Publish Date:22-Jan-2018 19:14:54
पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ साथ कराने के सवाल पर संसदीय समिति दो फाड़ हो गई। विपक्ष ने एक देश एक चुनाव के सवाल पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए तो राजग सदस्यों ने इसे राष्ट्रहित के लिए जरूरी बताया।
बहरहाल इस मामले में आम राय नहीं बनने के कारण कमेटी की ओर से रिपोर्ट पेश करने में देरी हो सकती है। सरकार की मंशा इसी बजट सत्र में समिति की रिपोर्ट पर संसद में चर्चा कराने की थी।
भाजपा के राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव की अगुवाई वाली संसदीय समिति की सोमवार को हुई बैठक में इस सवाल पर सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के आनंद शर्मा, भाकपा के डी राजा, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, एनसीपी के तारिक अनवर ने इस प्रस्ताव को अव्यवहारिक बताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। इन सदस्यों का कहना था कि अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में इतना अधिक अंतर है कि इस प्रस्ताव पर आगे ही नहीं बढ़ा जा सकता।
हालांकि सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से खुद समिति के अध्यक्ष यादव, प्रभात झा, मीनाक्षी लेखी, राजीव प्रताप रूडी ने प्रस्ताव को देशहित में बताते हुए इसका समर्थन किया।
इन सदस्यों का कहना था कि एक साथ चुनाव होने से जहां साल में कई चुनाव होने के दौरान लागू होने वाली आदर्श आचार संहिता के कारण विकास कार्य ठप हो जाते हैं, वहीं एक साथ चुनाव बहुत कम खर्च पर कराया जा सकता है। हालांकि तीखी नोंकझोंक केबीच इस प्रस्ताव पर आमराय नहीं बन पाई।
पीएम मोदी ने छेड़ी है बहस
एक साथ चुनाव कराने की बहस इस बार खुद पीएम मोदी की ओर से शुरू की गई है। उन्होंने कई मंचों पर इसकी वकालत करते हुए इस पर राष्ट्रव्यापी बहस कराए जाने की जरूरत बताई थी। बीते दिनों संसदीय दल की बैठक में भी पीएम मोदी ने इसे बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए इस दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया था।
गौरतलब है कि संघ से जुड़ी संस्था रामभाऊ प्रबोधिन म्हालागी ने इसी विषय पर बीते शनिवार और रविवार को महाराष्ट्र में एक बड़ी संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसमें हरियाणा के सीएम, जेडीयू के केसी त्यागी, बीजेडी के वैजयंत पांडा सहित कई हस्तियों ने शिरकत की थी।
साभार- अमर उजाला