Publish Date:16-Mar-2018 21:01:01
जबलपुर में स्थापित होगा साइंस सेंटर
अनुदान माँगों की चर्चा पर राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री की घोषणा
महिला पटवारियों को शादी के बाद एक बार कैडर बदलने और पटवारियों के सीआर एवं सीनियरटी के आधार पर पदोन्नति के लिये नीति बनाई जायेगी। जबलपुर में साइंस सेंटर स्थापित किया जायेगा। राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने यह घोषणाएँ विधानसभा में विभागीय अनुदान माँगों की चर्चा के जवाब में की।
गुप्ता ने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा विधानसभा में लगभग शत-प्रतिशत प्रश्नों के जवाब दिये गये हैं। 601 प्रश्नों में 580 के जवाब दिये जा चुके हैं और 297 आश्वासनों में से 255 पूरे किये जा चुके हैं, शेष समय-सीमा में पूरे कर दिये जायेंगे। इसके साथ ही 72 ऑडिट कण्डिकाओं में से 55 का निराकरण भी किया जा चुका है।
श्री गुप्ता ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से समस्त पटवारियों को लेपटॉप उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे समस्त पटवारियों को ई-बस्ता उपलब्ध हो सकेगा। पटवारियों के लिये कार्यालय और आवास बनाये जायेंगे। विभाग के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का एक क्लोज्ड यूजर ग्रुप (CUG) स्थापित किया जायेगा, जिससे विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आपस में सम्पर्क करने में कठिनाई न हो। इस व्यवस्था के माध्यम से समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों से सम्पर्क स्थापित करने में नागरिकों को भी सुविधा होगी। फसल गिरदावरी, राजस्व न्यायालय द्वारा माँगे गये अनेक प्रतिवेदन एवं राहत हेतु आरबीसी 6 (4) के प्रकरण आदि, अब पटवारी मोबाइल एप के माध्यम से प्रस्तुत कर सकेगा।
किसान को घर बैठे वेब जीआईएस के माध्यम से भू-अभिलेख की नकल उपलब्ध कराई जायेगी, जिससे किसान को लोक सेवा केन्द्र या तहसील नहीं जाना पड़ेगा। भूमि स्वामी को अब भू-राजस्व, भू-भाटक ऑनलाइन जमा कराये जाने हेतु सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। किसान को मोबाइल एप के माध्यम से भू-अभिलेख की नकल उपलब्ध कराई जायेगी। किसान द्वारा बोई गई फसल की जानकारी स्वयं भू-अभिलेख में प्रविष्ट की जा सकेगी एवं ऑनलाइन माध्यम से बोनी प्रमाण-पत्र उपलब्ध हो सकेगा।
सीमांकन समय-सीमा में किये जाने हेतु ईटीएस एवं मानव संसाधन की व्यवस्था प्राइवेट एजेंसी के माध्यम से की जा सकेगी। सीमांकन प्रक्रिया को और शुद्ध एवं सरल किये जाने हेतु डीजीपीएस आधारित नई तकनीक- CORS (Continuous Operating Reference Station) के माध्यम से सीमांकन किया जायेगा।
राजस्व मंत्री ने बताया कि 75 नवीन तहसील एवं एसडीएम कार्यालय बनाने का प्रस्ताव शीघ्र ही केबिनेट में रखा जायेगा। भू-राजस्व संहिता-1959 में संशोधन के लिये भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है। कमेटी की अनुशंसाओं पर संशोधन के लिये जल्द ही विधेयक लाया जायेगा। चांदे और मुनारे नये सिरे से लगाये गये हैं। आवासीय पट्टे देने के लिये 26 जनवरी, 2018 से कार्यवाही जारी है। अब नगरीय शहरी सीमा से 16 किलोमीटर तक आवासीय पट्टे नहीं देने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही नेशनल हाई-वे के दोनों तरफ एक किलोमीटर की दूरी तक आवासीय पट्टे नहीं देने की नीति में परिवर्तन कर इसे 500 मीटर कर दिया गया है।
समाधान एक दिवस में चार सेवाएँ
राजस्व मंत्री ने कहा कि समाधान एक दिवस व्यवस्था के तहत राजस्व विभाग की चार सेवाएँ प्रदाय की जा रही हैं। चालू खसरा खतौनी की नकल का प्रदाय, चालू नक्शा की प्रतिलिपियों का प्रदाय, राजस्व न्यायालय (राजस्व मण्डल को छोड़कर) में प्रचलित प्रकरणों में पारित आदेश/अंतरिम आदेश या अन्य दस्तावेज की सत्य प्रतिलिपि पक्षकार को प्रदाय करना एवं अभिलेख्रा प्रकोष्ठ में जमा भू-अभिलेखों/राजस्व प्रकरणों/नक्शा एवं अन्य अभिलेखों की सत्य प्रतिलिपि प्रदाय करना। इन सेवाओं के आवेदन लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से 1.30 बजे तक प्राप्त कर उसी दिन वांछित सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।
प्रदेश में मानसून 2017 में प्रदेश के कई हिस्सों में कम बारिश के कारण फसलों में काफी नुकसानी हुई थी। इस स्थिति को देखते हुए प्रदेश के 18 जिलों की 133 तहसीलों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है। राहत राशि हेतु रुपये 1582 करोड़ का आवंटन जिलों को किया गया है। अब तक लगभग 300 करोड़ की राहत राशि वितरित की जा चुकी है और शेष राशि भी लगभग एक माह में प्रभावितों तक पहुँचा दी जायेगी। इसी प्रकार आकस्मिक दुर्घटना जैसे सर्पदंश, पानी में डूबने, अग्नि दुर्घटना, आकाशी बिजली से हुई नुकसानी की प्रतिपूर्ति के लिये 1884 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। ओला-वृष्टि से हुए नुकसान पर तात्कालिक राहत के लिये राशि रुपये 219 करोड़ का आवंटन जिलों को दिया गया है। प्राकृतिक आपदा के लिये ग्लोबल बजट की व्यवस्था की गई है।
फसल हानि पर मिलेंगे 30 हजार प्रति हेक्टेयर
किसानों की फसल हानि पर अधिक सहायता राशि देने के उद्देश्य से राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर 50 प्रतिशत से अधिक हानि होने पर सिंचित फसलों हेतु प्रति हेक्टेयर 30 हजार की राशि स्वीकृत करने के प्रावधान किये गये हैं। जनहानि के मामलों में वर्तमान में कलेक्टर को सहायता स्वीकृत करने की अधिकारिता थी। अब अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को 4 लाख रुपये स्वीकृत करने के अधिकार प्रदान किये गये हैं।
मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित 400 से अधिक नायब तहसीलदारों की नियुक्ति की जा रही है। इसी तरह प्रदेश में 9000 से अधिक पटवारियों की भर्ती हेतु प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा परीक्षा आयोजित की जा चुकी है, परीक्षा के परिणाम शीघ्र अपेक्षित हैं।
इन सब समस्याओं के निराकरण के लिये राजस्व विभाग द्वारा कम्प्यूटराइज्ड रेवेन्यू कोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया गया, जिसके तहत राजस्व विभाग के वरिष्ठतम से लेकर अन्य राजस्व न्यायालयों में दर्ज प्रकरणों की जानकारी कम्प्यूटर के एक क्लिक पर उपलब्ध है। वर्तमान तक रेवेन्यू कोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम के अंतर्गत 16 लाख 50 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। इससे जमीन की रजिस्ट्री होते ही राजस्व न्यायालयों को भूमि अंतरण की सूचना प्राप्त हो जाती है। प्राप्त सूचना के आधार पर संबंधित तहसीलदार भूमि के नामांतरण के लिये प्रकरण प्रारंभ करते हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि प्रदेश में एक साथ भोपाल एवं जबलपुर में इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर मेन्युफेक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना की जा रही है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर एवं जबलपुर में आई.टी. पार्क स्थापित करने के लिये कुल 527 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। छिन्दवाड़ा जिले को बीपीओ हब के रूप में विकसित किया गया है। अन्य 10 जिलों में भी भूमि आरक्षित की गई है। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जहाँ आई.टी. परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये 460 आई.टी. विशेषज्ञों की पदस्थापना जिला, विकासखण्ड और तहसील-स्तर पर की गई है। मध्यप्रदेश में मोबाइल एसएमएस के माध्यम से लोगों को योजनाओं की जानकारी देने के लिये 70 करोड़ से अधिक एसएमएस किये जा चुके हैं। आधार पंजीयन परियोजना में 93 प्रतिशत जनसंख्या का पंजीयन हो चुका है। 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी लोगों का पंजीयन हो चुका है। मेप आई.टी. को भारत सरकार की संस्था Cert-in द्वारा वेबसाइट तथा वेब एप्लीकेशन के सिक्यूरिटी ऑडिट के लिये अधिकृत किया गया है। आरसीएमएस सिस्टम में 20 लाख 68 हजार से अधिक पुराने एवं नये राजस्व न्यायालयीन प्रकरणों की प्रविष्टि की जा चुकी है। स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (स्वान) के माध्यम से 10 हजार से अधिक शासकीय कार्यालयों को कनेक्टिविटी दी गई है। शासकीय कार्यालयों को ई-ऑफिस प्रणाली में बदलने की कार्यवाही की जा रही है। सबसे पहले मंत्रालय में यह कार्यवाही की जायेगी। जलवायु परिवर्तन के कारणों पर शोध को प्रोत्साहित किया जा रहा है। विज्ञान उत्कृष्टता मिशन अंतर्गत विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि जागृत करने के लिये मंथन यात्रा का आयोजन किया गया है। कारीगरों एवं शिल्पियों के कौशल उन्नयन के लिये मध्यप्रदेश कारीगर विज्ञान कांग्रेस आयोजित की गई।
गुप्ता के जवाब के बाद उनके विभागों से संबंधित 4310 करोड़ 26 लाख 30 हजार रुपये की अनुदान माँगों को ध्वनि-मत से पारित कर दिया गया।