Publish Date:31-Jan-2020 22:25:53
जबलपुर, राज्य शासन व मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) हाई कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना नियुक्ति प्रक्रिया के परिणाम घोषित नहीं करेंगे। इस तरह साफ है कि पीएससी की नियुक्ति प्रक्रिया पर नहीं बल्कि चयन सूची घोषित किए जाने पर अंतरिम रोक बरकरार रहेगी। अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी।
शुक्रवार को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता शशांक शेखर व शासकीय अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा खड़े हुए। जबकि याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता आदित्य संघी, सिद्धार्थ गुप्ता, जाह्वी पंडित ने रखा। ओबीसी आरक्षण समर्थक याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह, विनायक शाह व उदय साहू खड़े हुए।
रीकॉल आवेदन पर हुई सुनवाई
हाई कोर्ट द्वारा पीएससी की नियुक्तियों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के स्थान पर 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने संबंधी जो अंतरिम आदेश 28 जनवरी को पारित किया था, उसे रीकॉल किए जाने की राज्य शासन की अर्जी पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद अपने पूर्व अंतरिम आदेश को सुस्पष्ट कर दिया। इसके तहत साफ किया कि पीएससी की नियुक्ति प्रक्रिया प्रगतिशील रहेगी। हालांकि बिना हाई कोर्ट की पूर्व अनुमति के नियुक्ति प्रक्रिया का परिणाम यानी अंतिम चयन सूची जारी नहीं की जाएगी। सुनवाई के दौरान राज्य शासन, पीएससी व याचिकाकर्ता सहित सभी पक्ष इस बिंदु पर सहमत हो गए।
क्या है मामला
याचिकाओं के जरिए राज्य सरकार के ओबीसी आरक्षण संशोधन अधिनियम 2019 को चुनौती दी गई है। याचिकाओं में कहा गया है कि 14 प्रतिशत को संशोधन के जरिए 27 प्रतिशत किए जाने के कारण कुल प्रतिशत 50 से बढ़कर 63 हो गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण किसी भी दशा में नहीं किया जा सकता। संशोधन के पूर्व पिछड़ा वर्ग आयोग से रायशुमारी नहीं की गई। संशोधन असंवैधानिक है, इसलिए निरस्त किया जाए।
साभार- नईदुनिया