Publish Date:21-Jan-2018 23:24:49
राजकाज न्यूज, नई दिल्ली
मध्यप्रदेश कैडर के 1977 बैच के आई ए एस अधिकारी मंगलवार 23 जनवरी को देश के भारत निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभालेंगे। रावत की गिनती देश के ईमानदार आई ए एस अफसरों में की जाती है। रावत मध्यप्रदेश कैडर के पहले आईएएस अधिकारी है, जो भारत निर्वाचन आयोग के इस सर्वोच्च पद पर पहुंचे। साथ ही निर्वाचन आयुक्त के रिक्त होने वाले पद पर हरियाणा कैडर के वर्ष 1980 बैच के अशोक लबासा को नियुक्त किया गया है। यहां बता दे कि देश के मुख्य निर्वाचन अायुक्त अचल कुमार ज्योति का कार्यकाल 23 जनवरी को पूरा हो रहा है।
ओ पी रावत का कार्यकाल मात्र 11 माह का रहेगा, लेकिन उन्हें इस वर्ष के अंत तक मप्र समेत आठ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव कराने हैं। उनके 11 माह के कार्यकाल में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक समेत नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के विधानसभा चुनाव होंगे। वे दिसंबर 2018 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु ( दोनों में से जो भी पहले हो) तक रहता है। रावत वर्ष 2013 में केंद्र सरकार में भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय में सचिव (लोक उपक्रम) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें 13 अगस्त 2015 को चुनाव आयोग में आयुक्त नियुक्त किया था।
मध्य प्रदेश में आदिम जाति कल्याण, वाणिज्यिक कर और आबकारी विभाग सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दे चुके ओपी रावत 2013 में रिटायर हो गए थे। उसके बाद उन्हें सरकार ने अगस्त 2015 में चुनाव आयोग में आयुक्त पद पर नियुक्त किया था। बता दें की हाल ही में एमपी कैडर की स्नेहलता श्रीवास्तव भी लोकसभा की पहली महिला महासचिव नियुक्त हुईं हैं। इस पद पर उनका कार्यकाल 1 दिसंबर 2017 से 30 नवंबर 2018 तक है।
लवासा भी 23 को ही संभालेंगे कार्यभार
उनके साथ ही पूर्व वित्त सचिव अशोक लवासा को चुनाव आयुक्त बनाने का ऐलान किया गया है। वह 23 जनवरी से ही अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। हरियाणा कैडर के वर्ष 1980 बैच के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अशोक लवासा को 2016 में वित्त सचिव बने थे और 2017 में रिटायर हुए थे। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है, जबकि दो अन्य चुनाव आयुक्त होते हैं। राष्ट्रपति की ओर से दोनों में से वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को ही इलेक्शन कमिशन के चीफ की जिम्मेदारी सौंपे जाने की परंपरा रही है।