27-Apr-2024

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बैंक आफ बड़ौदा, देना बैंक व विजया बैंक के विलय के विरूद्ध बैंक अधिकारी-कर्मचारियों का प्रभावी प्रदर्शन

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यूनाईटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन्स, जो कि बैंकिंग उद्योग के शत-प्रतिशत करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों का प्रतिनिधत्व करता है, के आव्हान पर बैंक आफ बड़ौदा, देना बैंक व विजया बैंक के विलय के घोषणा के विरुद्ध प्रदर्शन एवं सभा की गई।


केन्द्र सरकार द्वारा कल 17 सितंबर को बैंक आफ बड़ौदा, देना बैंक व विजया बैंक को मिलाकर एक बैंक बनाने के निर्णय की घोषणा की गई है जो कि अनुचित व निराधार है और युनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स् द्वारा इसका पुरजोर विरोध करता है। आज देश भर में इसके विरूद्ध प्रदर्शन किये गये। आज भारत में बैंकों के विस्तार की आवश्यकता हैं न कि बैंकों के एकीकरण व विलय की। इस बात का कोई प्रमाण नहीं हैं कि विलय से बैंक मजबूत होंगे। 5 सहयोगी बैंकों के एसबीआई में विलय से कोई चमत्कार नहीं हुआ, बल्कि इसकी वजह से शाखाएँ बंद हुई, खराब ऋण बढ़े, स्टाफ में कमी हुई, व्यवसाय में कमी हुई तथा 200 वर्षों में एसबीआई पहली बार घाटे में आई है। 2018 में एसबीआई के खराब ऋण बढ़कर रू. 2,25,000 करोड़ हो गए हैं। अतः विलय से खराब ऋणों की वसूली में कोई मदद नहीं मिलती है।

खराब ऋण बैंकिंग उद्योग की सबसे बड़ी समस्या हैं और इनकी वसूली के लिए सख्त उपाय किए जाने की जरूरत हैं। 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से 19 बैंक एनपीए के लिए प्रावधानों के कारण घाटे में हैं। 21 बैंकों का कुल आपरेटिंग लाभ रू. 155,565 करोड़ है, परंतु लगभग रू. 270,000 करोड़ के प्रावधान खराब ऋणों के लिए करने के पश्चात कुल हानि रू. 85,000 करोड़ हो जाती हैं। आज जब खराब ऋणों की वसूली और विभिन्न स्केम करने वालों के विरूद्ध  कानूनी कार्यवाही करना प्राथमिकता है, तब इन सबसे ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा 3 बैंकों के विलय पर ध्यान लगाया जा रहा हैं। हम सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हैं और माँग करते हैं कि इस निर्णय की पुर्नसमीक्षा व पुर्नविचार किया जाए।

आज 18 सितंबर 2018 को केन्द्र सरकार द्वारा बैंक आॅफ बड़ौदा, देना बैंक, विजया बैंक, के आपसी विलय की घोषणा के विरोध में यूएफबीयू ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने का निर्णय लिया है। इसी तारतम्य में आज शाम 5.45 बजे ओरिएंटल बैंक आॅफ कामर्स रीजनल आफिस प्रेस काम्पलेक्स होशंगाबाद रोड भोपाल के सामने प्रर्दशन एवं सभा का आयोजन किया गया। समस्त बैंक वाइज अधिकारी/ कर्मचारी संगठनों के साथी इसमें शामिल हुए। सभा को साथी संजीव सबलोक, मो. नज़ीर कुरैशी, मदन जैन, संजय कुदेशिया, एम.जी. शिन्दे, अरूण भगोलीवाल, एम.एस. जयशंकर, सुनील सिंह, विनोद सिंह नेगी, जे.पी. झंवर आदि ने सम्बोधित किया।

यूनाईटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन्स म.प्र. की नौ बैंक कर्मचारी-अधिकारी संगठनों के पदाधिकारीगणों साथी मदन जैन, डी.के. पोद्दार, संजीव सबलोक, दीपक रत्न शर्मा, अरविंद मिश्रा, बी.एस. नेगी, सुनील सिंह, राकेश जैन, एम.जी. शिन्दे, राजू जोधानी, रजत मोहन वर्मा, रमेश बुरलावर, हेमन्त मुक्तिबोध, आर.के. हीरा, राकेश भारद्वाज, गुणशेखरन, पंकज सक्सेना, राजेश लाला, सितांशु शेखर, दीपक शुक्ला, प्रभात खरे, अशोक पंचोली, जे.पी. दुबे, अरविन्द मिश्रा, बाबूलाल राठौर, श्रीकांत परांजपे, बी.सी. पौणीकर, सी.एस. शर्मा, जी.बी. अणेकर, किशन खैराजानी, जे.डी. मलिक, प्रभात सक्सेना, शोभित वाडेल, सुभाष बोराना, विजय तोमर, अमित शर्मा, प्रवीण मेधानी, मयंक तिवारी, दीपाली अग्रहरि, श्याम रैनवाल, गोपाल राठौर, संदीप चैबे, दर्शन भाई, प्रभात भटनागर, शंकर भाई, एन.जे.एस. तलवार, जी.पी. चांदवानी, तपन व्यास, आर.के. ठाकुर, रंजीत कुमार, पी.के. ठक्कर, विश्वजीत मिश्रा, मंगेश दवांदे, विजय पाल, संजय वर्मा, रितेश शर्मा, विशाल धमेजा, वैभव गुप्ता, लखन तिलवानी, अविनाश धमेजा, नरेश सधानी, महेश जिज्ञासी, मयंक भाई, संजय धान, शैलेन्द्र नरवरे, इमरत मुन्ना भाई रायकवार, राजेन्द्र भाई, सतीश चैबे, रोहित भाई, गौरव दुबे, बसंत जोशी, अनिल मरोती, नारायण पंवार, कैलाश पतकी, एस.पी. मालवी, मनोज श्रोती, के साथ हजारों बैंक कर्मचारी-अधिकारी इंकलाबी प्रदर्शन एवं सभा में उपस्थित थे। सभा का संचालन जे.पी. दुबे तथा आभार प्रदर्शन बी.सी. पौणीकर ने किया।

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