Publish Date:16-Sep-2019 21:46:18
नई दिल्ली. सरकारी बंगलों (Government Bungalows) में अनधिकृत तौर पर काबिज लोगों की सरकारी आवासीय संपत्तियों से बेदखली के लिये हाल ही में संसद द्वारा पारित सख्त कानून रविवार से लागू होने के बाद उन पूर्व सांसदों (Former MP's) की भी मुश्किलें बढ़ना तय है जिन्होंने लोकसभा चुनाव (General Election) हारने के बाद अभी तक लुटियन दिल्ली (Lutyens's Delhi) में स्थित सरकारी बंगला खाली नहीं किया है. एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल ऐसे सांसदों की संख्या 80 है.
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी बयान के अनुसार सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन अधिनियम 2019 को 15 सितंबर से लागू कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि गत जून में हुये लोकसभा चुनाव (General Election) में हारने वाले सांसदों में से 81 सांसदों ने अब तक दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली नहीं किया है.
सदस्यता खत्म होने से 30 दिनों के अंदर खाली करना था बंगला
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इन सांसदों को संसद सदस्यता खत्म होने की तारीख से 30 दिन के भीतर बंगला खाली करना था लेकिन ऐसा नहीं कर पाने वाले सांसदों को संपदा निदेशालय (Directorate of Estates) की ओर से 15 दिन का नोटिस भी भेजा जा चुका है. उन्होंने बताया कि अब नया कानून लागू होने के बाद 15 दिन के नोटिस की औपचारिकता पूरी करने की जरूरत नहीं होगी.
संशोधित कानून के तहत अब कब्जाधारक को बंगला खाली नहीं करने का कारण बताने के लिये सिर्फ तीन दिन का समय देते हुये एक नोटिस जारी किया जा रहा है. संतोषजनक कारण नहीं बता पाने पर संपदा निरीक्षक संपत्ति को खाली करा सकेंगे.
9 अगस्त को जारी कर दी गई थी अधिसूचना
उल्लेखनीय है कि 17 वीं लोकसभा के हाल ही में संपन्न हुये पहले संसद सत्र में मंत्रालय द्वारा पेश सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक 2019 को दोनों सदनों से पारित किया गया था. इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद विधि एवं न्याय मंत्रालय ने नौ अगस्त को अधिसूचित कर दिया था. इसके बाद संपदा निदेशालय ने भी इसे बतौर कानून लागू करने की अधिसूचना 12 सितंबर को जारी कर दी. अधिसूचना के मुताबिक इस कानून को 15 सितंबर से प्रभावी घोषित किया गया है.
केन्द्रीय कर्मचारियों, संसद सदस्यों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को सरकारी आवास के आवंटन, रखरखाव और खाली कराने का दायित्व मंत्रालय के अंतर्गत संपदा निदेशालय (Directorate of Estates) का है. सरकारी आवास के अनधिकृत उपयोग की समस्या से सख्ती से निपटने के लिये इस कानून में प्रभावी प्रावधान किये गये हैं.
सालों तक कब्जाए रखते थे सरकारी आवास
मंत्रालय ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि केन्द्र सरकार (Central Government) अपने कर्मचारियों, संसद सदस्यों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को उनके कार्यकाल के दौरान लाइसेंस के आधार पर आवासीय सुविधा मुहैया कराती है. आवंटन नियमों के मुताबिक आवंटी को कार्यकाल समाप्त होने पर आवास खाली नहीं करने पर उसे अनधिकृत कब्जे की श्रेणी में रखा जाता है.
संशोधित कानून लागू होने से पहले की प्रक्रिया के तहत सरकारी आवास खाली कराने में पांच से सात सप्ताह का समय लगता था. आवंटी द्वारा मामले को अदालत में ले जाने पर इस प्रक्रिया में लगभग चार सप्ताह का अतिरिक्त समय लगता था. इससे अधिक समय तक अदालती प्रक्रिया चलने पर मामला सालों साल चलता था.
साभार- न्यूज 18