नईदिल्ली; जातिगत आरक्षण विरोधी महासम्मेलन में सपाक्स प्रमुख हीरालाल त्रिवेदी भाग लेते हुए कहा कि जातिगत आरक्षण विगत 68 वर्षों से जारी है, परन्तु इसका लाभ अब एक विशेष तबका ही उठा रहा है। यहाँ तक कि दुरस्थ, दुर्गम एवम ग्रामीण इलाको में रहने वाले गरीब एवम पिछड़े लोगों तक भी इसका लाभ नही पहुँच रहा है। उन्होंने कहा कि इस देश मे सरकारों द्वारा योग्यता और दक्षता को हमेशा दरकिनार किया है। यह कि एट्रोसिटी एक्ट में सुधार एवम पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी केंद्र एवम राज्य सरकारें पालन नही कर रही है अतः अब समय आ गया है कि सामान्य, पिछड़ा वर्ग, एवम अल्पसंख्यक वर्ग को संगठित होकर एक साथ आना होगा। साथ ही दुरस्थ, दुर्गम, एवम ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालो अति पिछड़े लोगों को भी जोड़कर उन्हें बताना होगा कि वर्तमान आरक्षण में जो विकृतियां आ गयी है, उससे उनका कभी भला नही होगा। त्रिवेदी ने दिल्ली के राममोहन राय हॉल में जातिगत आरक्षण विरोधी संगठनों के सम्मेलन में सपाक्स समाज म प्र के प्रतिनिधि के रूप में यह बात कही।
त्रिवेदी ने बताया कि आज देश आरक्षण के कारण किन विपरीत परिस्थतियों का सामना कर रहा है। बड़े राजनीतिक दलों की वर्ग विशेष को संतुष्ट करने की सियासी एवम घातक नीति के कारण देश मे धीरे धीरे वर्ग संघर्ष की स्थिति बनती जा रही है। उन्हीने यह भी बताया कि एमपी में सपाक्स समाज इस दिशा में क्या क्या काम कर रहा है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि आज आरक्षण विरोध के नाम पर कुछ लोग छोटी छोटी पार्टी बनाकर लड़ना चाहते हैं यह अच्छी बात नही है। उन्होंने राज्य स्तर एवम राष्ट्रीय स्तर पर एक छतरी के नीचे आने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि म प्र में सपाक्स यह कार्य कर रहा है, अन्य राज्य भी वैसा करे। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने एक मंच का गठन करने का प्रस्ताव किया जिसे सर्वसम्मति से मान्य किया गया। हीरालाल त्रिवेदी के प्रस्ताव एवम विनायक पांडे के अनुसमर्थन पर दिल्ली के अभिषेक शुक्ला को राष्ट्रीय मंच का संयोजक मनोनीत करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से मान्य हुआ। सभी राज्यों से एक या दो प्रतिनिधि लेकर लोकसभा चुनाव के लिए एक मंच गठित करके आगे कार्यवाही की जाने; म प्र, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव संगठित होकर लड़ने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से आये कई प्रतिनिधयों ने विचार व्यक्त किये। सम्मेलन का संचालन राजस्थान के राम मिश्रा ने किया।
संमेलन को दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, म प्र, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक एवम छत्तीसगढ़ राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।