Publish Date:28-Jan-2018 19:34:45
भोपाल, 28 जनवरी। मध्यप्रदेश में गणतंत्र दिवस समारोह का समापन 29 जनवरी को भोपाल के मोतीलाल नेहरु स्टेडियम में ’’बीटिंग द रिट्रीट’’ समारोह से होगा। पुलिस पाईप बैण्ड, ब्रास बैण्ड, और फिर मास्ड बैण्डस द्वारा कर्णप्रिय संगीतमयी धुन, सामूहिक वादन तथा क्वीक एवं स्लो मार्च की प्रस्तुतियां एस.ए.एफ. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एस.एल.थाउसेन के मार्गदर्शन में दी जायेगी। इस कार्यक्रम में सभी नागरिक आमन्त्रित हैं।
’’बीटिंग द रिट्रीट’’ सैन्य व अर्द्ध सैन्य बलों की प्राचीन परम्परा है। युद्ध के बाद जब सैन्य टुकड़ियाँ वापस अपने कैम्पों में आती थीं तो युद्ध के बाद तनाव कम करने एवं मनोरंजन के लिए बैण्ड वादन का कार्यक्रम रखा जाता था। भारत में इस कार्यक्रम के साथ ही गणतन्त्र दिवस के कार्यक्रमों की औपचारिक समाप्ति होती है। कार्यक्रम की शुरूआत शाम 4.30 बजे राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल को राष्ट्रगान द्वारा सम्मान प्रकट कर की जाएगी। फिर पुलिस ब्रास बैण्ड द्वारा हिन्दी व अंग्रेजी क्लासिकल धुनों के साथ ही नई एवं पुरानी हिन्दी फिल्मों के 10 गानों की आकर्षक संगीतमय प्रस्तुति दी जाएगी। तीनों बैण्ड द्वारा मार्चपास्ट करते हुए बैण्डवार व सामूहिक प्रस्तुतियाँ दी जाएगी।
कार्यक्रम की समाप्ति में सभी बैण्ड सामूहिक प्रस्तुति देंगे व ’’सारे जहाँ से अच्छा’’ के गाने पर मार्चपास्ट करेंगे । राष्ट्रगान के पश्चात् आतिशबाजी का आकर्षक कार्यक्रम होगा।
इस वर्ष पुलिस ब्रास बैण्ड द्वारा बीटिंग द रिट्रीट में निम्न प्रस्तुतियाँ होगी:-
1. स्पेनिश जिप्सी डांस - स्पेनिश धुन
2. आओ हुजूर - हिन्दी फिल्म संगीत
3. एल बिम्बो - स्पेनिश धुन
4. राग भूपाली - भारतीय क्लासिकल
5. आ....जाने जा - हिन्दी फिल्म संगीत
6. हँसता हुआ नुरानी चेहरा - हिन्दी फिल्म संगीत
7. ओवर द वेव्स - वाल्ट्ज
8. पुकारता चला हूँ मैं - हिन्दी फिल्मी संगीत
9. दि लास्ट ऑफ मोहीकेन्स - दि लास्ट ऑफ मोहीकेन्स फिल्म संगीत
10. दि फाइनल काउंटडाउन - जोये टेम्पेस्ट द्वारा गाया गया यूरोपियन गीत
पुलिस पाईप बैण्ड, ब्रास बैण्ड, और फिर मास्ड बैण्डस द्वारा संगीतमयी प्रस्तुतियां दी जायेगी।
’’बीटिंग द रिट्रीट’’ का गौरवमयी इतिहास
’’बीटिंग रिट्रीट’’ सैन्य व अर्ध सैन्य बलों की प्राचीन परम्परा है। युद्ध के बाद सैन्य टुकड़ियॉ वापस अपने शिविरों में आती थीं तो युद्ध के तनाव को कम करने एवं मनोरंजन के लिए बैण्ड वादन का कार्यक्रम होता था । भारत में इस कार्यक्रम के साथ ही गणतंत्र दिवस कार्यक्रम की औपचारिक समाप्ति होती है ।
देश में ’’बीटिंग द रिट्रीट’’ कार्यक्रम आयोजित करने वाला मध्यप्रदेश एकमात्र राज्य है जहाँ प्रतिवर्ष 29 जनवरी को पुलिस द्वारा राजधानी भोपाल में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में रायसीना हिल्स के विजय चौक पर भारतीय थल सेना, वायु सेना और जल सेना के बैण्ड दलों द्वारा वादन एवं मार्चपास्ट की आकर्षक सामूहिक प्रस्तुति माननीय राष्ट्रपति के समक्ष की जाती है।
’’बीटिंग द रिट्रीट’’ भारतीय मिलिट्री बैंड की सालों पुरानी शानदार परम्परा है। शंख तुरही, संगी, नागड़ा और रणभेरियॉ पहले भारतीय मिलिट्री बैंड के वाद्य यंत्र थे। इसके बाद हिन्दुस्तान ने सैंकड़ों लड़ाईयाँ लड़ी। जिनमें संगीत लगभग हर सैनिक अभियान का हिस्सा रहा। लेकिन आज हम जिस भारतीय मिलिट्री बैंड को जानते हैं उसकी कहानी 300 वर्ष के ब्रिटिश मिलिट्री बैंड के इतिहास से जुड़ी है।
भारतीय मिलिट्री बैण्ड की खासियत हिन्दुस्तानी धुनें हैं । भारतीय युद्ध और संगीत परम्पराओं में रची - बसी हिन्दुस्तानी और विदेशी इंस्ट्रूमेंट्स पर बजाई गई धुनें। भारतीय मिलिट्री बैंड के मास्टरों ने पंजाब, राजस्थान, मारवाड़, गढ़वाल और कोंकण के लोकगीतों से धुनें उठाईं। मसलन वीर गुरखा, कोंकण सुंदरी, अल्मोड़ा मार्च, कोराला, चन्ना बिलौरी, पटनी टॉप और हंसते लुशाई।
पचमढ़ी मिलिट्री म्यूजिक स्कूल की स्थापना 1950 में की गई थी । ब्रिटिश हुकूमत खत्म हुई तो मिलिट्री बैंड का भारतीयकरण शुरु हुआ । कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा ने इस चुनौती को कबूला और 1950 में मध्यप्रदेश के पचमढ़ी इलाके में मिलिट्री स्कूल ऑफ म्यूजिक की नींव डाली । इसे आज लंदन के ’’नैलर हॉल में मौजूद रायल मिलिट्री स्कूल ऑफ म्यूजिक की तर्ज पर नैलर हॉल ऑफ इंडिया’’ कहा जाता है । यही वो वक्त था जब मेजर रार्ब्ट्स ने भारतीय धुनों पर आधारित हिन्दुस्तानी मिलिट्री बैंड को आकार दिया था ।
मध्यप्रदेश पुलिस की विशेष सशस्त्र बल की भोपाल स्थित 7वीं वाहिनी में पुलिस बैण्ड स्कूल संचालित है । इस स्कूल में विसबल की वाहिनियों सहित पुलिस अकादमी सागर और पी.टी.सी. इन्दौर के बैण्ड के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है । साथ ही नई - नई धुनें भी तैयार की जाती है ।