18-Apr-2024

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इन म्यूचुअल फंड्स ने किया Vodafone-Idea में 3376 करोड़ का निवेश

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देश की कई प्रमुख म्यूचुअल फंड कंपनियों ने भी घाटे से बेहाल हुई सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया में करीब 3376 करोड़ रुपये का निवेश कर रखा है। ऐसे में अगर यह टेलीकॉम कंपनी दिवालिया होती है, तो फिर इन म्यूचुअल फंड कंपनियों  पर भी इसका असर देखने को मिलेगा।
कम हो सकती है रेटिंग और असेट वैल्यू
मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, 35 से अधिक म्यूचुअल फंड स्कीम ने वोडा-आइडिया में निवेश कर रखा है। 31 अक्तूबर तक जिन स्कीमों ने निवेश कर रखा है वो करीब 3376 करोड़ रुपये था। इन स्कीम में प्रमुख तौर पर फ्रैंकलिन टेंपलटन, आदित्य बिड़ला सन लाइफ, यूटीआई और निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड शामिल हैं। एक फंड हाउस से जुड़े वरिष्ठ निवेश अधिकारी ने कहा कि अभी स्थिति काफी गंभीर और चिंताजनक हो गई है। अगर वोडाफोन और आइडिया नया निवेश नहीं करेंगे तो फिर आगे कंपनी कैसे चलेगी।
आदित्य बिड़ला समूह ने कहा है कि नया निवेश करने के बजाए वो दिवालिया होना पसंद करेंगे, अगर सरकार ने उनकी किसी तरह की कोई मदद नहीं की। वोडाफोन समूह ने अपने संयुक्त उद्यम की वैल्यू शून्य करने का फैसला किया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा एजीआर पर दिए गए आदेश के बाद लिया गया है।
इन कंपनियों का है पांच फीसदी से ज्यादा निवेश
जिन प्रमुख म्यूचुअल फंड कंपनियों ने वोडा-आइडिया में पांच फीसदी से ज्यादा का निवेश कर रखा है, वो इस प्रकार हैः--

99 हजार करोड़ की देनदारी
वोडाफोन आइडिया के ऊपर फिलहाल 99 हजार करोड़ की डेट (देनदारी) है। गुरुवार को कंपनी का शेयर 95 फीसदी गिरकर दो साल के निचले स्तर तीन रुपये पर आ गया। दूसरी तिमाही में कंपनी को 50,900 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। कंपनी को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद एजीआर के तौर पर 39 हजार करोड़ रुपये 90 दिनों के भीतर चुकाने हैं।
कंपनी पर है इतने करोड़ रुपये की देनदारी
वोडाफोन-आइडिया ने बयान जारी करते हुए कहा है उसके पास करीब 27610 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस के तौर पर 30 सितंबर 2019 तक देनदारी थी। इसके अलावा 16540 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम प्रयोग के तौर पर और 33010 करोड़ रुपये ब्याज, जुर्माना और ब्याज पर लगे जुर्माने के तौर पर देना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस राशि को 90 दिन के अंदर भुगतान करना है।
टेलीकॉम सेक्टर हो सकता है वित्तीय मोर्चे पर और बेहाल
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट और हेड ऑफ रिसर्च डा. रवि सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले से ही बेहाल चल रहे टेलीकॉम सेक्टर की हालत और खराब हो सकती है। अभी जितनी कंपनियां इस सेक्टर में कार्यरत हैं, उन पर चार लाख करोड़ रुपये का बकाया है। नए निर्णय से इन कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बकाया बढ़ जाएगा।

सरकार को टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे, नहीं तो इससे डिजिटल इंडिया के कदमों पर ब्रेक लग जाएगा। जिन 16 कंपनियों को एजीआर का भुगतान करना है, उनमें से ज्यादातर बंद हो गई हैं। इससे बाकी कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ आ गया है, जिसको कम करने के लिए सरकार की तरफ से गठित पैनल को कार्य करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर कंपनियों की वित्तीय मोर्चे पर हाल और बेहाल हो सकता है।

साभार- अमर उजाला

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