मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने भविष्य में गुड़गांव स्थित अभी तक के सबसे बड़े अपने डीजल इंजन असेंबली प्लांट को बंद करने की योजना बनाई है। सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन इकाई या तो गुड़गांव संयंत्र में डीजल इंजन लाइन को पेट्रोल इंजन बनाने के लिए परिवर्तित कर सकती है या मानेसर में अपने संयंत्र में पेट्रोल इंजन के लिए एक लाइन जोड़ सकती है। इस बारे में इससे सीधे जुड़े तीन लोगों ने यह बात कही। दोनों कारखाने हरियाणा में स्थित है।
भारत में डीजल वाहनों की मांग में कमी आई है और मारुति की योजना पेट्रोल और सीएनजी कारों के साथ-साथ इकोफ्रेंडली हाइब्रिड कारों और इलेक्ट्रिक कारों के बाजार में उतारने की है। भारत में 1 अप्रैल 2020 से भारत स्टेज VI (बीएस VI) उत्सर्जन मानदंड लागू होने के बाद डीजल कारों की बिक्री में तेजी से गिरावट आने की संभावना है। बीएस VI में मौजूदा बीएस IV डीजल इंजनों को अपग्रेड करना उन्हें काफी महंगा बना देगा। इसी को ध्यान में रखते हुए मारुति ने डीजल इंजन बंद करने की योजना बनाई है।
वर्तमान में मारुति गुड़गांव स्थित फिएट से एकत्रित किए गए 1.3-लीटर डीजल इंजन को एसेंबल करती है। इनमें सबसे ज्यादा बिकने वाले मॉडल जैसे कि बलेनो, विटारा ब्रेजा और एर्टिगा शामिल है। गुड़गांव संयंत्र 800सीसी डीजल इंजन भी बनाता है। गुड़गांव में डीजल असेंबली लाइन की क्षमता प्रतिवर्ष लगभग 170,000 इंजन है। ऑटोमेकर अपने मानेसर कारखाने में फिएट का 1.3-लीटर डीजल इंजन भी तैयार करता है, जिसकी वार्षिक क्षमता लगभग 300,000 इकाइयों की है।
आने वाले समय में मारुति 1.3-लीटर डीजल इंजन की पेशकश नहीं करेगी और इस दौरान मानेसर में डीजल इंजन एसेंबली लाइन बाजार में मांग के लिए पर्याप्त होगी। यह बात तीन लोगों में से एक ने इस बात की जानकारी दी। गौरतलब है कि पेट्रोल पर चलने वालों की तुलना में डीजल वाहन अधिक प्रदूषणकारी माना जाता है। डीजल कारों की कीमत अभी भी पेट्रोल मॉडल की तुलना में अधिक है।
डीजल कारों में गिरावट
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पेट्रोल कारों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 47% से बढ़कर वित्त वर्ष 20118 में 60% हो गई है। इसी अवधि के दौरान, डीजल वाहनों का हिस्सा 53% से 40% तक गिर गया। सुजुकी ने पहले ही भारत के लिए एक पूर्ण हाइब्रिड कार पर काम करना शुरू कर दिया है और अनुसंधान और विकास के लिए 1.4 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड बनाया है। कंपनी ने केंद्र सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि वह सीएनजी के लिए खुदरा दुकानों का विस्तार करे, जिसके साथ ही मारुति के सीएनजी वाहनों की बिक्री में 50% की वृद्धि हुई है।
2012 में डीजल इंजन संयंत्र में निवेश
2012 में, मारुति के बोर्ड ने भारत में डीजल कारों की बढ़ती मांग के कारण गुड़गांव में डीजल इंजन संयंत्र में निवेश करने का फैसला किया था। साल 2015 में, मारुति ने 1.3-लीटर डीजल इंजन के लिए फिएट के साथ अपने समझौते को नवीनीकृत किया था।
फिलहाल डीजल इंजन में कमी नहीं
नाम न छापने की शर्त पर इससे जुड़े दूसरे व्यक्ति ने कहा, मारुति में वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि मानेसर में डीजल इंजन निर्माण क्षमता आने वाले वर्षों में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। इसके अलावा, मौजूदा इंजन असेंबली लाइन को बदलने में डेढ़ साल लग सकता है इसलिए डीजल इंजन में कमी तत्काल नहीं होगी।
साभार- लाइव हिन्दुस्तान