Publish Date:16-Jan-2020 19:40:28
नई दिल्ली, 16 जनवरी 2020, टेलीकॉम कंपनियों की मुश्किलें अब कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एयरटेल जैसी कंपनियों की तमाम कोशिशों के बावजूद भी अब हफ्ते भर में उन्हें 1.02 लाख करोड़ रुपये देने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है.
24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था अब कोर्ट इसी पर कायम है और इस फैसले को रिव्यू नहीं किया जाएगा. गौरतलब है कि ये पैसे AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू का है और इन तीनों कंपनियों को मिल कर 1.02 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं. इनमें एडिशनल लाइसेंस फीस, स्पेक्रटम यूसेज, पेनाल्टीज और इंट्रेस्ट शामिल हैं.
इन कंपनियों को उम्मीद थी कि कोर्ट से AGR पर राहत मिल सकती है. लेकिन जस्टिस अरूण मिश्रा, एस.ए. अब्दुल नजीर और एम.आर.शाह की एक बेंच ने हियरिंग के दौरान इस रिव्यू को रिजेक्ट कर दिया है.
आपको बता दें कि वोडाफोन-आईडिया और एयरटेल को इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा पैसे भरने पड़ेंगे. वोडाफोन-आईडिया को 53,039 करोड़ रुपये देने हैं, जबकि एयरटेल को 35,586 करोड़ रुपये देने हैं. 23 जनवरी तक की डेडलाइन है यानी इससे पहले तक इन कंपनियों को पैसे चुकाने हैं.
एयरटेल की प्रतिक्रिया
भारती एयरटेल ने AGR रिव्यू रिजेक्ट होने के बाद स्टेटमेंट जारी किया है. कंपनी ने कहा है, 'माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए, हम अपनी निराशा व्यक्त करना चाहते हैं. हमारा मानना है कि AGR डेफिनिशन के संबंध में लंबे समय से चले आ रहे विवादों को उठाया जाना वास्कविक और बोनाफाइड था'
एयरटेल ने कहा है कि इंडस्ट्री लगातार फिनांशियल स्ट्रेस से गुजर रही है और इसके परिणाम से इस क्षेत्र की व्यवाहर्यता पूरी तरह से खराब हो सकती है. कंपनी का ये भी कहना है कि एयरटेल क्यूरेटिव पिटिशन फाइल करने को लेकर विचार कर रही है.
क्या है AGR
एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.
साभार- आज तक