भोपाल, अवैध संचालित बाल गृह पर छापामार कार्रवाई के बाद आज संबंधितों पर कार्यवाही की गयी। इस मामले में पाई गई लापरवाही पर सीडीपीओ बृजेन्द्र प्रताप सिंह (वर्तमान पदस्थापना गंजबासौदा) और सुपरवाईजर श्रीमती मंजूषा राज को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही महिला बाल विकास अधिकारी सुनील सोलंकी एवं सहायक संचालक महिला बाल विकास रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
गत दिवस राज्य बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो व सदस्यों ने भोपाल के तारासेवनिया में संयुक्त रूप से एक अवेध संचालित बाल गृह का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि बाल गृह न तो पंजीकृत है न ही मान्यता प्राप्त है। साथ ही यहाँ जो बच्चियाँ रेस्क्यू कर के लाई गई, सीडब्लूसी को उसकी सूचना भी नहीं दी गई न ही अन्य शासकीय प्रक्रियाओं का पालन किया गया। इस पर आयोग द्वारा संस्था के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज कराई गई।
आयोग के निरीक्षण दौरान उपस्थित मिली 41 बच्चियों को प्रशासन द्वारा पंजीकृत बाल गृह में शिफ्ट कर दिया गया है। इसी के साथ कुछ बच्चियों के फॉर्म वहाँ मिले पर वे उपस्थित नहीं मिली उनके संबंध में पूछने पर संस्था द्वारा बताया गया कि बच्चियाँ अपने घर वापस चली गई है, जिसका पुलिस के द्वारा वेरीफाई कराया जा रहा है, 12 बच्चियाँ अपने घरों पर मौजूद मिली शेष बच्चियों का पुलिस के द्वारा वेरिफिकेशन किया जा रहा है। बालिकाओं के ग़ायब हो जाने की जानकारी सही नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, इस बालिका गृह में 68 बच्चियों के रहने की एंट्री मिली है, जबकि मौके पर 41 बच्चियां मौजूद थीं। इस बालिका गृह में गुजरात, झारखंड, राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश के सीहोर, रायसेन, छिंदवाड़ा, बालाघाट के बच्चे थे। ये बालिका गृह भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में संचालित है।
हालांकि इस मामले में पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है और शिवराज सिंह चौहान ने तत्काल कार्रवाई करने की मांग भी की है। इस दौरान बालगृह के अधिकारियों एवं बालगृह में मौजूद बच्चों से बातचीत की जिसमें पता चला कि बालगृह न तो पंजीकृत है और न ही मान्यता प्राप्त है। संलग्न सूची में 68 निवासरत बच्चियां दर्ज थीं औऱ निरीक्षण के दौरान 41 बच्चियां ही मिलीं. सभी बच्चियां बाल कल्याण समिति के आदेश के बिना रह रही हैं।