19-Apr-2024

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PM ने पहली मेड इन इंडिया स्कॉर्पीन सबमरीन नेवी को सौंपी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुंबई में नौसेना को कलवरी पनडुब्बी सौंपी। कलवरी सबमरीन को कमीशन करने के बाद पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में फ्रांस ने काफी मदद की है। कलवरी प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि मैं इसको स्पेशल नाम से बुलाता हूं, S. A. G. A. R. यानी सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन। पीएम ने यह भी कहा कि भारत आतंकवाद, ड्रग स्मगलिंग आदि से निपटने में महत्वपूर्ण रोल निभा रहा है। मोदी ने अपनी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि पिछले तीन सालों में रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव हुए हैं।

कार्यक्रम में क्या-क्या बोले पीएम:

-INS कलवरी के निर्माण के दौरान जो तकनीकि दक्षता भारतीय कंपनियों को, भारतीय उद्योगों को, छोटे उद्यमियों को, हमारे इंजीनियरों को मिली है, वो देश के लिए एक तरह से खजाना हैं। ये हमारे लिए एक पूंजी हैं।

-हमारी सरकार की सुरक्षा नीतियों का अनुकूल प्रभाव बाहरी ही नहीं बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी पड़ा है। आप सभी जानते हैं कि किस प्रकार आतंकवाद को भारत के खिलाफ एक प्रॉक्सी वॉर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

-सरकार की नीतियों और हमारे सैनिकों की वीरता का परिणाम है कि जम्मू-कश्मीर में हमने ऐसी ताकतों को सफल नहीं होने दिया। जम्मू-कश्मीर में इस साल अब तक 200 से ज्यादा आतंकी, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षाबलों के सहयोग से मारे जा चुके हैं। पत्थरबाजी की घटनाओं में भी काफी कमी आई है।

-इस अवसर पर हर उस व्यक्ति का आभार व्यक्त करता हूं जिसने देश की सुरक्षा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। राज्यों के पुलिस बल, अर्ध सैनिक बल, हमारी सेनाएं, सुरक्षा में लगी हर वो एजेंसी जो दिखती है, हर वो एजेंसी जो नहीं दिखती है, उनके प्रति इस देश के सवा सौ करोड़ लोग कृतज्ञ हैं। आज INS कलवरी के साथ एक नए सफर की शुरुआत हो रही है। समुद्र देव आपको सशक्त रखें, सुरक्षित रखें।

स्कॉर्पीन श्रेणी की इस पनडुब्बी को शिपबिल्डर्स मझगांव डॉक लिमिटेड में तैयार किया गया है। अधिकारी ने बताया कि कलवरी का 120 दिनों का व्यापक समुद्री परीक्षण किया जा चुका है। इससे भारतीय नौसेना की रक्षा क्षमताएं बढ़ने की उम्मीद है।

पढ़ें- दुश्मन की सबमरीन को मात देने लिए साथ तैयारी कर रहे भारत-जापान

फ्रांस नौसेना और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने पनडुब्बी का डिजाइन तैयार किया है। इसे भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत मुंबई के मंझगांव डॉकयॉर्ड में तैयार किया गया है। कलवरी का नाम टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया है। 1967 को पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी नौसेना में शामिल हुई थी, जिसे 31 मई 1996 को सेवानिवृत्त कर दिया गया था।

क्या है खास?

कलवरी जैसी कुल छह पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं। बाकी पांच पनडुब्बियों को 2020 तक नेवी को सौंप दिया जाएगा। बता दें कि भारत के पास कुल 15 सबमरीन हैं, इसमें कुछ रूसी और कुछ जर्मन में बनी हैं। वहीं चीन की सबमरीन्स की संख्या भारत से चार गुना ज्यादा है।

कलवेरी इस वक्त की सबसे मॉर्डन गैर परमाणु सबमरीन है, इसमें बेहद कम शोर करने वाली डीजल मोटर लगी है, इसकी वजह से पानी के अंदर इसका पता लगा पाना दुश्मन देश के लिए आसान नहीं होगा।

कलवरी भारी-भरकम हथियारों से लेस है जो सामने वाले पर पानी के ऊपर और अंदर दोनों से घातक वार करने में सक्षम हैं। कलवेरी मलयालम शब्द है, इसका मतलब होता है टाइगर शार्क। वह शार्क अपनी चपलता, ताकत और शिकारी कौशल के लिए जानी जाती है।

साभार- अमर उजाला

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