सरकार के सताए ग्राम पंचायत, अंशकालीन, अल्प वेतन भोगी, ठेका, आउटसोर्स कर्मचारियों का भोपाल में "घेरा डालो-डेरा डालो" आंदोलन
भोपाल, सरकार राम सिंह, श्याम कुमार, घनश्याम, तुकाराम जैसे लाखों कर्मियों के साथ अन्याय कर रही है, हम इन्हें अलग - अलग बोलने की बजाय एक साथ आकर अन्याय के खिलाफ बोलने के लिए 2-3 साल से एकजुट कर रहे, जो अब एकसाथ आकर बोलने के लिए तैयार होने लगे हैं। सरकार इन सभी से 2 से 5 हजार में काम करा रही है, यह सभी सरकार के सभी विभागों में ग्राम पंचायत में चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों में अंशकालीन भृत्य, आदिम जाति विभाग में दैनिक मजदूरी, अंशकालीन भृत्य, रसोईया, सफाई कर्मचारी, वाहन चालक, पेशा मोबलाईजर, आयुष में योग प्रशिक्षक, स्वास्थ्य विभाग में सपोर्ट स्टाफ सहित सभी विभागों में आउटसोर्स, अस्थाई, ठेका कर्मचारी जैसे 50 से अधिक पदनामों से नामों से काम करते हैं।
जारी बयान में कहा गया है कि यह सभी कर्मचारी सरकार का महत्वपूर्ण काम करते हैं, कोई हर घर जल पहुंचाता है, कोई मोदीजी के स्वच्छ भारत अभियान को चला रहा है, कोई स्कूलों छात्रावासों में बच्चों की सेवा करता है, को़ई वाहन चलाकर साहबों की सेवा करता है, कोई वन विभाग की सुरक्षा में लगा है, इतना महत्वपूर्ण काम करने वाले कर्मचारियों से 2 से 5 हजार में काम करा रही है, खुद सरकार द्वारा सबसे छोटे कर्मतारी के लिए तय न्यूनतम 11800 रूपए महीना भी नहीं दिया जा रहा है, यही सबसे बडा अन्याय है, जिसे खत्म कराने का शंखनाद 16 दून से भोपाल की सड़कों पर होने वाला है। जिस कर्मचारी को लगता है उसके साथ अन्याय हो रहा है, वह रविवार 16 जून को भोपाल जरूर आए, जिससे अन्याय के खिलाफ संघर्ष को ताकत मिले और सरकार खुद के द्वारा तय न्यूनतम वेतन देने के लिए मजबूर हो। यह तभी संभव है, जब भोपाल की सड़कों पर पीड़ित कर्मचारियों का सैलाब सरकार को दिखाई दे।
संगठन के प्रांताध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने एक बयान जारी कर कहा है कि 16 जून का आंदोलन निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल वाजपेयी, ग्राम पंचायत भृत्य चौकीदार संघ के अध्यक्ष यशवंत गेडाम, अनिल यादव, अंशकालीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पाठक से बातचीत के बाद तय किया गया है, इसलिए अब आप सभी की जिम्मेदारी है कि "भोपाल आंदोलन" की तैयारियां शुरू करें और सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर इसे जनांदोलन बनाएं।