23-Apr-2024

 राजकाज न्यूज़ अब आपके मोबाइल फोन पर भी.    डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लीक करें

जीएसटी से तालमेल बिठाने में जुटी कंपनियां, पैदा होंगी 13 लाख नौकरियां

Previous
Next
गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से जॉब मार्केट में उम्मीद बंधी है। जीएसटी लागू होने की तारीख नजदीक है। ऐसे में सभी सेक्टर की कंपनियां अपनी जीएसटी टीम को चुस्त-दुरुस्त करने में जुटी हैं। इससे टैक्स और टेक्नॉलजी प्रफेशनल्स की मांग काफी बढ़ गई है। इन पेशेवरों की मांग सबसे ज्यादा एफएमसीजी सेक्टर में है। उसके बाद कन्ज्यूमर गुड्स, फार्मासूटिकल्स, रियल एस्टेट, बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर्स का नंबर आता है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और चार बड़े ऑडिट फर्मों के अधिकारियों के मुताबिक, कंपनियों ने नई कर व्यवस्था से फायदा उठाने के लिए माहिर प्रफेशनलों की टीम बना रही है।

टैक्स कंसल्टंट्स और एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जीएसटी पोर्टल से करीब 90 लाख करदाता रजिस्टर्ड होंगे। उनका कहना है कि इनमें अगर 1% हिस्सा भी जीएसटी को हैंडल करने के लिए 5 लोगों की टीम वाली बड़ी कंपनियों का होगा और 10% भी कम-से-कम एक प्रफेशनल वाली मध्यम आकार की कंपनियों का होगा तो नए टैक्स सिस्टम से करीब 13 लाख प्रफेशनलों की जरूरत पड़ेगी। उनका मानना है कि इनमें कुछ काम मौजूदा बिक्री एवं अन्य करों (सेल्स ऐंड अदर टैक्सेज) से जुड़े प्रफेशनल्स संभाल सकते हैं, फिर भी नए प्रफेशनल्स की बहुत ज्यादा जरूरत होगी।

टैक्स के लिए लॉयर्स, चार्टर्ड अकाउंटैंट्स, कॉस्ट अकाउंटैंट्स और टैक्स कंसल्टंट्स की भारी मांग होगी जबकि टेक्नॉलजी के लिए कंपनियां सॉफ्टवेयर प्रफेशनल्स की तलाश में हैं ताकि जीएसटी रिटर्न्स सरकारी का डेटाबेस से मिलान हो जाए।

डेलॉयट हैसकिंस ऐंड सेल्स एलएलपी में सीनियर डायरेक्टर एमएस मणि ने कहा, 'सभी कॉर्पोरेट सेक्टर में इनडायरेक्ट टैक्स ओपनिंग्स बढ़ने वाली है और हमें जीएसटी मैनेजर, वीपी-जीएसटी या जीएसटी टीम लीडर जैसी विभिन्न पदों पर भर्तियां देखने को मिल सकती हैं।' उन्होंने कहा, 'हालांकि, विभिन्न सेक्टर्स में इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े कामकाज पहले भी होते थे, लेकिन अब हमें न सिर्फ जीएसटी के रूप में इनडायरेक्ट टैक्स का बदला नाम बल्कि कंपनियों में नए पदों की जरूरत भी देखेगी।'

टेक्नॉलजी टैलंट
चूंकि जीएसटी में टेक्नॉलजी बड़ी भूमिका अदा करने वाली है, इसलिए टेक्नॉलजी प्रफेशनलों की जबर्दस्त मांग होगी। ऐक्सिस बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि आईटी सेक्टर को उन 50,000 रजिस्टर्ड इकाइयों को इंटिग्रेशन, रिपोर्टिंग और अकाउंटिंग सॉल्युशंज तथा प्लैटफॉर्म्स मुहैया कराने होंगे जो कथित तौर पर अब भी जीएसटी से तालमेल बिठाने की तैयारी में हैं।

कंपनियों को टैक्स नेटवर्क से इंटिग्रेशन के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट की दावेदारी के लिए अति कुशल अकाउंटिंग, रिपोर्टिंग और एमआईएस सिस्टम्स की भी जरूरत होगी। एबीसी कसंल्टिंग की डायरेक्टर रत्ना गुप्ता कहती हैं, 'क्लाउड, बिग डेटा ऐनालिटिक्स, बैंकिंग ऐंड फाइनैंशल ऐप्लिकेशंज आदि के क्षेत्र में माहिर प्रफेशनलों की आज जबर्दस्त मांग है।'

एक्सपर्ट्स का मानना है कि चूंकि सेल्स टैक्स प्रैक्टिशनर और एक्साइज कंसल्टंट का मौजूद कौशल नई जरूरतों के लिहाज से पर्याप्त नहीं होगा, इसलिए जीएसटी से भारी मात्रा में नौकरियां पैदा होनी है।

अर्ध-कुशल नौकरियां
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कारपेंटर (बढ़ई), मैसन (राजमिस्त्री), प्लंबर, इलेक्ट्रिसन, ड्राफ्ट्समेन, टेलर (दर्जी), वीवर (बुनकर), फूड टेक्नॉलजिस्ट और मार्केटिंग जॉब्स जैसे अर्ध-कुशल कर्मचारियों (सेमी-स्किल्ड वर्कर्स) की मांग बढ़ेगी। साथ ही, आईटीआई (इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट) से वोकेशनल कोर्स करनेवालों की भी काफी उपयोगिता होगी। ईवाई में टैक्स अडवाइजर-पॉलिसी अडवाइजरी ग्रुप वीएस कृष्णन ने कहा, 'जिन सेक्टरों में रोजगार पैदा होने की संभावना है, वो किफायती आवास, कपड़ा, चमड़ा और खाद्य प्रसंस्करण हैं।' वह कहते हैं, 'ऐसा इसलिए क्योंकि कपड़ा उद्योग पर लगनेवाली ड्यूटी कम कर दी गई है और इसे सांगठनिक रूप दिए जाने की पहल शुरू हो गई है। इससे खासकर अपैरल सेगमेंट में घरेलू और विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।'

अस्थाई नौकरियां
जीएसटी लागू होने पर अस्थाई तौर पर भी खूब बहालियां होंगी। जीएसटी ऐंड जॉब्स पर टीमलीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीमेंट और आईटी/आईटीईज को छोड़कर सभी सेक्टरों में बड़े पैमाने पर अस्थाई नौकरियां पैदा होने के आसार हैं। ब्लू कॉलर और फ्रंट एंड सेल्स के लोगों को जीएसटी का बड़ा फायदा मिलेगा।

चेतावनी
एक्सपर्ट्स चेतावनी भी दे रहे हैं कि जीएसटी से पैदा हुई नौकरियां कम वक्त के लिए ही टिक सकती हैं। खतरा यह है कि अच्छी सैलरी पर रखे गए लोग टेक्नॉलजी आने पर बाहर कर दिए जाएंगे। मणि ने कहा, 'देखना यह है कि क्या जीएसटी से पैदा हुई मांग तात्कालिक है या हर जगह ऐसी नौकरियों की जरूरत लंबे वक्त तक रहेगी।'

साभार- इकनॉमिक टाइम्स

Previous
Next

© 2012 Rajkaaj News, All Rights Reserved || Developed by Workholics Info Corp

Total Visiter:26589576

Todays Visiter:4820