19-Apr-2024

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राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल से बैंक, बीमा, डाकतार, टेलीफोन एवं केन्द्रीय कार्यालयों में काम-काज ठप्प

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केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ की गई हड़ताल में हड़ताली कर्मियों ने इंकलाबी रैली निकालकर प्रभावी प्रदर्शन एवं सभा का आयोजन किया

इंटक, एटक, सीटू, एच.एम.एस., ए.आई.यू.टी.यू.सी., सेवा तथा केेन्द्र, बैंक, बीमा, बीएसएनएल एवं अन्य संस्थानों की ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर के 25 करोड़ एवं मध्यप्रदेश के 08 लाख से ज्यादा मजदूर एवं कामगार हड़ताल पर रहे। हड़ताल के कारण बैंक, बीमा, डाकतार, केन्द्र, बी.एस.एन.एल., कोयला, परिवहन, तेल, पोर्ट, विमानन एवं अन्य संस्थानों के कार्यालयों में काम-काज ठप्प रहा। संख्या की दृष्टि से विश्व की यह सबसे बड़ी हड़ताल है। यह हड़ताल मुख्य रूप से उन मुद्दों पर केन्द्रित है, जिनसे देश की जनता, हर ट्रेड यूनियन एवं कामगार प्रभावित होता है।
हड़ताली संगठनों ने मुख्य रूप से 12 सूत्रीय माॅंगों को लेकर हड़ताल की है जो कि इस प्रकार हैं:- (1) आवश्यक वस्तुओं की मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय करें, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर न करें, कमोडिटी बाजार में सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगायें, (2) हमारे युवाओं के लिए अधिक रोजगार पैदा करें तथा सभी क्षेत्रों और उद्योगों में चरणबद्ध भर्तियों के माध्यम से बेरोजगारी को कम करने के लिए प्रभावी उपाय करें, (3) श्रम कानूनों के उल्लंघन के लिए नियोक्ताओं पर कठोर कार्रवाई की जाये (4) सभी कामगारों और कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें, (5) न्यूनतम वेतन रू. 21,000/- से कम न हो, (6) सभी कामगारों और कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित पेंशन दी जावे, एनपीएस समाप्त करें, पुरानी पेन्शन बहाल की जावे, (7) समान कार्य के लिए स्थाई मजदूरों की भाँति ठेका मजदूरों के लिए भी समान वेतन और लाभ दिये जावें, (8) केन्द्र और राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईओं/उपक्रमों के विनिवेश पर रोक लगाई जावे, (9) बोनस, भविष्य निधि के भुगतान और पात्रता पर से सभी ऊपरी सीमाओं को हटाया जावे, (10) 45 दिनों की अवधि के भीतर श्रम संगठनों का पंजीकरण सुनिचित किया जावे तथा आईएलओ कन्वेंशन नं.-87 और 98 का तत्काल अनुमोदन किया जावे, (11) श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों को वापिस लिया जावे (12) रक्षा, बीमा, रेल्वे तथा अन्य मुख्य क्षेत्रों में अंधाधुंध एफ.डी.आई. पर रोक लगाई जावे।
इन मुद्दों के अलावा बैंक के पाँच बैंक अधिकारी-कर्मचारी संगठनों - आॅल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन (।प्ठम्।), आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स एसोसिएशन (।प्ठव्।), बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन आॅफ इंडिया (ठम्थ्प्), इंडियन नैशनल बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन (प्छठम्थ्), इंडियन नेशनल बैंक आॅफिसर्स काँग्रेस (प्छठव्ब्) की यह हड़ताल जन विरोधी बैंकिंग सुधारों एवं बैंकों के अनुचित विलय के विरोध में, कार्पोरेट ऋण चूककर्ताओ के ऋणों की वसूली हेतु कठोर कदम उठाये जाने की माँग के लिये, वेतन पुनरीक्षण एवं सम्बन्धित मुद्दों को शीघ्र कराने के लिए, बैंकों में समुचित भर्ती के लिए थी।
आज राजधानी भोपाल में बैंक, बीमा, राज्य, जी.एस.आई., बी.एस.एन.एल., सेन्ट्रल ट्रेड यूनियनों एव अन्य संस्थानों के हजारों कामगार रंग-बिरंगे बैनर, पोस्टर्स, प्ले कार्डस एवं कलरफुल ड्रेस के साथ आज प्रातः 10ः30 बजे प्रेस काॅमप्लेक्स होशंगाबाद रोड भोपाल स्थित ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स, रीजनल आॅफिस के सामने एकत्रित हुए। उन्होंने अपनी माॅंगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। इसके पश्चात एक विशाल इंक्लाबी रैली प्रारम्भ हुई, जिसमें करीब 4000 से ज्यादा हड़ताली मजदूर, कामगार, कर्मचारी एवं अधिकारी शामिल हुए। हड़ताली कामगार हाथों में प्ले कार्डस, लाल रंग के झण्डे, बैनर, पोस्टर्स लिए हुए दो-दो की पंक्ति में जोशीले नारे लगाते हुए अनुशासित रूप से चल रहे थे। लाल झण्डों से रैली इंक्लाबी एवं कलरफुल नजर आ रही थी। रैली में महिला कर्मियों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। रैली पे्रस काम्पलेक्स का चक्कर लगाते हुए वापिस ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स के सामने आकर सभा में परिवर्तित हो गई। सभा को विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं साथी वी.के. शर्मा, डी.के. पोद्दार, मो. नज़ीर कुरैशी, संजय कुदेशिया, वी.एस. नेगी, ओ.पी. कटियार, मुकेश भदौरिया, अजय श्रीवास्तव ‘नीलू’, एस.एस. मौर्या, एम.टी. सुशीलन, संतोष बघेल, जे.पी. झंवर, एम.जी. शिन्दे, गुणशेखरन, बाबूलाल राठौर, जे.पी. दुबे, एम.एस. जयशंकर, सुनील देसाई, देवेन्द्र खरे, सौरभ पाराशर, अशोक पंचोली, सी.एस. शर्मा, किशन खैराजानी, जे.डी. मलिक, सत्येन्द्र चैरसिया, योगेश मनूजा, एन.जे.एस. तलवार, गोपाल राठौर, मंगेश दवांदे, सतीश चैबे, विशाल धमेजा, दिलीप मोटवानी, अमोल भाई, वैभव गुप्ता, सनी श्रीवास्तव, एम. मरावी, माही, इकबाल बहादुर, एस.पी. मालवी, जी.बी. अणेकर, महेन्द्र गुप्ता, महेश जिज्ञासी, बी.सी. पौणिकर, नारायण पवार, संजय धान, शैलेन्द्र नरवरे, इमरतलाल रायकवारर ‘मुन्ना भाई’, प्रियंका गड़वाल, अर्पिता कपूर, ऋचा सक्सेना, अभिलाषा राठौर, नीतू धमेजा, विजय लक्ष्मी त्रिपाठी, प्रीति दुबे, वर्षा नामदेव, माधुरी वामनकर आदि ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि जब सरकार जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के माध्यम से आमजन पर लगातार आक्रमण कर रही हो, जब कामगार वर्ग का दुःख दर्द गहराता जा रहा हो, जब अर्थव्यवस्था सबसे निचले स्तर पर हो, जब जनता की भलाई के लिए सरकार यथार्थवादी नीतियों को लागू करने में हिचकिचा रही हो, जब कामगार वर्ग की समस्याओं की भी सुनवाई नहीं हो, जब बेरोजगारी चरम-सीमा पर हो एवं रोजगार घट रहे हों, जब लगातार सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों एवं ट्रेड यूनियनों पर हमले हो रहे हों, तब ये आवश्यक रूप से आंदोलन का रूप-धारण करेगा तथा उसका स्तर व तीव्रता भी उच्च होगी और परिणामतः हिन्दुस्तान के इतिहास में 08 जनवरी 2020 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल विश्व की सबसे बड़ी हड़ताल बन गई है। इस हड़ताल का नारा बन गया है - ”जनता पर प्रहार करने वालों पर प्रहार करो, सरकार के अत्याचार को रोकने के लिए हड़तालों से आक्रमण करो“। उन्होंने श्रम-विरोधी नीतियों, आऊट सोर्सिंग, लगातार बढ़ती महंगाई, जन एवं श्रम विरोधी बैंकिंग तथा श्रम सुधारों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण, बैंकों का विलय, मजदूरों के विरोध में किये गये संशोधनों का विरोध करते हुए नई पेन्शन योजना को बंद कर पुरानी पेन्शन योजना की बहाली एवं नई भर्ती करने की माँग की।
वक्ताओं केन्द्र सरकार को आगाह किया कि हड़ताली कामगारों के मुद्दों के ऊपर गंभीरतापूर्वक विचार कर उनका निराकरण किया जाये, अन्यथा आने वाले दिनों में आन्दोलन को और तेज किया जाएगा।

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