26-Apr-2024

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अपराधियों की प्राथमिक सदस्यता समाप्त करें भाजपा- कांग्रेस

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कांग्रेस को विरासत में मिला 15 साल का भाजपाई अपराध जड़ से समाप्त होगा: अभय दुबे

भोपाल, 18 जनवरी, 2019
प्रदेश कांगे्रस के मीडिया उपाध्यक्ष अभय दुबे ने जारी अपने एक बयान में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी को अपराध के खिलाफ बोलने का नैतिक अधिकार जब ही हासिल हो सकता है जब वो मन्दसौर नगर पालिका अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार की हत्या के भाजपाई आरोपी मनीष बैरागी और इन्दौर के टिंकल हत्याकांड के भाजपाई आरोपी करोतिया बन्धुओं की प्राथमिक सदस्यता समाप्त करे।
दुबे ने कहा कि मप्र मे कांग्रेस को सत्ता में आने पर न सिर्फ आर्थिक बदहाली अपितु भाजपा सरकार पोषित जघन्य अपराधों की विकृत विरासत भी मिली है। कांग्रेस ने संकल्प लिया है कि भाजपा के घोषित एवं अघोषित अपराधी सदस्यों की सस्यता कांग्रेस सरकार समाप्त करेगी और मप्र को अपराध मुक्त प्रदेष बनायेगी यही संकल्प प्रदेष की कमलनाथ सरकार ने लिया है।
अभय दुबे ने कहा कि भाजपा ने सत्ता मे रहते मध्यप्रदेष की अस्मिता को गहरा आघात पहुँचाया था। कभी प्रदेष की ख्याति समूचे देष में सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों से हुआ करती थी, कलाकारों, कलमकारों, साहित्यकारों, इतिहासकारों ने यहाँ का मान सदा बढ़ाया है। मगर 15 वर्षों के भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने म.प्र. की ख्याति को धूमिल किया। देष की सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले म.प्र. को अपराधियों का गढ़ बना दिया था। अराजकतत्व भाजपा की सरपरस्ती में बेखौफ अपराध करते रहे हैं और रीढ़हीन नेतृत्व बलात्कारियों और अपराधियों के साथ खड़ा दिखाई देता था।
दुबे ने कहा कि अपराधियों का सर्वाधिक दंष प्रदेष की महिलाओं और बच्चों को सहना पड़ रहा था। म.प्र. में मामा सरकार के आने के बाद बलात्कार में 70 प्रतिषत की बृद्धि हुई, महिलाओं के अपहरण में 755 प्रतिषत की बृद्धि, नाबालिग बच्चियों से बलात्कार में 249 प्रतिषत की बृद्धि हुई। मामाजी जब 2004 में आये थे तो महिला अपराधों के अदालत में लम्बित मामले 6733 थे, जो 2016 में बढ़कर 85383 हो गये अर्थात् 1168 प्रतिषत की बृद्धि हुई थी। म.प्र. में सजा की दर 27.8 थी। अर्थात् 70 प्रतिषत से अधिक महिला अपराधों में मामा सरकार अपराधियों का साथ देती थी।

1. भाजपा शासनकाल के 13 वर्षों में 2,41,535 महिलाएँ अपराधियों का षिकार हुईं। 25,566 महिलाएँ अपहरित कर ली गईं, 46,317 महिलाएँ बलात्कारियों का षिकार हुईं और 93,479 महिलाएँ गंभीर छेड़छाड़ का शिकार हुईं।
2. महिला अपराधों की परिस्थितियाँ यह थी कि भाजपा सरकार आने के बाद महिला अपराध 74.99 प्रतिषत बढ़ गये थे।
3. महिलाओं के अपहरण की घटनाएँ 755 प्रतिषत बढ़ र्गइं थी।
4. महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएँ 70 प्रतिषत बढ़ र्गइं थी।
5. नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार 249 प्रतिषत बढ़ गये थे।
6. म.प्र. में भाजपा षासन काल में यह परिस्थितियाँ निर्मित र्हुइं कि अराजकतत्वों, अवसाद, आर्थिक बदहाली इत्यादि की वजह से 12 वर्षों में 27,457 गृहणियों को आत्महत्या के लिये मजबूर होना पड़ा था।
7. षिवराज सरकार के षासन में महिलाओं की परिस्थितियाँ यह थी कि 85,383 मुकदमे न्यायालय में लम्बित थे, अर्थात् 79.7 प्रतिषत केस लंबित थे।
8. म.प्र. में महिला अपराधों में सजा पाने वाले अपराधियों का कन्विक्षन रेट मात्र 27.8 था। अर्थात् 1 वर्ष में न्यायालय 14007 मुकदमों का निराकरण करता था तो उसमें से 10,119 आरोपियों को बरी कर दिया जाता था। अर्थात् महिलाओं पर अपराध करने वाले 70प्रतिषत से अधिक अपराधियों के साथ षिवराज सरकार खडी रहती थी।

गायों को लेकर महापौर आलोक शर्मा का बयान राजनीति से प्रेरित: शोभा ओझा

प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने कहा कि भोपाल के महापौर भाजपा नेता आलोक शर्मा का गौ-माता को लेकर ताजा बयान भाजपा की उसी मानसिकता का अंग है जो गाय के नाम पर, जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण करने की रही है। दरअसल कांग्रेस के वचन-पत्र में हर ग्राम पंचायत में गोशाला खोलने की धोषणा के बाद से ही भाजपा गो-माता के मुद्दो पर बैकफुट और बौखलाहट में है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि भाजपा की मानसिकता कभी भी गाय को संरक्षित करने की नहीं रही है, वह केवल गो-माता के नाम से अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकती रही है। नहीं तो क्या कारण है कि मध्यप्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस के मुस्लिम विधायक श्री आरिफ अकील जब प्रायवेट मेंबर बिल लाये थे, जिसमें गोवंश को मृत्यु उपरांत ससम्मान अंतिम संस्कार करने का प्रस्ताव पेश किया गया था, उस समय भाजपा के विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया था। साफ है कि भाजपा का चरित्र सत्ता में कुछ और विपक्ष में कुछ और हो जाता है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि भाजपा जब मुद्दाविहीन हो जाती है तब वह कभी गाय की हिमायती हो जाती है, राम मंदिर का राग अलापने लगती है, बजरंगबली की जाति पर व्यर्थ की बहस छेड़ती है और कभी सांप्रदायिक धु्रवीकरण के अन्य विकल्प तलाशने लग जाती है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि हाल ही में जब रीवा के नगर निगम परिसर में कई गायों के शवों के दबे होने का मामला सामने आया था तब स्थानीय भाजपा नेता मामले को दबाने में लगे हुए थे। वास्तविक रूप से भाजपा के नेताओं का गाय, मंदिर और अन्य मानवीय मुद्दो से कोई लेना-देना नहीं है। ये सिर्फ उनके लिए वोट और सत्ता प्राप्ति का माध्यम मात्र है। दरअसल आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए असली मुद्दो जैसे मंहगाई, बेरोजगारी और भष्टाचार से ध्यान भटकाने के लिए आ रहे ऐसे बयान भाजपा नेताओं का असली चाल, चरित्र और चेहरा दर्शा रहे हैं।

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