राजकाज न्यूज, भोपाल
प्रदेश के राज्य मंत्रालय ने मुख्यमंत्री के पास के विभागों के प्रकरण में एक से अधिक बार मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किये जाने से परेशान होकर सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव को परिपत्र जारी कर मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियम का पालन करने को कहा हैं।
अपर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग विनोद कुमार ने कहा है कि मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियमों में वर्तमान में ऐसे विभाग जिनका प्रभार मुख्यमंत्री के पास है के प्रकरण एक से अधिक बार मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं। इस व्यवस्था में सरलीकरण हेतु निम्नानुसार निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें:-
1. ऐसे समस्त विभाग जिनके भारसाधक मंत्री वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं और यदि विभाग किसी ऐसे मामले को भारसाधक मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री के अनुमोदनार्थ प्रेषित करना चाहता है, जिसमें वित्त/विधि एवं विधायी कार्य/सामान्य प्रशासन विभाग अथवा अन्य किसी विभाग का अभिमत प्राप्त किया जाना आवश्यक हो, तो ऐसे प्रकरणों में प्रथमत: नस्ती पहले इन विभागों को भेजी जावेगी तथा उस पर संबंधित अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, विभाग की ओर से अभिमत देंगे एवं तत्पश्चात उक्त अभिमत के साथ नस्ती माननीय भारसाधक मंत्री एवं मुख्यमंत्री (मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियम के अनुसार यदि समन्वय में मुख्य सचिव के माध्यम से भेजा जाना है तब प्रकरण समन्वय में) के रूप में निर्णयार्थ प्रेषित करेंगे।
2. से अन्य विभाग जिनमें भारसाधक मंत्री के रूप में मंत्री प्रभार में हैं, के प्रकरणों में भारसाधक मंत्री के प्रशासकीय अनुमोदन उपरांत प्राप्त होने वाले ऐसे मामलों में, जिनमें वित्त/विधि एवं विधायी कार्य/सामान्य प्रशासन विभाग या अन्य किसी विभाग का अभिमान प्राप्त किया जाना आवश्यक हो, तो नस्ती पहले इन विभागों को भेजी जावेगी तथा उस पर संबंधित अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, विभाग की ओर से अभिमत देंगे और नस्ती संबंधित विभाग को अभिमान के साथ लौटा दी जावेगी। अभिमत प्राप्त होने के उपरांत संबंधित विभाग द्वारा नस्ती मुख्यमंत्री जी (मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियम के अनुसार, यदि समन्वय में मुख्य सचिव के माध्यम से भेजा जाना है तब प्रकरण समन्वय में) के रूप में निर्णयार्थ प्रेषित की जायेगी।
3. कार्य नियमों के अनुसार कई प्रकरण मंत्रि-परिषद के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं, ऐसे मामलों में विधिवत् संक्षेपिका बना कर पहले भारसाधक मंत्री से अनुमोदन लेना होगा (अगर माननीय मुख्यमंत्री जी भारसाधक मंत्री हैं तो संक्षेपिका उनके समक्ष प्रस्तुत की जावेगी) तथा तदोपरांत सभी विभागों का अभिमत प्राप्तकर, यदि अभिमत देने वाले विभागों के प्रभार मुख्यमंत्री के पास है तो अभिमत अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव स्तर से दिया जाकर, इसका शब्दश: उल्लेख संक्षेपिका में किया जाकर, नस्ती समन्वय में मंत्री-परिषद अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जावेगी ।