Publish Date:16-Dec-2017 23:20:25
नई दिल्ली: अमेरिका में नेट न्यूट्रैलिटी कानून को वापस लिए जाने के बाद कानून और दूरसंचार केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने नेट न्यूट्रैलिटी का पूर्ण समर्थन करते हुए शुक्रवार को भारत में इंटरनेट यूजर्स को कुछ राहत पहुंचाने की कोशिश की. रविशंकर प्रसाद ने प्रसाद ने कहा कि, यह अमेरिका के लिए नेट न्यूट्रैलिटी पर अपना स्टैंड क्लियर करने का वक्त था, मगर हमारा स्टैंड तो पहले दिन से ही स्पष्ट है कि इंटरनेट तक सबकी समान पहुंच के अधिकार से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. आगे उन्होंने कहा कि जब उनके पास संचार मंत्रालय का प्रभार था तो उन्होंने फेसबुक की फ्री-बेसिक्स योजना को अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
उन्होंने कहा कि इंटरनेट सबके लिए उपलब्ध होना चाहिए. जब मेरे पास संचार विभाग था, पहले दिन से ही मैंने संसद में कहा कि इंटरनेट तक सबकी समान पहुंच के अधिकार को अनदेखा नहीं किया जा सकता. मैं नेट न्यूट्रैलिटी के बहस में नहीं पड़ना चाहता, यह अमेरिका को तय करना है. मैं और हमारी सरकार का रुख इस पर शुरू से स्पष्ट है. मंत्री ने फेसबुक के फ्री बेसिक्स प्लेटफ़ॉर्म के का स्पष्ट रूप से इनकार कर देने के उदाहरण का हवाला दिया. जिसमें दूसरों को छोड़कर कुछ वेबसाइटों पर मुफ्त पहुंच लाने का फेसबुक का इरादा था.
रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि, ‘इंटरनेट तक पहुंच के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता. यह मैंने पहले भी कहा था जब फेसबुक फ्री बेसिक्स के साथ भारत आई और मैंने इसकी समीक्षा की, उस समय मेरे पास संचार विभाग था. मैंने पाया कि यह तभी मुफ्त होगी जबकि आप उनके दरवाजे से ही आएंगे. भारत किसी एक दरवाजे या प्रवेश द्वार में भरोसा नहीं करता और मैंने उन्हें इसके लिए अनुमति नहीं दी.
बता दें कि दूरसंचार नियामक ट्राई ने विभिन्न डेटा प्लेटफार्म के लिए भेदकारी कीमतों के खिलाफ व्यवस्था दी है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने पिछले साल फरवरी में इंटरनेट एक्सेस पर भेदभावपूर्ण मूल्य पर एक आदेश जारी किया था जिसकी वजह से फ्री बेसिक्स और एयरटेल ज़ीरो जैसी प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. ट्राई की सिफारिशों पर अब दूरसंचार विभाग को फैसला करना है.
प्रसाद ने कहा कि जब उन्होंने आईटी मंत्रालय का कार्यभार संभाला केवल दो ही कंपनियां देश में मोबाइल फोन बना रही थी. उन्होंने कहा ‘मुझे आज यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि बीते तीन साल में भारत में मोबाइल कारखानों की संख्या 108 तक पहुंच गई.’
साभार- एनडीटीवी इंडिया