Publish Date:28-Feb-2020 19:40:35
लखनऊ, 28 फरवरी 2020, उत्तर प्रदेश में लोक सेवा आयोग की ओर से की जाने वाली भर्तियों में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. इससे संबंधित प्रस्ताव शुक्रवार को विधानसभा में पारित हो गया. यूपी विधानसभा में उत्तर प्रदेश लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) विधेयक 2020 पारित हो गया है.
इस विधेयक के अनुसार आरक्षण का प्रावधान सीटों की संख्या में इजाफा करके किया जाएगा. सरकार की दलील है कि इससे किसी को नुकसान भी नहीं उठाना पड़ेगा और केंद्र सरकार के नियम का पालन भी हो जाएगा. इसके अलावा विधानसभा से दो और प्रस्ताव पारित किए गए. इनमें सूबे के संपत्ति विभाग के नियंत्रण में आने वाले भवनों का आवंटन संशोधन विधेयक और उत्तर प्रदेश मॉल और सेवा कर संशोधन विधेयक शामिल हैं.
बताया जाता है कि भवन आवंटन संशोधन विधेयक के पारित होने से राज्य संपत्ति विभाग की राजधानी लखनऊ स्थित ओसीआर बिल्डिंग में सरकारी उपक्रमों, निगमों के उपाध्यक्ष, सलाहकार और सदस्यों को आवास आवंटित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. वहीं, उत्तर प्रदेश मॉल और सेवा कर संशोधन विधेयक के पास होने से व्यापारियों को बड़ा लाभ होगा. व्यापारियों को इससे कर में 20 लाख की अतिरिक्त छूट मिलेगी.
व्यापारियों को कर पर मिलने वाली छूट का दायरा अब 20 से बढ़कर 40 लाख हो जाएगा. इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सूबे के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कम्पोजिट स्कीम के तहत प्रत्येक तीन माह में रिटर्न भरने की अनिवार्यता समाप्त करने की जानकारी देते हुए कहा कि अब रिटर्न साल में एक बार ही दाखिल करना होगा.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को ही विधानसभा में विधायक निधि दो से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये सालाना करने का प्रस्ताव पेश किया. मुख्यमंत्री ने विधायकों के वेतन, भत्ते और पेंशन पर भी चर्चा को जरूरी बताया और इसके लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का प्रस्ताव पेश किया. बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है.
अब 3 करोड़ होगी विधायक निधि
उत्तर प्रदेश में विधायक निधि बढ़ जाएगी. विधायक निधि अभी दो करोड़ रुपये सालाना है. योगी सरकार ने शुक्रवार को इसे दो से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये सालाना करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया. यह प्रस्ताव खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में पेश किया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायक निधि में वृद्धि का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि विधायकों के वेतन, भत्तों और पेंशन को लेकर चर्चा भी जरूरी है. उन्होंने इसके लिए भी कमेटी बनाने का प्रस्ताव पेश किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के गठन के बाद यह दूसरा अवसर है, जब विधायक निधि बढ़ाई गई है. इससे पहले अभी पिछले साल 2019 में ही सरकार ने विधायक निधि को डेढ़ करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये सालाना किया था. अब इसे डेढ़ गुना बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया गया है.
विधायकों को वेतन और भत्ते देने के मामले में उत्तर प्रदेश अभी तेलंगाना और दिल्ली के बाद तीसरे नंबर पर है. तेलंगाना और दिल्ली, दोनों राज्यों में विधायकों को वेतन भत्ते के तौर दो लाख रुपये से अधिक की राशि प्रत्येक माह मिलती है. वहीं, उत्तर प्रदेश में विधायकों को मिलने वाला वेतन भत्ता अभी 1.87 लाख रुपये मासिक है. बता दें कि विधायक निधि बढ़ाने की मांग विधायकों की ओर से रह-रहकर की जाती रही है.
साभार- आज तक