25-Apr-2024

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निर्भया के दोषियों ने नहीं बताई आखिरी इच्छा, जानें फांसी से पहले किस सेल में हैं...

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रात्रि पौने तीन बजे भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी सुनवाई, आरोपियों के वकील का आखिरी प्रयास जारी, संभावना कम जब सुबह आप यह खबर पढ़ रहे होंगे तब तक इन दरिदां को फांसी दी जा चुकी होगी। इतनी रात्रि में भी निर्भया की मॉ सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रही। जस्टिस भानुमति की कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

नई दिल्ली, 20 मार्च 2020, निर्भया रेप केस के चारों दोषियों की फांसी में अब सिर्फ कुछ ही वक्त बचा है. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया के दोषियों के वकील एक तरफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. तो वहीं चारों दोषियों को फांसी देने की तैयारी जेल में की जा रही है. फांसी से ऐन वक्त पहले चारों दोषी अपने सेल में हैं और बेचैनी में आखिरी वक्त गुज़ार रहे हैं. जिस सेल में ये दोषी हैं, वहां से सीधे रास्ता फांसी दिए जाने वाली जगह पर जा रहा है. उधर रात्रि पौने 3 बजे भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रात्रि 3 बजकर 20 मिनट तक सुनवाई चल रही है. निर्भया के माता-पिता भी सुप्रीम कोर्ट के बाहर ही खड़े है, उन्‍हें भी कोरोना वायरस के कारण अंदर जाने नहीं दिया गया. इस दौरान भी उन्‍होंने यह विश्‍वास जताया कि हमें इंसाफ मिलेगा. दोषियों को फांसी होगी.

SC पहुंचे निर्भया के दोषियों के वकील
निर्भया रेप केस के चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह 5.30 बजे फांसी दिए जाने का वक्त मुकर्रर है. लेकिन इस फांसी को टालने के लिए दोषियों के वकील एपी सिंह की ओर से हर तरह की कोशिशें की जा रही हैं. दिल्ली हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. रात को करीब पौने दो बजे निर्भया के दोषियों के वकील सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के घर पहुंचे और तुरंत सुनवाई के बारे में बात की. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद एपी सिंह दिल्ली के किदवईनगर इलाके में पहुंचे, जहां पर सर्वोच्च अदालत के मेंशनिंग रजिस्ट्रार के घर पहुंचे.

अगर सर्वोच्च अदालत की बात करें, तो सुप्रीम कोर्ट में मेंशनिंग ब्रांच के स्टाफ, अदालत का सिक्योरिटी गार्ड समेत अन्य लोग वहां पर मौजूद हैं. रात्रि 2.55 बजे सुनवाई चल रही है.

सिर्फ दो दोषियों ने खाया खाना

फांसी से पहले चारों दोषियों में से सिर्फ मुकेश और विनय ने ही रात का खाना खाया, लेकिन पवन और अक्षय ने खाना नहीं खाया. एक तरफ वकील एपी सिंह आरोप लगा रहे हैं कि दोषियों को परिवार से नहीं मिलने दिया जा रहा है, तो दूसरी ओर दोषी मुकेश के परिवार ने फांसी से कुछ देर पहले आखिरी मुलाकात की.

चारों दोषी इस वक्त तिहाड़ की जेल नंबर 3 में रखा गया है. इनमें एक दोषी वार्ड नंबर 1 में है, दूसरा दोषी वार्ड नंबर 7 की सेल में है और बाकी दो दोषी नंबर 8 सेल में हैं. इन सेल के रास्ते सीधे फांसी वाली जगह तक जुड़ते हैं.

पल-पल पर नजर बनाए हुए है टीम

चारों दोषियों पर इस वक्त बारीकी से नज़र रखी जा रही है, अलग से एक 15 लोगों की टीम तैनात की गई है. क्योंकि शक है कि फांसी को टालने के लिए दोषियों की ओर से आत्महत्या का ड्रामा रचा जा सकता है. इसलिए हर कोई इनपर नज़र रख रहा है.

चारों दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद उनके शवों को दीन दयाल अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए लिया जाएगा. शुक्रवार सुबह 8 बजे पोस्टमार्टम होगा, जिसके बाद परिवार वालों से शव के बारे में पूछा जाएगा. अगर परिवार शव नहीं लेता है, तो अंतिम संस्कार जेल नियमों के हिसाब से होगा.

किसी भी दोषी ने अभी तक कोई आखिरी इच्छा नहीं जताई है, हालांकि दोषियों की ओर से जो भी पैसा कमाया गया है उसे परिवार वालों को दिया जाना तय है.

दूसरी तरफ निर्भया का परिवार उस घड़ी का इंतजार कर रहा है, जब उनकी बेटी के साथ हुई बर्बरता का इंसाफ होने वाला है. हालांकि, ये घड़ी आने में लंबा वक्त लगा है. 7 साल, 3 महीने और 3 दिन बाद निर्भया के दोषियों को इंसाफ मिल रहा है. आइए नजर डालते हैं कि ये चारों दोषी फांसी के फंदे तक कैसे पहुंचे...

उस दर्दनाक हादसे से फांसी के फंदे तक

6 दिसंबर, 2012: दिल्ली के मुनीरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया. इस मामले में दरिंदगी की वो सारी हदें पार की गईं, जिसे देखकर-सुनकर कोई दरिंदा भी दहशत में आ जाए. वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था. दोषियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी. इसके बाद युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था.

18 दिसंबर, 2012: दिल्ली पुलिस ने 4 दोषियों (उस वक्त आरोपी) राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया.

21 दिसंबर, 2012: पुलिस ने एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे दोषी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया.

29 दिसंबर, 2012: पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया. वहां अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई. पीड़िता की मां ने बताया था कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी.

3 जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच वयस्क दोषियों (उस वक्त आरोपी) के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती का केस दर्ज करने के बाद चार्जशीट दाख़िल की.

17 जनवरी, 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांचों दोषियों पर आरोप तय किए.

11 मार्च 2013: इसी बीच तिहाड़ जेल में राम सिंह ने खुदकुशी कर ली.

31 अक्टूबर, 2013: जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग दोषी को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया. उसको तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया.

10 सितंबर, 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को दोषी ठहराया.

13 सितंबर, 2013: कोर्ट ने चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सजा सुनाई.

13 मार्च, 2014: दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सज़ा को बरक़रार रखा.

15 मार्च, 2014: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी दिए जाने पर लगाई रोक.

20 दिसंबर, 2015: नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया, जिसे लेकर देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए.

27 मार्च, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा.

5 मई, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी. सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को सदमे की सुनामी करार दिया.

9 नवंबर, 2017: एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया.

दिसंबर, 2019: करीब ढाई साल के बाद दोषी अक्षय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की गई.

दिसंबर, 2019: निर्भया की मां की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका के खिलाफ याचिका दायर की गई.

7 जनवरी, 2020: दिल्ली की एक अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी, सुबह 7 बजे फांसी देने का वक्त मुकर्रर किया.

8 जनवरी, 2020: पवन ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की. इसके बाद मुकेश की तरफ से भी ऐसा ही किया गया.

14 जनवरी, 2020: मुकेश की ओर से राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई गई, जो खारिज हो गई. लेकिन दया याचिका की प्रक्रिया की वजह से फांसी को टाल दिया गया और 1 फरवरी, सुबह 6 बजे का नया वक्त तय हुआ.

30 जनवरी, 2020: एक-एक करके पवन, अक्षय और विनय की ओर से कानूनी दांव खेले गए. जिसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट को रद्द किया और 3 मार्च की तारीख तय की गई.

2 मार्च, 2020: पवन गुप्ता की तरफ से राष्ट्रपति के पास याचिका दी गई, जिसके बाद 3 मार्च की तारीख भी रद्द हो गई. फांसी की नई तारीख 20 मार्च तय हुई.

19 मार्च, 2020: निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. वकील की तमाम कोशिशों के बाद रात 12 बजे हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.

20 मार्च 2020: वकील एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट गए हैं, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली है. ऐसे में इंतजार बस उस लम्हे (5.30 बजे) का है, जब चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा.

साभार- आज तक

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