20-Apr-2024

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दूसरे दिन भी बैंक, बीमा, डाकतार, टेलीफोन एवं केन्द्रीय कार्यालयों में काम-काज ठप्प

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राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का दूसरा दिन
हड़ताली संगठनों ने प्रभावी धरना देकर आक्रोश व्यक्त किया


इंटक, एटक, सीटू, एच.एम.एस., ए.आई.यू.टी.यू.सी., सेवा तथा केेन्द्र, बैंक, बीमा, बीएसएनएल एवं अन्य संस्थानों की ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज दूसरे दिन भी केन्द्र सरकार की जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर के 20 करोड़ से ज्यादा मजदूर एवं कामगार हड़ताल पर रहे। हड़ताल के कारण बैंक, बीमा, डाकतार, केन्द्र, बी.एस.एन.एल., कोयला, परिवहन, तेल, पोर्ट, विमानन एवं अन्य संस्थानों के कार्यालयों में काम-काज ठप्प रहा। यह हड़ताल मुख्य रूप से उन मुद्दों पर केन्द्रित है, जिनसे देश की जनता, हर ट्रेड यूनियन एवं कामगार प्रभावित होता है।


हड़ताली संगठनों ने मुख्य रूप से 12 सूत्रीय माॅंगों को लेकर हड़ताल की है जो कि इस प्रकार हैं:- (1) आवश्यक वस्तुओं की मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय करें, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर न करें, कमोडिटी बाजार में सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगायें, (2) हमारे युवाओं के लिए अधिक रोजगार पैदा करें तथा सभी क्षेत्रों और उद्योगों में चरणबद्ध भर्तियों के माध्यम से बेरोजगारी को कम करने के लिए प्रभावी उपाय करें, (3) श्रम कानूनों, श्रम कानूनों के उल्लंघन के लिए नियोक्ताओं पर कठोर कार्रवाई का कठोरता के साथ पालन करें, (4) सभी कामगारों और कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें, (5) न्यूनतम वेतन रू. 18,000/- से कम न हो, (6) सभी कामगारों और कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित पेंशन दी जावे, एनपीएस समाप्त करें, पुरानी पेन्शन बहाल की जावे, (7) समान कार्य के लिए स्थाई मजदूरों की भाँति ठेका मजदूरों के लिए भी समान वेतन और लाभ दिये जावें, (8) केन्द्र और राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईओं/उपक्रमों के विनिवेश पर रोक लगाई जावे, (9) बोनस, भविष्य निधि के भुगतान और पात्रता पर से सभी ऊपरी सीमाओं को हटाया जावे, (10) 45 दिनों की अवधि के भीतर श्रम संगठनों का पंजीकरण सुनिचित किया जावे तथा आईएलओ कन्वेंशन नं.-87 और 98 का तत्काल अनुमोदन किया जावे, (11) श्रम कानूनों के लिए प्रस्तावित प्रतिकूल संशोधनों पर रोक लगाई जावे, (12) रक्षा, बीमा, रेल्वे तथा अन्य मुख्य क्षेत्रों में अंधाधुंध एफ.डी.आई. पर रोक लगाई जावे।


राजधानी भोपाल में एटक, सीटू, इंटक, बैंक, बीमा, बी.एस.एन.एल. एवं अन्य संगठनों द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लेने के कारण बैंक, बीमा, बी.एस.एन.एल., केन्द्रीय कार्यालय, कोयला खदानों, परिवहन, आशा ऊषा वर्कस, आॅंगनबाड़ी, भवन निर्माण आदि जगहों पर काम-काज ठप्प रहा। हजारों की संख्या में हड़ताली कामगार नीलम पार्क भोपाल में एकत्रित हुए। उन्होंने अपनी माँगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। तत्पश्चात प्रदर्शन स्थल पर ही विशाल धरना प्रारम्भ हुई, जिस हड़ताली संगठनों के नेताओं साथी प्रमोद प्रधान, रूपसिंह चैहान, रामराज तिवारी, वी.के. शर्मा, मुकेश भदौरिया, यशवंत पुरोहित, दीपक रत्न शर्मा, पी.एन. वर्मा, हाजरा काज़मी, एच.एस. ठाकुर, जे.पी. दुबे, बसन्ती मालवीय आदि ने सम्बोधित किया।


वक्ताओं ने बताया कि विगत साढ़े चार वर्षों में केन्द्र सत्तासीन भाजना-एनडीए सरकार ने मजदूर-कर्मचारियों और ट्रेड यूनियनों को अनेक अधिकार और लाभों से न सिर्फ वंचित किया, बल्कि नियोजकों को शोषण को तेज करने का निरंकुश अधिकार भी दिया है। श्रम कानूनों में संशोधन के साथ-साथ केन्द्र सरकार देश के रणनीतिक एवं महत्वपूर्ण रेल्वे, रक्षा और वित्तीय सहित सभी क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लगातार आगे बढ़ा रही है। इन क्षेत्रों समेत आर्थिक व व्यापार के तमाम क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 100 प्रतिशत तक बढ़ाने का केन्द्र सरकार का निर्णय वास्तव में देश को पूरी तरह विदेशी बहुराष्ट्रीय निगमों और अन्तर्राष्ट्रीय पूंजी का गुलाम बनाने की मुहिम है। इसी के साथ केन्द्र व राज्य सरकारें किसानों व आदिवासियों की जमीनों को कौड़ियों के मोल पूंजीपतियों के हवाले किये चली जा रही है। ऐसी स्थिति में किसानों, आदिवासियों के साथ खेत मजदूरों की आजीविका के अधिकार पर भी हमले बढ़ रहे हैं। हाल में अध्यादेश जारी कर केन्द्र सरकार ने ‘फिक्स टर्म एमप्लाॅयमेन्ट का नियम बनाकर’ मजदूर कर्मचारियों के सभी कानूनों को निष्प्रभावी बनाने और अप्रेन्टिसशिप कानून में संशोधन के माध्यम से श्रमिकों का मनमाना शोषण करने की छूट उद्योगपतियों को दे दिया है। भविष्यनिधि पर ब्याज दर कम करने, भविष्य निधि से धन निकालने पर कर लगाने, भविष्यनिधि की भारी भरकम राशि के दुरूपयोग करने का प्रयास भी लगातार जारी है। सरकार का मकसद बहुमत मजदूरों को सभी श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर ट्रेड यूनियन अधिकारों को समाप्त करना है। केन्द्र सरकार ने गत वर्षों के दौरान देश की जनता से जो लोक लुभावने वायदे किये थे, उनसे वह पीछे हट रही है। लगातार बढ़ रही महंगाई एवं बेरोजगारी से आम जनता परेशान है।


सरकार की इन जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ आन्दोलन करने के अलावा ट्रेड यूनियनों के पास और कोई विकल्प नहीं है। एन.डी.ए. सरकार की इन नीतियों के खिलाफ पूर्व में भी आन्दोलन किये जा चुके हैं, जिसमें 2 सितम्बर 2015 एवं 2 सितम्बर 2016 की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के अलावा लाखों कामगारों द्वारा 9-10 एवं 11 नवम्बर 2017 का तीन दिवसीय संसद के सामने महपड़ाव भी शामिल है।
वक्ताओं ने केन्द्र सरकार को आगाह किया कि वह अपनी जन एवं श्रम विरोधी नीतियों को विराम दे अन्यथा आगे आने वाले दिनों में और आन्दोलनों का सामना करने के लिए तैयार रहे।

राजधानी भोपाल के विभिन्न ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों साथी आर.डी. त्रिपाठी, हरिओम सूर्यवंशी, रूप सिंह चैहान, प्रमोद प्रधान, जे.सी. बरई, बसन्ती मालवीय, यशवंत पुरोहित, वी.के. शर्मा, मुकेश भदौरिया, एच.एस. ठाकुर, के.एस. ठाकुर, पी.के. तंवर, एम.टी. सुशीलन, संतोष बघेल, दीपक रत्न शर्मा, एस.सी. जैन, एम.डी. सालोड़कर, जी.सी. जोशी, रामहर्ष पटेल, पी.एन. वर्मा, संजय कुदेशिया आर.के. हीरा, टी.के.आर. पिल्लई, महिन्द्र भाई, रामकुमार दुबे, शैलेन्द्र शर्मा, एम.जी. शिन्दे, गुणशेखरन, प्रभात खरे, जे.पी. दुबे, अशोक पंचोली, बाबूलाल राठौर, सत्येन्द्र चैरसिया, सी.एस. शर्मा, आर.के. निगम, किशन खेराजानी, कैलाश माखीजानी, जे.डी. मलिक, नारायण पवार, श्रीपाद घोटनकर, नरेश सधानी, जी.बी. अणेकर, विश्वामित्र दुबे, रितेश शर्मा, संजय धान, शैलेन्द्र नरवरे, इमरत भाई, देवेन्द्र खरे, डी.एम. मोटवानी, वी.सी. गौर, मंगेश दवांदे, विशाल धमेजा, दिलीप मोटवानी, अमिताभ चटर्जी, अविनाश धमेजा, वी.के. कोठारी, मोहन कल्याणे, महेन्द्र गुप्ता, कैलाश पतकी, बी.एल. पुष्पद, आर.एस. हथिया, उमेश शाक्य, तरूण धवरे, जीतलाल, अनुपम त्रिवेदी, अवध वर्मा, प्रदीप कटारिया, सुदेश कल्याणे, वैभव गुप्ता, सनी श्रीवास्तव, राजेन्द्र भाई, सौरभ पाराशर, बाररेलाल यादव, विजय पाल, सतीश चैबे, विश्वामित्र दुबे, रितेश शर्मा, अनिल मरोती, गौरव दुबे, रोहित भाई, जे.के. जैन, विजय जगन, सुनील देसाई, गिरीश जग्गी, दीपक जैन, खालिद भाई, प्रकाश रत्न पारखी, राजेन्द्र भाई, जीतू, आनन्द, आर.के. बाधवानी, संदीप तिवारी, पुरूषोत्तम नाथानी, मनीष भाई, सुहास कुंडले, चित्रा बोडगे, प्रियंका गड़वाल, हिमांगी कौशल, राजेश्वरी, एस.पी. मालवीय, रवि ठाकुर, राजेश खड़का, अशोक मालवीय, राजेन्द्र ढेकुला आदि ने दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल, प्रदर्शनों एवं सभाओं को सफल बनाने के लिए कामगारों का आभार व्यक्त किया।

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