19-Apr-2024

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मध्यप्रदेश के जिला न्यायाधीश सुपर 30 के आनंद कुमार की राह पर!

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भोपाल: बालीवुड की ब्लॉगबस्टर फिल्म 'सुपर 30' से प्रेरणा लेकर मध्यप्रदेश के नीमच जिले के जिला सत्र न्यायाधीश हृदयेश श्रीवास्तव लॉ के विद्यार्थियों को सफलता की राह दिखा रहे हैं. उन्होंने पश्चिम मध्यप्रदेश के इस जिले के कानून के विद्यार्थियों और वकीलों के लिए निशुल्क कक्षाएं शुरू की हैं  ताकि वे राज्य की न्यायिक सेवाओं की परीक्षा में सफलता हासिल कर सकें.

नीमच के जिला न्यायालय परिसर में सप्ताह में चार दिन यह कक्षाएं होती हैं. हालांकि लॉ के विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले वे अकेले नहीं हैं, उनके साथ सहयोगी भी इस काम में जुटे हैं. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश विवेक कुमार, चीफ ज्युडीशियल मजिस्ट्रेट नीरज मालवीय और प्रशिक्षु सिविल जज नीरज अग्रवाल व रीना शर्मा भी इस क्लास में पढ़ाते हैं. 

भोपाल से करीब 400 किलोमीटर दूर स्थित नीमच के जिला न्यायालय के एक हाल में यह कक्षा लगती है. इस पहले बैच में कुल 18 लॉ विद्यार्थी और वकील हैं जो कि मध्यप्रदेश की ज्युडिशियल सर्विसेज के एक्जाम के लिए हफ्ते में चार दिन मार्गदर्शन लेते हैं. प्रत्येक दिन दो घंटे क्लास की क्लास होती है.

जिला न्यायाधीश हृदयेश श्रीवास्तव ने कहते हैं कि हाल ही में मैंने फिल्म सुपर 30 देखी जो कि प्रेरणा देने वाली है. कैसे प्रतिभाशाली गणितज्ञ आनंद कुमार ने एक आकर्षक नौकरी छोड़ दी और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को आईआईटी परीक्षा में सफलता के गुर सिखाने लगे. अच्छा वेतन देने वाली सरकारी नौकरियों के साथ हमने भी सुपर 30 और आनंद कुमार सर की राह पर चलते हुए न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए उन्हीं के समान कक्षाएं शुरू करने का फैसला किया है. यह हमारे लिए गर्व और संतोष का विषय होगा यदि इस क्लास में हमसे मागर्दर्शन लेने वाला कोई ज्युडीशियल सर्विस के लिए चयनित होता है.

सप्ताह के चार दिनों की इस क्लास के छात्र इस मार्गदर्शन को ईश्वर प्रदत्त देन मान रहे हैं. लॉ की छात्रा अंशु व्यास कहती हैं कि "हमारे जैसे छात्र न्यायिक सेवा परीक्षाओं के लिए बड़े कोचिंग संस्थानों में सही पेशेवर मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए बड़े शहरों में जाने का सपना भी नहीं देख सकते. लेकिन जिला न्यायाधीश महोदय के नेतृत्व में जजों द्वारा शुरू की गई मुफ्त कक्षाओं में हमें न्यायपालिका के बारे में सही और व्यावहारिक मार्गदर्शन मिलता है. यह बड़ी कोचिंग क्लासों में दाखिला लेने पर भी हासिल नहीं हो सकता था.

साभार- एनडीटीवी

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