20-Apr-2024

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राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल से देश एवं प्रदेश के बैंकों में काम-काज ठप्प

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भोपाल में हड़ताली बैंक कर्मियों ने शानदार इंक्लाबी रैली निकालकर प्रभावी सभा की

भोपाल। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन एवं बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर देशभर के करीब 5 लाख बैंक कर्मियों ने आज ”बैंकों के विलय“ के विरोध में 22 अक्टूबर 2019 को ”राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल“ में भाग लिया। हड़ताली बैंक कर्मियों की माँग है कि- ”बैंकों के विलय को रोका जाए, जन-विरोधी बैंकिंग सुधारों को रोका जाए, खराब ऋणों की वसूली सुनिश्चित कर ऋण चूककर्ताओं पर कड़ी कार्यवाही की जाए, दण्डात्मक शुल्क लगाकर ग्राहकों को प्रताड़ित न किया जाए, सेवा शुल्कों में वृद्धि न की जाए, जमा राशियों पर ब्याज दर बढ़ाई जाए, नौकरी एवं नौकरियों की सुरक्षा पर हमले रोके जाएँ, सभी बैकों में समुचित भर्ती की जाए“ आदि। हड़ताल के कारण देश एवं प्रदेश की राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ-साथ पुराने निजी क्षेत्र की बैंकों में कामकाज ठप्प रहा।
राजधानी में भोपाल एवं आस-पास के करीब 2000 हड़ताली बैंक-कर्मी आज प्रातः 10ः30 बजे ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स रीजनल आफिस प्रेस काम्पलेक्स एम.पी. नगर, जोन-।, भोपाल के सामने इकट्ठे हुए। उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। तत्पश्चात एक विशाल रैली प्रारम्भ हुई। रैली में हजारों बैंक कर्मी हाथों में प्ले कार्डस, लाल रंग के झण्डे लिए हुए दो-दो की पंक्ति में जोशीले नारे लगाते हुए अनुशासित रूप से चल रहे थे। लाल झण्डों से रैली रंगीन नजर आ रही थी। रैली में युवा एवं सैकड़ों महिला बैंक कर्मियों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। रैली प्रेस काम्पलेक्स का चक्कर लगाते हुए वापिस ओरिएन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स के सामने आकर सभा में परिवर्तित हो गई। सभा को बैंकवाईज संगठनों, बैंक कर्मचारी संगठनों एवं अन्य श्रमिक संगठनों के नेताओं साथी वी.के. शर्मा, नज़ीर कुरैशी, संजय कुदेशिया, डी.के. पोद्दार, जे.पी. झवर, एम.जी. शिन्दे, एम.एस. जयशंकर, आर.के. हीरा, प्रभात खरे, जे.पी. दुबे, बाबूलाल राठौर, जे.डी. मलिक, देवेन्द्र खरे, अशोक पंचोली, सी.एस. शर्मा, सौरभ पाराशर, योगेश मनूजा, किसन खैराजानी, मंगेश दवांदे, सतीश चैबे, सत्येन्द्र चैरसिया, श्याम रैनवाल के अलावा केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के नेताओं काॅम. रूपसिंह चैहान (एटक), पूषण भट्टाचार्य (सीटू), बैंक रिटायरीज एसोसिएशन के नेता काॅम. ए.एस. तोमर आदि ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने बताया कि हाल ही में देश की वित्त मंत्री द्वारा दस सरकारी क्षेत्र के बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है। यानि कि 6 सरकारी क्षेत्र के बैंकों को बन्द कर उन्हें चार सरकारी क्षेत्र के बैंकों के साथ विलय कर दिया जावेगा। इसके तहत् ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स एवं यूनाईटेड बैंक आॅफ इंडिया का पंजाब नैशनल बैंक में, कार्पोरेशन बैंक एवं आन्ध्रा बैंक का यूनियन बैंक आॅफ इंडिया में, सिन्डिकेट बैंक का कैनरा बैंक में तथा इलाहाबाद बैंक का इन्डियन बैंक में विलय कर दिया जावेगा। सरकार इसे विलय कह सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि 6 बैंकों की नृशंस हत्या है, क्योंकि विलय के पश्चात ये 6 बैंक जिन्हें बनने में वर्षों लगे हैं, बैंकिंग के परिदृश्य से लुप्त हो जावेंगे। सरकार का यह कदम जन एवं श्रम विरोधी आर्थिक और बैंकिंग सुधारों से सम्बन्धित एजेण्डा का हिस्सा है। प्रस्तावित विलय बैंकों के निजीकरण करने के प्रयासों की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है। इसका पुरजोर विरोध करने की जरूरत है। विलय की यह सारी कवायद विशाल खाराब ऋणों को बड़ी बैलेन्स शीट की आड़ में छुपाने का एक बहाना मात्र है। यह हम सबके लिए चिंता का विषय है कि कार्पोरेट ऋण चूककर्ताओं को प्रदाय की जा रही राहतें, कटौती, छूट और राईट-आॅफ का सारा बोझ बैंक के साधारण ग्राहक के कन्धों पर दण्डात्मक शुल्क और बढ़े हुए सेवा प्रभारों के रूप में थोपा जा रहा है। अतः खराब ऋणों के लिए हमारी लड़ाई बैंकों के विलय व निजीकरण के विरूद्ध हमारे संघर्ष का ही हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि आज देश के लाखों गाॅंव ऐसे हैं, जहाॅं बैंकों की एक भी शाखा नहीं है तथा करोड़ों लोगों का किसी भी बैंक में खाता नहीं है। वर्तमान में बैंकों के विलय नहीं बल्कि विस्तार की आवश्यकता है। विलय के पश्चात निश्चित रूप से बैंकों की शाखा नहीं होगी। अतः वर्तमान में जो बैंकिंग सुविधा लोगों को उन शाखाओं के माध्यम से मिल रही है, उससे उन्हें वंचित होना पड़ेगा। बैंकिंग सभी को सुलभ रूप से उपलब्ध बनाने के लिए शाखा विस्तार की आवश्यकता है, जबकि विलय और शाखा विस्तार एक-दूसरे के विपरीत है। शाखा बन्दी से स्टाफ भी अतिरिक्त (सरप्लस) हो जायेगा। इसे एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में स्थानांतरित किया जायेगा। इस कारण वे व्ही.आर.एस. लेने के लिए मजबूर होंगे। यह बैंक कर्मियों की सेवा सुरक्षा को प्रभावित करेगा। अतः सीधा-सीधा ये रोजगार एवं नौकरियों पर हमला है। बैंकिंग विस्तार के परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अधिक रोजगार होंगे, लेकिन बैंकिंग के विलय से भविष्य में रोजगार समाप्त हो जोयंगे। भारत में हमें हमारे युवा लोगों के लिए और अधिक नौकरी की आवश्यकता है, विलय रोजगारी विरोधी है। सरकार द्वारा राष्ट्र का ध्यान खराब ऋणों से हटाने के लिए विलय का मुद्दा लाया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि बैंकों के विलय की अपेक्षा सरकार को कारपोरेट ऋण चूककर्ताओं के विशाल खराब ऋणों की वसूली के लिए त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने केन्द्र सरकार से माँग है कि बैंकों के विलय के प्रस्ताव को वापिस लिया जावे तथा खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर एवं कारगर कदम उठाये जायें।
हड़ताल, प्रदर्शन, सभा एवं रैली में विभिन्न बैंकवाईज संगठनों के पदाधिकारीगण- साथी वी.के. शर्मा, संजय कुदेशिया, नज़ीर कुरैशी, डी.के. पोद्दार, जे.पी. झवर, एम.जी. शिन्दे, एम.एस. जयशंकर, गुणशेखरन, आर.के. हीरा, प्रभात खरे, जे.पी. दुबे, अशोक पंचोली, बाबूलाल राठौर, सी.एस. शर्मा, देवेन्द्र खरे, जे.डी. मलिक, किसन खैराजानी, अमोल अचवाल, वैभव गुप्ता, सनी श्रीवास्तव, कमलेश चन्द्र, जी.बी. अणेकर, सत्येन्द्र चैरसिया, मंगेश दवांदे, विश्वामित्र दुबे, विशाल धमेजा, अविनाश धमेजा, योगेश मनूजा, आर.के. निगम, सौरभ पाराशर, रीतेश शर्मा, सुदीप कुमार, प्रदीप वाधवानी, शशि नरवानी, राम आसरे, भगवान रायकवार, विष्णु शर्मा, अशोक भाई, कमलेश भाई, शैलेन्द्र नरवरे, संजय धान, अशोक मोटवानी, डी.एम. मोटवानी, बी.पी. गौर, आनन्द गोखले, कैलाश माखीजानी, अवध वर्मा, भगवान सिंह अहिरवार, सतीश चैबे, भगवान स्वरूप कुशवाह, जी.डी. पाराशर, रविकांत गुप्ता, पं. रामानंद भारद्वाज, इकबाल बहादुर, एस.पी. माल्वी, करीम खान, रंजीत सिंह, गौरव दुबे, अनिल मरोती, सुनील देसाई, विजय जगन, संदीप तिवारी, मनीष, इमरत रायकवार, शैलेन्द्र नरवरे, संजू हिबरड़े, सुनील मेहरा, महेश धुलिया, विजय राठौर, जीतमल अहिवार, हीकिशन कल्याणे, राजकुमार मरोतिये, जीतलाल साहू, एन.जे.एस. तलवार, अनुपम त्रिवेदी, जीतलाल, खालिद सिद्धीकी, महेश जिज्ञासी, नरेश भाई, आनन्द लिखार, डी.के. राठौर, शेखर घोंगे, चुन्नी भाई, अरूण गड़वाल, शैलेन्द्र शीतल, विजय कनौजिया, दीपक भाई, गोपाल राठौर, नारायण पवार, एस.के. कुशवाह, महेन्द्र गुप्ता, कैलाश पतकी, हरीश छुबानी, सुदेश कल्याणे, अतुल शर्मा, प्रशांत पाठक, मोहन कल्याणे, भोजेन्द्र भुजन, अवधेश पाण्डे, अनिल भाटी, मिलिन्द चित्रे, संदीप दल्वी, विजय पाल, बारेलाल यादव, अनुज भार्गव, रज्जूलाल बलाडे, अभिषेक सिंह, कृष्णा पाण्डे, नेमा, बी.एस. पुष्पद, विनय नेमा, आर.एस. हथिया, शैलू, उमेश शाक्य, भगवान गोलानी, श्याम रैनवाल, खुशाल टेकवानी, राजेश तोमर, प्रियंका गड़वाल, मेघना पाण्डे, राखी साहू, भावना, अर्पिता कपूर, कीर्ति शर्मा, राजन अय्यर, कोमल शर्मा, अपूर्वा धकाते के साथ-साथ हजारों बैंक कर्मचारी- अधिकारी हड़ताल, प्रदर्शन, सभा एवं रैली में शामिल थे।

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