Publish Date:30-Nov-2017 00:43:17
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में दो-सदस्यीय पीठ के पूर्व के आदेश की समीक्षा करने के आज संकेत दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामलों की जांच कैसे की जाए, इसे लेकर वह दिशानिदेर्श जारी नहीं कर सकती।
न्यायालय ने कहा कि ऐसा करना अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन होगा। पीठ ने, हालांकि इस बात के संकेत दिये कि दहेज उत्पीड़न की शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई से पहले इनकी जांच के लिए समितियां गठित करने के दो-सदस्यीय पीठ के पूर्व के निदेर्श की समीक्षा की जा सकती है।
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने दहेज उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए दिशानिदेर्श जारी किये थे। दिशानिदेर्श में यह बताया गया था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत दहेज के मामलों में पुलिस किस प्रकार कार्रवाई करे। न्यायालय ने, हालांकि कहा कि दहेज उत्पीड़न से संबंधित धारा 498ए के वैधानिक प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए किसी प्रकार के दिशानिदेर्श की जरूरत नहीं है।
इस मामले में दो न्याय-मित्रों- वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर और इंदु मल्होत्रा ने दो-सदस्यीय पीठ के संबंधित आदेश पर रोक की मांग की थी, जिसके तहत दिशानिदेर्श जारी किये गये थे। न्यायालय ने इस बारे में विचार करने के संकेत दिये हैं।
साभार- लाइव हिन्दुस्तान