भोपाल, सपाक्स पार्टी ने देश के राष्ट्रपति को एक पत्र लिखकर आरक्षण को नवीं अनुसूची में शामिल करने के बजाय इसमें सुधार करने के लिए सुझाव दिये हैं। पत्र को मूल स्वरूप में यहां दिया जा रहा है।
प्रति,
महामहिम राष्ट्रपति महोदय भारत सरकार, राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली
विषय:- आरक्षण को नवी अनुसूची में शामिल करने के बजाय इसमें सुधार करने बाबत।
माननीय महोदय,
प्राय: यह देखने में आ रहा है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के नाम से बने कई संगठन आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय को नवी अनुसूची में जोड़ने की मांग कर रहे हैं। निवेदन है कि इस संबंध में गंभीरतापूर्वक विचार आवश्यक है. वर्तमान में आरक्षण का लाभ जाति के आधार पर अधिकांश वही लोग ले रहे हैं जिनकी पहली पीढ़ी एवं दूसरी पीढ़ी ने लाभ लिया और अब तीसरी पीढ़ी लाभ उठा रही है। जिन लोगों ने इसका लाभ लिया वे इतने सक्षम हो गए कि उन्होंने संविधान एवं नियम कानून को हमेशा इस प्रकार से संशोधित कराया की उसका लाभ उन्हें एवं उनके आने वाली पीढ़ी को मिले ना कि उसी वर्ग के गरीबों को। इसी कारण 70 वर्षों से चल रही वर्तमान व्यवस्था बनाए रखना चाहते हैं। यदि अनुसूचित जाति जनजाति के पिछड़ों और गरीबों को वाकई में आरक्षण का लाभ दिया जाना है तब इस व्यवस्था में आए दोषों को दूर कर नए सिरे से आर्थिक आधार पर इसका लाभ दिए जाने की आवश्यकता है! इस संबंध में सपाक्स पार्टी निम्नलिखित सिद्धांतों पर काम कर रही है:-
*सपाक्स पार्टी के मुद्दे*
1.आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक न हो | आरक्षण सभी गरीब को दिया जाये जिसमें जाति, धर्म, वर्ग नहीं देखा जाये | जो उम्मीदवार आरक्षित पदों के लिये छूट का लाभ लेकर आवेदन करें, उन्हें केवल आरक्षित वर्ग में चयन किया जाये, अनारक्षित वर्ग में नहीं |
2पहले आरक्षित वर्ग का कोटा भरा जाये, उसके बाद ही अनारक्षित वर्ग की सूची जारी की जाये | इससे ओव्हरलेपिंग नहीं होगी और मुकदमें भी समाप्त हो जायेंगे |
3.एक बार जिस व्यक्ति ने किसी भी प्रकार का आरक्षण का लाभ उठा लिया, उसकी आने वाली पीढ़ी को आरक्षण का लाभ न मिले, उसे सामान्य केटेगरी में रखा जाये |
4.पदोन्नति में आरक्षण देना , दूसरी बार आरक्षण देने जैसा है और इससे शासन की पूरी मशीनरी जाति में विभाजित हो रही है, और जनता परेशान हो रही है। अजा अजजा वर्ग के अति पिछड़ों एवं गरीबों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। अतः पदोन्नति में आरक्षण के प्रावधान पूर्णतः समाप्त किये जायें|
5.इस देश के सभी नागरिक सामान हैं। अतः एक देश, एक झंडा, एक सामान कानून के सिद्धांत के आधार पर देश के सभी जाति, धर्म, लिंग, भाषा और क्षेत्र के लोगों के लिये एक सामान कानून बनाये जाये |
6.एट्रोसिटी एक्ट जैसे जाति पर आधारित काले कानून को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर सभी धर्म, जाति के नागरिकों की आस्मिता एवं सम्मान की रक्षा के लिये एक सामान कानून बनाये जाये |
7.देश के विकास के लिये जनसंख्या नियन्त्रण आवश्यक है | हम दो, हमारे दो के पुराने सिद्दांत के मान से जनसंख्या नियन्त्रण का कानून बनाया जाये तथा उसे सख्ती से लागू किया जाए |
8.वर्तमान में जाति के आधार पर संचालित सभी छात्रवासों में सभी धर्म एवं जाति के गरीब विधार्थियों को संयुक्त रूप से रखा जाये, ताकि वे प्रारंभ से ही राष्ट्रवादी विचारधारा के नागरिक बनें, न कि जातिवादी विचारधारा के ।
माननीय महोदय यदि आप उक्त आधार पर एक बार केवल 10 वर्ष के लिए आरक्षण में सुधार लागू करके देखिए तब केवल गरीबों को एवं वास्तविक रूप से पिछड़े लोगों को लाभ मिलेगा जिससे अनुसूचित और जनजाति के 90 प्रतिशत लोग आपको दुआ देंगे। यदि आप एवं आपकी सरकार वाकई में अनुसूचित जाति और जनजाति के गरीबों के हितैषी हैं तब अनुरोध है कि नवी अनुसूची में यह विषय डालने के बजाय सपाक्स पार्टी के उक्त सिद्धांतों के आधार पर कानून और नियमों में संशोधन करने हेतु केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को निर्देश प्रदान करने की कृपा करें। जय हिंद, जय भारत, जय सपाक्स। आदर सहित।
भवदीय
*डॉ हीरालाल त्रिवेदी सेवानिवृत्त आईएएस एवं पूर्व सूचना आयुक्त, राष्ट्रीय अध्यक्ष सपाक्स पार्टी*