Publish Date:30-Jan-2019 19:06:49
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए SC/ST अत्याचार अधिनियम संशोधन कानून 2018 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 फरवरी को होगी. बता दें कि पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने एसटी एससी कानून को थोड़ा नर्म करते हुए तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था. लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार SC/ST अत्याचार अधिनियम संशोधन कानून 2018 लेकर आई जिसमें पुराने प्रावधानों को वापस लागू कर दिया गया था.
अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होता था. ऐसे मामलों में जांच केवल इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर ही करते थे. इन मामलों में केस दर्ज होने के बाद तुरंत गिरफ्तारी का भी प्रावधान था. इस तरह के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी. सिर्फ हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकती थी. सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होती थी. एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती थी.
लेकिन, 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है. जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी. हालांकि, कोर्ट ने यह साफ किया गया है कि गिरफ्तारी की इजाजत लेने के लिए उसकी वजहों को रिकॉर्ड पर रखना होगा.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में कई प्रदर्शन हुए थे. दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने संशोधन बिल पास कर पुराने नियमों को वापस लागू कर दिया.
साभार- न्यूज 18