27-Apr-2024

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 31 मार्च तक आम्रपाली ग्रुप जमा करे 200 करोड़ रुपये

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को 200 करोड़ रुपये 31 मार्च तक जमा कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने इस मामले में कंपनी की तरफ से हलफनामा मांगा और पूछा कि वह बताये कि अब तक किस प्रोजेक्‍ट में कितने पैसे लगाए गए हैं और किस कंपनी के कौन-कौन डायरेक्टर हैं. ग्रुप को अब बताना होगा कि शुरू से लेकर अब तक कंपनी के कौन-कौन डायरेक्टर रहे हैं. मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी.

आम्रपाली ग्रुप पर आरोप है कि उसने खरीददारों के फ्लैट अब तक नहीं दिए हैं. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ग्रुप के पांच सितारा होटल, FMCG कंपनी और मॉल को अटैच करने का आदेश दिया था. जानकारी के लिए बता दें कि आम्रपाली ग्रुप का नोएडा और ग्रेटर नोएडा में करीब 170 टावर का प्रोजेक्ट हैं. करीब 46 हजार खरीददारों ने यहां निवेश किया है. आम्रपाली ग्रुप का कहना है कि अब तक वह इन प्रोजेक्ट्स में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर चुका है.

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि ग्रुप के एक पांच सितारा होटल सहित मौके की दो संपत्तियों के नीलामी में नहीं बिकने में मिलीभगत हो सकती है. अदालत ने सवाल किया कि क्या बैंक इस मिलीभगत में शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह ''हैरान और परेशान करने वाला'' है कि बैंकर्स संपत्तियों पर ऋण देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंक सरकारी कंपनी एनबीसीसी की परियेाजनाओं पर ऋण उपलब्ध कराने को तैयार हैं लेकिन वे एक नीलामी में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) द्वारा बेची जा रही आम्रपाली संपत्तियों पर कर्ज उपलब्ध कराने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. डीआरटी ने 31 जनवरी को ग्रेटर नोएडा के पांच सितारा 'आम्रपाली होलीडे इन टेक पार्क' तथा उत्तर प्रदेश के वृंदावन की एक मौके की जमीन की नीलामी की लेकिन किसी बोलीकर्ता ने बोली नहीं लगाई.

साभार- जी न्‍यूज

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि वह पहले संपत्तियों के कम मूल्यांकन को लेकर चिंतित थी लेकिन 31 जनवरी को हुई नीलामी में किसी बोलीकर्ता ने मुख्य संपत्तियों की बोली नहीं लगाई. पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि सोचे समझे प्रयास किए गए कि संपत्तियां बिक नहीं पाएं, क्योंकि नीलामी में कोई बोली नहीं लगाई गई. बाहरी लोगों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता. पहली नजर में ऐसा लगता है कि मिलीभगत चल रही है. क्या बैंक भी इस मिलीभगत में शामिल हैं.’’

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