Publish Date:29-Apr-2020 16:57:10
नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2020, राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया. अब एमबीबीएस, बीडीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए NEET निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों पर भी लागू होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NEET से उनके संविधान से मिले अधिकारों का हनन नहीं होता.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में निजी गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों ने याचिका दाखिल कर कहा था कि ये धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है. जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बिना सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों में दाखिल के लिए NEET से उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता है.
क्या होता है NEET
मेडिकल से जुड़े कोर्स में प्रवेश के लिए NEET यानी राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा अनिवार्य है. 2016 से पहले मेडिकल कोर्ट के लिए AIPMT यानि All India Pre Medical Test देना होता था, जिसके माध्यम से मेडिकल के छात्रों को एमबीबीएस, बीडीएस, एमस जैसे पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलता था. 2016 के बाद रास्ट्रीय स्तर पर सिर्फ एक परीक्षा का आयोजन होने लगा है. इसके जरिए ही सभी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है.
क्यों हो रहा था विरोध
NEET का निजी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि संविधान की धारा 30 में अल्पसंख्यकों को ये अधिकार दिए गए है कि वे अपनी शिक्षण संसथान स्थापित कर सकते हैं और संविधान की धारा 30 के पारा 50 में यह स्पष्ट रूप से प्रदत्त है कि अल्पसंख्यक संस्थान अपनी पसंद से छात्रों का प्रवेश लेने के लिए स्वतंत्र हैं.
NEET लागू किए जाने के खिलाफ निजी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और कहा था कि यह हमारे अधिकारों का उल्लंघन है. अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि NEET से किसी भी अल्पसंख्यक कॉलेज के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो रहा है.
साभार- आज तक
संजय शर्मा की रिपोर्ट