20-Apr-2024

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मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प योजना में साढ़े 5 लाख अस्थायी पम्प कनेक्शन जून 2019 तक स्थायी होंगे

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अब तक एक लाख से अधिक अस्थायी पम्प कनेक्शन स्थायी किए गए
ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए 2 हजार 773 करोड़ रूपए
मुख्यमंत्री चौहान ने ली ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक

मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना में आगामी जून 2019 तक साढ़े 5 लाख अस्थायी पम्प कनेक्शनों को स्थायी पम्प कनेक्शन में बदला जाएगा। अब तक एक लाख 7 हजार अस्थायी पम्प कनेक्शनों को स्थायी में परिवर्तित किया जा चुका है। इस योजना पर 4 हजार 97 करोड़ रूपए व्यय किए जाएंगे। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में ग्रामीणी विद्युतीकरण के लिए 2 हजार 773 करोड़ रूपए व्यय किए जाएंगे। यह जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गयी ऊर्जा विभाग की समीक्षा में दी गई। बैठक में ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि अधोसंरचना संबंधी कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें। विद्युत बिलों की बेहतर व्यवस्था की जाए। विद्युत व्यवस्था में सुधार के लिए उपभोक्ताओं का सहयोग लें। इस संबंध में उन्हें जागरूक करें। विद्युत वितरण में होने वाली हानि को कम करने के लिए लगातार प्रयास करें। मुख्यमंत्री ने विभाग द्वारा व्यवस्थाओं में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

दस वितरण ट्रांसफार्मर टेस्टिंग लैब स्थापित होगी

बताया गया कि गुणवत्ता सुधार के लिए दस वितरण ट्रांसफार्मर टेस्टिंग लैब स्थापित की जाएगी। मीटर रीडिंग और बिलिंग की नई व्यवस्था बनायी जाएगी। रबी के दौरान औसत 10 हजार 900 मेगावॉट विद्युत प्रदाय की गयी है। विद्युत वितरण कम्पनियों में समान स्पेसिफिकेशन की सामग्री खरीदी जाएगी। प्रदेश में 5 हजार 886 विद्युत फीडरों का सेपरेशन कार्य पूरा हो गया है। शेष 820 फीडर सेपरेशन का कार्य आगामी जून 2018 तक पूरा होगा। विद्युत शुल्क के बड़े बकायादारों से वसूली की कार्रवाई के तहत 274 करोड़ रूपए वसूल किए गए हैं। जारी वित्तीय वर्ष में अब तक 21 हजार 292 के लक्ष्य के विरूद्ध 27 हजार 972 वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना की गयी है। शहरी क्षेत्र में विद्युत प्रणाली सुदृढ़ीकरण के लिए 308 शहर के लिए एक हजार 492 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं।

एम.पी. जेनको द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 में वाणिज्य हानि में एक हजार करोड़ रूपए की कमी कर 26 करोड़ रूपए का लाभ अर्जित किया गया है। संचालन और संधारण व्यय में लगभग 69 करोड़ रूपए की कमी की गयी है। प्रदेश में बीते 13 वर्ष में विद्युत वितरण क्षमता 4 हजार 805 मेगावॉट से बढ़कर 15 हजार 100 मेगावॉट हो गयी है। इसी तरह विद्युत वितरण में हानि 7.9 प्रतिशत से कम होकर 2.8 प्रतिशत हो गयी है। प्रदेश का यह प्रतिशत देश में दिल्ली और पश्चिम बंगाल के बाद तीसरे स्थान पर है। विभाग द्वारा मोबाईल एप से चिन्हित जनसेवाएँ उपलब्ध कराने की कार्रवाई शुरू की गयी है। स्मार्ट मीटर स्थापित करने की कार्य-योजना बनायी जाएगी। ग्यारह के.व्ही. फीडरों की मासिक हानियों की मॉनीटरिंग साफ्टवेयर द्वारा की जाएगी। बीते दस वर्षों में विद्युत वितरण में कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानि (ए.टी.एण्ड.सी.) 42.55 प्रतिशत से कम होकर 23.45 प्रतिशत हो गयी है।

बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त ए.पी. श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा इकबाल सिंह बैस, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव ऊर्जा मनु श्रीवास्तव सहित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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