Publish Date:28-Oct-2016 10:54:53
पूर्व विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके शिवशंकर मेनन ने कहा कि मुंबई हमले के बाद वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी कैंप्स को तबाह करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि वह चाहते थे कि भारत पर हुए हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा के पोओके और मुरीदके स्थित कैंप और आईएसआई के खिलाफ सन्य कार्रवाई की जाए। 26/11 हमले के समय शिवशंकर मेनन विदेश सचिव हुआ करते थे, जिन्हें बाद में यूपीए सरकार के कार्यकाल में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) बना दिया गया था।
हालांकि 2008 के इस हमले के बाद उन्हें लगता था कि तीन दिन चले इस अटैक को पुरी दुनिया भर में टीवी पर दिखाया गया, जिससे भारतीय पुलिस और सुरक्षा बलों की छवी पर धब्बा लगा था, इसे सैन्य कार्रवाई से मिटाने में काफी वक्त लग जाएगा। मेनन ने हाल ही में एक किताब (च्वाइसेस: इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडिया फॉरेन पॉलिसी) लिखी है, जिसमें इन बातों का जिक्र किया गया है। इस किताब को अमेरिका और ब्रिटेन में रिलीज किया गया है।
उन्होंने लिखा, भारत ने तुरंत पाकिस्तान पर हमला इसलिए नहीं किया क्योंकि जब सरकार ने पाया कि पाकिस्तान पर हमला करने से ज्यादा फायदा हमला ना करने पर मिलेगा। उन्होंने बताया कि यदि पाकिस्तान पर उस समय हमला कर दिया जाता तो पूरी दुनिया पाकिस्तानी सेना के सपोर्ट में आ जाती, साथ ही उस समय चुनी गई आसिफ अली जरदारी की असैन्य सरकार को भी खतरा पैदा हो सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि पोओके और मुरीदके में आतंकि कैंप को तबाह करने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला था।
बता दें कि 2008 में 26 से 28 नवंबर तक चले मुंबई आतंकी हमले में 26 विदेशियों समेत 166 लोगों की जान चली गई थी। हमला लश्कर-ए-तैयबा ने किया था। हालांकि मेनन ने साफ किया, ऐसा नहीं था कि 26/11 से पहले मुंबई में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ था, लेकिन 26/11 जितना बड़ा कोई नहीं था।