपनी माँगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। तत्पश्चात एक सभा हुई, जिसे विभिन्न बैंकवाईज संगठनों एवं बैंक कर्मचारी संगठनों के नेताओं साथी वी.के. शर्मा, संजय कुदेशिया, नज़ीर कुरैशी, जे.पी. झवर, एम.जी. शिन्दे, एम.एस. जयशंकर, आर.के. हीरा, प्रभात खरे, जे.पी. दुबे, अशोक पंचोली, बाबूलाल राठौर, सी.एस. शर्मा, देवेन्द्र खरे, जे.डी. मलिक, किसन खैराजानी, मंगेश दवांडे, सतीश चैबे, सत्येन्द्र चैरसिया, श्याम रैनवाल आदि ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने बताया कि हाल ही में देश की वित्त मंत्री द्वारा दस सरकारी क्षेत्र के बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है। यानि कि 6 सरकारी क्षेत्र के बैंकों को बन्द कर उन्हें चार सरकारी क्षेत्र के बैंकों के साथ विलय कर दिया जावेगा। इसके तहत् ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स एवं यूनाईटेड बैंक आॅफ इंडिया का पंजाब नैशनल बैंक में, कार्पोरेशन बैंक एवं आन्ध्रा बैंक का यूनियन बैंक आॅफ इंडिया में, सिन्डिकेट बैंक का कैनरा बैंक में तथा इलाहाबाद बैंक का इन्डियन बैंक में विलय कर दिया जावेगा। सरकार इसे विलय कह सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि 6 बैंकों की नृशंस हत्या है, क्योंकि विलय के पश्चात ये 6 बैंक जिन्हें बनने में वर्षों लगे हैं, बैंकिंग के परिदृश्य से लुप्त हो जावेंगे। सरकार का यह कदम जन एवं श्रम विरोधी आर्थिक और बैंकिंग सुधारों से सम्बन्धित एजेण्डा का हिस्सा है। प्रस्तावित विलय बैंकों के निजीकरण करने के प्रयासों की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है। इसका पुरजोर विरोध करने की जरूरत है। विलय की यह सारी कवायद विशाल खाराब ऋणों को बड़ी बैलेन्स शीट की आड़ में छुपाने का एक बहाना मात्र है। यह हम सबके लिए चिंता का विषय है कि कार्पोरेट ऋण चूककर्ताओं को प्रदाय की जा रही राहतें, कटौती, छूट और राईट-आॅफ का सारा बोझ बैंक के साधारण ग्राहक के कन्धों पर दण्डात्मक शुल्क और बढ़े हुए सेवा प्रभारों के रूप में थोपा जा रहा है। अतः खराब ऋणों के लिए हमारी लड़ाई बैंकों के विलय व निजीकरण के विरूद्ध हमारे संघर्ष का ही हिस्सा है। यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है कि बैंकों के विलय के परिणामस्वरूप बहुत बड़ी संख्या में शाखायें बंद होंगी। जिसकी वजह से एक ओर इन शाखाओं के माध्यम से आम जनता को जो बैंकिंग सेवायें मिल रही थी, उन्हें इनसे वंचित होना पड़ेगा, वही दूसरी ओर कर्मचारियों की अधिकता हो जाएगी और कर्मचारी बेकार होंगे जो कि हमारी नौकरियों व नौकरी की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न करेगा। यदि आम जन तक बैंकिंग सेवायें पहुँचाना है तो बैंकों के विलय की नहीं बल्कि विस्तार की आवश्यकता है। वक्ताओं ने समस्त बैंक कर्मियों से बैंकों के विलय के विरोध में कल 22.10.2019 को होने जा रही राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल को सफल बनाने की अपील की है।
विभिन्न बैंक कर्मचारी संगठनों के नेताओं- साथी वी.के. शर्मा, संजय कुदेशिया, नज़ीर कुरैशी, जे.पी. झवर, एम.जी. शिन्दे, एम.एस. जयशंकर, गुणशेखरन, आर.के. हीरा, प्रभात खरे, जे.पी. दुबे, अशोक पंचोली, बाबूलाल राठौर, सी.एस. शर्मा, देवेन्द्र खरे, जे.डी. मलिक, किसन खैराजानी, अमोल अचवाल, वैभव गुप्ता, सनी श्रीवास्तव, जी.बी. अणेकर, सत्येन्द्र चैरसिया, मंगेश दवांदे, विश्वामित्र दुबे, विशाल धमेजा, अविनाश धमेजा, योगेश मनूजा, आर.के. निगम, सौरभ पाराशर, रीतेश शर्मा, शैलेन्द्र नरवरे, संजय धान, अशोक मोटवानी, डी.एम. मोटवानी, बी.पी. गौर, आनन्द गोखले, कैलाश माखीजानी, भगवान सिंह अहिरवार, सतीश चैबे, गौरव दुबे, अनिल मरोती, सुनील देसाई, विजय जगन, संदीप तिवारी, मनीष, इमरत रायकवार, एन.जे.एस. तलवार, अनुपम त्रिवेदी, खालिद भाई, गोपाल राठौर, नारायण पवार, एस.के. कुशवाह, श्रीपाद घोटनकर, महेन्द्र गुप्ता, सुदेश कल्याणे, मोहन कल्याणे, भुजेन्द्र भुजन, टी.बी.एस. राजपूत, संदीप दल्वी, अभिषेक सिंह, कृष्णा पाण्डे, नेमा, बी.एस. पुष्पद, विनय नेमा, आर.एस. हथिया, शैलू, उमेश शाक्य, भगवान गोलानी, श्याम रैनवाल, खुशाल टेकवानी, राजेश तोमर, आशा कौशल, प्रियंका गड़वाल, चित्रा बोडके, मधु गुप्ता, दीपा शुक्ला, कीर्ति शर्मा, राजन अय्यर, कोमल शर्मा, अपूर्वा धकाते आदि ने दिनांक 22.10.2019 को होने जा रही राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल, प्रदर्शन, रैली एवं सभा को सफल बनाने की अपील की है।

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