शुगर और ब्लडप्रेशर के मरीज इस चेतावनी से हो जाएं अलर्ट
Publish Date:13-Sep-2017 03:33:42
शुगर और ब्लडप्रेशर के 40 फीसदी मरीज अपने इलाज में लापरवाही बरत रहे हैं। बीमारी ठीक होने के बाद ये रेगुलर दवाएं लेने नहीं आते, जबकि इन दोनों बीमारी में हर दिन दवा की जरूरत पड़ती है। दवाएं छोड़कर वे अपने स्वास्थ्य को ही खतरे में डाल देते हैं। जिला अस्पताल में शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए अलग से एनसीडी क्लिनिक संचालित है।
क्लिनिक में शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीज इलाज के लिए आते हैं। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद सालभर इन मरीजों को रेगुलर चेकअप के साथ दवाएं लेनी चाहिए, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर लोग दवा खाकर ठीक हो जाते हैं और फिर इलाज कराने नहीं आते।
क्लिनिक में शुगर के 479 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया और ठीक होने के बाद 183 मरीजों ने दवा लेना बंद कर दिया। केवल 296 लोग ही दवा लेने आ रहे हैं। ब्लडप्रेशर के 854 मरीजों का इलाज चला और उसमें से 253 मरीजों ने दवा बंद कर दिया।
रेगुलर दवा नहीं लेने से दूसरे इन्फेक्शन का खतरा
चिकित्सकीय सूत्रों के मुताबिक शुगर और ब्लड पे्रशर की पुष्टि होते ही मरीजों को डॉक्टरों के हिसाब से दवा दी जाती है। बीमारी के प्रभाव के हिसाब से यह छह महीने से लेकर 12 महीने तक चलती है। इस कोर्स के बाद ज्यादातर मरीजों का शुगर लेवल दुस्र्स्त हो जाता है। उसके बाद मरीज बीमारी ठीक होना मानकर फिर दवा लेने नहीं आते। यही स्थिति ब्लड प्रेशर के मरीजों की है।
डॉक्टरों के मुताबिक जब तक शुगर और ब्लडप्रेशर का मरीज जिंदा है, तब तक उसे रोजाना एक या दो समय दवा लेनी जरूरी है। दवा छोड़ने से शुगर के मरीज की किडनी और आंखों में प्रभाव पड़ता है। इसी तरह ब्लडप्रेशर के मरीज को कभी भी हार्ट की समस्या आ सकती है और वे लकवाग्रस्त हो सकते हैं। ब्रेन हेमरेज होने का खतरा भी रहता है।
sabhar : naidunia