Publish Date:11-Dec-2017 11:55:25
भाईयो ने मिलकर बनाया गिरोह, पूर्व में हुए थे 05 सदस्य गिरफतार
मालवा क्षेत्र से लोन के नाम पर चलाते थे ठगी का नेटवर्क
ठगी के लिए काॅल सेन्टर पर लड़कियों से कराते थे फोन
फर्जी नाम पते की सिम का करते थे इस्तेमाल
साइबर क्राईम भोपाल ने एक ऐसे गिरोह के फरार 02 सदस्यों को पकड़ने में सफलता प्राप्त की है जिनमें से गिरोह के एक सदस्य पर 5000 रूपये का ईनाम घोषित किया गया था ईनामी आरोपी के साथ एक अन्य सहयोगी आरोपी को भी साइबर पुलिस ने गिरफतार किया है। पूर्व में गिरोह के 05 सदस्य गिरफतार किये जा चुके है। यह गिरोह एक काॅल सेंटर के माध्यम से लडकियों के द्वारा लोगो को सस्ते ब्याज दर पर लोन देने का झांसा देकर ठगी करने का कार्य कर रहा था। साइबर पुलिस द्वारा प्रकरण में अब तक कुल 07 आरोपी गिरफतार कर लिये है।
फरियादी शौकत अली निवासी भोपाल द्वारा माह फरवरी 2017 में साइबर क्राइम भोपाल में षिकायत दर्ज कराई गई थी की ज्योती नाम की महिला जो की सुन्दरम फाइनेंस कम्पनी की प्रतिनिधी होने की बात कहती है तथा फोन लगाकर पूछती है कि यदि आपको लोन चाहिए तो कुछ फारमेल्टी पूरी करनी होगी। महिला ने सारी डिटेल फोन पर ले ली और हउंपस ंबबवनदज पर सारी डिटेल भेज दी। इसके बाद फरियादी से बार-बार पैसे लिये गये। काफी पैसे लेने के पश्चात जब फरियादी द्वारा लोन स्वीकृृत होने के संबंध में जानकारी लेनी चाही तो उनके द्वारा मोबाईल फोन बंद कर लिया गया। इसके पश्चात फरियादी शौकत अली द्वारा सायबर क्राईम में षिकायत दर्ज की गई।
साइबर पुलिस द्वारा जाॅच प्रकरण से संबंधित साक्ष्यों के आधार पर यह बात सामने आई की सारंगपुर निवासी संजय शर्मा व उसका छोटा भाई सतीष शर्मा जो पूर्व में गिरफतार हो चुका है, के द्वारा गिरोह संचालित किया जा रहा है। संजय शर्मा के छोटे भाई संतीष शर्मा को गिरोह के अन्य सदस्य के साथ पूर्व में गिरफतार किया जा चुका है। छोटे भाई व गिरोह के अन्य 04 सदस्यों के गिरफतार होते ही संजय शर्मा अपने सहयोगी के साथ फरार चल रहा था। साइबर पुलिस द्वारा संजय शर्मा पर 5000रूपये का ईनाम भी घोषित किया गया था। साइबर पुलिस भोपाल ने गिरोह के मुख्य सरगना संजय शर्मा व उसका सहयोगी आषीष उपाध्याय को साइबर पुलिस ने गिरफतार कर लिया है।
यह गिरोह एक काॅल सेन्टर के नाम पर महिलाओं के द्वारा लोगो से मोबाईल के माध्यम से लोन देने का झांसा देकर एटीएम कार्ड, खातों की जानकारी मांगकर पैसे ऐठ लेते थे । इनके द्वारा कई व्यक्तियों को झांसे में लाकर लाखों की ठगी की गई। इनके द्वारा करीब 40 बैंक खातों व एटीएम के माध्यम से लोगों के पैसे ठग करके जमा कराये गये और अलग-अलग शहरों से एटीएम के माध्यम से निकाल लिये गये। लोन के आवेदकों की पासबुक और एटीएम कार्ड लोन की गारंटी के तौर पर इनके पास जमा कर लिये जाते थे तांकि वो बैंक जाकर अपना बैलेंस चैक न कर पायें।
काॅल सेन्टर का गोरख धंधा - दोनों भाईयों के द्वारा व्यवस्थित रूप से इस ठगी को अंजाम देने के लिए बकायदा काॅल सेन्टर मक्सी व देवास में खोले गये। इनमें दर्जनों लड़कियों को काॅल सेन्टर पर रखा गया। काॅल सेन्टर पर महिलाओं को रखने के कारण उनकी चिकनी चुपड़ी बाते ग्राहकों से करना और उनको झासे में लेना था। काॅल सेन्टर के लिए लड़कियों का सेलेक्षन में रमाकांत और विकास मदद करते थे जो पूर्व में गिरफतार किये जा चुके है। जरूरतमंद लड़िकियों की पहचान करते थे। इस बातचीत का बकायदा प्रषिक्षण दोनों भाईयों द्वारा काॅल सेन्टर की महिलाओं को दिया जाता था। काॅल सेन्टर की लड़कियों को प्रतिमाह वेतन दिया जाता था। लोन के लिए ग्राहक फसाने के बाद पैसा जमा करने पर 100/- रूपये प्रति खातेदार अलग से कमिषन दिया जाता था। काॅल सेन्टर की आधा दर्जन लड़कियों से पूछताछ करने पर इस तथ्य का खुलासा हुआ कि सैकड़ों लोगो को इस ठगी का षिकार बनाया गया है।
सिम रिटेलर और डिस्टीव्यूटर सामिल हैं इस फर्जीवाड़े में मोबाईल/सिम डिस्टीव्यूटर भी संदेह के घेरे में हैं जिनके द्वारा बिना वैरिफिकेषन सिम प्रदाय की गई। बिना व्यक्ति की पहचान सत्यापित किये मय दस्तावेजों का सत्यापन किये बिना इन अपराधियों को किसी अन्य व्यक्तियों के नाम दस्तावेजों पर सिमे प्रदाय की गई है। इन सिम रिटेलर और डिस्टीव्यूटरों के खिलाफ आगे विवेचना में कार्यवाही की जायेगी । सिम रिटेलर द्वारा जान बूझकर अधिक पैसा कमाने के लिए सिम फर्जी ग्राहकों को दी गई। जिसका कोई भी रिर्कोड रिटेलर व डिस्टीव्यूटर द्वारा जानबूझकर अपराध छिपाने के लिए नही रखा गया। रिटेलर द्वारा जिन दस्तावेजों पर सिम प्रदाय की गई उनकी जांच की जा रही है।