19-Apr-2024

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भारत और ईरान के बीच 9 समझौतों पर हस्ताक्षर, चाबहार को दी प्रमुखता

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नई दिल्ली: भारत और ईरान ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना साफ इशारों में कहा है कि जो देश आतंकवाद को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मदद देते हैं उनकी भर्त्सना की जानी चाहिये। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बातचीत के बाद दोनों देशों ने जारी सांझा बयान में स्पष्ट कहा कि आतंकवादियों और उनके गुटों के सुरक्षित अडडो को हर तरह की मदद तुरंत बंद होनी चाहिये।

दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ाने को इच्छुक
दस साल बाद ईरान के किसी राष्ट्रपति के भारत दौरे में आपसी रिश्तों को नया आयाम देने के संकल्प के साथ ही दोनों पक्षों में सहयोग के 9 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इन समझौतों से भारत और ईरान के बीच आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों में और गहराई आएगी। अफगानिस्तान और जम्मू कश्मीर में अस्थिरता और अशांति पैदा करने के लिये आतंकवादियों के इस्तेमाल का भी जिक्र भारत ने किया। ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि क्षेत्र के सभी विवाद आपसी बातचीत से ही दूर हो सकते हैं।हालांकि सांझा बयान में ईरान और छह देशों के बीच परमाणु समझौते के बारे में कोई जिक्र नहीं है लेकिन दोनों नेताओं के बीच यह मसला उठा और भारत ने ईरान के साथ छह देशों के परमाणु समझौते को बनाए रखने का समर्थन किया।

दोनों देशों ने की आतंकवाद को मदद देने वालों की निंदा
उल्लेखनीय है कि अमरीका ने इस समझौते को रद्द करने की धमकी दी है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत के बाद ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने कहा कि हम आतंकवाद से लड़ने के लिये प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और अन्य मसलों पर भारत और ईरान के विचारों में समानता रही। उन्होंने कहा कि भारत और ईरान के रिश्ते राजनयिक औऱ आर्थिक दायरे से बाहर जाते हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत रिश्ते रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच सुरक्षा औऱ सैन्य मसलों पर भी सहयोग और आदान प्रदान को जारी रखने पर बातचीत हुई। दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि समुद्री क्षेत्र में दोनों देश सहयोग की सम्भावनाएं तलाशेंगे। एक दूसरे के नौसैनिक अडडों पर एक दूसरे के युद्धपोतों के दौरों पर भी दोनों पक्षों ने चर्चा की।

अफगानिस्तान मसले पर हुई गहन बातचीत
दोनों देशों के आला सुरक्षा अधिकारी आपसी हितों के मसलों पर निरंतर विचारविमर्श करते रहेंगे। अफगानिस्तान मसले पर भी दोनों नेताओं के बीच गहन बातचीत हुई। दोनों ने कहा कि वे अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता सरकार का समर्थन करते हैं। क्षेत्रीय यातायात सम्पर्क बढ़ाने के लिये भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच चल रहे सहयोग को औऱ तेज करने के संकल्प के साथ ही ईरान और भारत ने जमीनी सम्पर्क में किसी तरह की बाधा पैदा नहीं करने की बात की। राजनयिक सूत्रों ने कहा कि दोनों का इशारा पाकिस्तान की ओर था जिसने भारत और अफगानिस्तान के बीच जमीनी व्यापार सम्पर्क को रोका हुआ है।

चाबाहार बंदरगाह के पहले चरण को भारत को सौंपने पर संतोष जाहिर करते हुए ईरानी राष्ट्रपति ने चाबाहार से जाहेदान तक रेल लाइन बिछाने पर भी काम तेज करने को कहा। इस रेल लाइन से भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच यातायात सुगम होगा जिससे आपसी व्यापारिक रिश्ते गहरे होंगे। इस बंदरगाह के जरिये भारत ने पिछले महीने ही अफगानिस्तान के लिये दो लाख टन गेंहूं की सप्लाई शुरू की है।

 सहयोग के समझौते

1.       दोहरा कराधान से बचने और करचोरी रोकने का समझौता

2.       राजनयिकों के लिये वीजा छूट पर समझौता

3.       प्रत्यर्पण संधि के दस्तावेज का आदान प्रदान

4.       चाबाहार के शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के पहले चरण को पट्टे पर देने का अनुबंध

5.       पारम्परिक औषधि में सहयोग का समझौता

6.       आपसी रुचि के क्षेत्रों में व्यापार संवर्द्धन के लिये विशेषज्ञ दल के गटन पर समझौता

7.       कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में सहयोग का समझौता

8.       स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग का समझौता

9.       डाक सहयोग पर समझौता

साभार- पंजाब केसरी

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