Publish Date:05-Feb-2019 16:11:01
कोलकाता से लेकर दिल्ली तक चल रहे राजनीतिक ड्रामे को सुप्रीम कोर्ट ने दो वाक्य में ख़त्म कर दिया. कोर्ट के फैसले के साथ दोनों ही पक्षों ने इस मुद्दे पर अपनी जीत का ऐलान कर दिया.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने आदेश में कहा कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सीबीआई के सामने पेश होंगे. लेकिन उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा, न ही उनकी गिरफ्तारी होगी.
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगाई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने की.
बहस की शुरुआत वेणुगोपाल ने की. उन्हें ने कोर्ट को बताया कि कैसे इतने बड़े शारदा घोटाले की जांच को पश्चिम बंगाल की पुलिस खराब कर रही है. पुलिस की तरफ से सीबीआई को कोई मदद नहीं की जा रही.
वेणुगोपाल के मुताबिक बंगाल पुलिस ने एक व्यक्ति को जम्मू कश्मीर से गिरफ्तार किया था. उसके पास से एक लैपटॉप और कई दस्तावेज़ मिले थे. लेकिन पुलिस ने इसे सीबीआई के हवाले नहीं किया. साथ ही जो कॉल रिकॉर्ड है उसे भी पुलिस ने नहीं दिया है. पुलिस की तरफ से ये सारी जांच कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार कर रहे थे. उन्हें कई बार पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
वेणुगोपाल आगे भी जांच से जुड़ी बातें बताना चाह रहे थे लेकिन मुख्य न्यायधीश ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने इशारा किया कि वह सारी फाइल पढ़ कर आए हैं. जस्टिस गोगोई ने सिर्फ ये जानना चाहा कि पुलिस कमिश्नर सीबीआई के सामने पेश क्यों नहीं हो रहे हैं. इसने क्या दिक्कत है.
इसका जवाब उन्होंने पश्चिम बंगाल के वकील सिंघवी से पूछा. सिंघवी ने कहा कि सरकार आधी बात बता रही है. दरअसल खुद राजीव कुमार ने सीबीआई को पांच बार पत्र लिख कर कहा है कि वह और उनकी पूरी टीम एक साथ सीबीआई के सामने हाज़िर होना चाहती है. सीबीआई ने कभी जवाब नहीं दिया.
लेकिन एक राजनीतिक रैली के ठीक दो दिन बाद अचानक सीबीआई की टीम पुलिस कमिश्नर के घर पहुंच जाती है. और ये तब होता है जब वह तत्कालीन सीबीआई के निदेशक का आखिरी दिन होता है. रविवार रात सीबीआई का पुलिस कमिश्नर के घर पहुंचने का क्या मतलब है?
सिंघवी ने कहा कि वह हमें गिरफ्तार करना चाहते हैं. पूछताछ से कोई आपत्ति नहीं है.
जस्टिस गोगोई ने कहा कि आप कुछ ज़्यादा ही सोच रहे हैं. ये कहते हुए उन्होंने अपना आदेश लिखवा दिया. कोर्ट ने ये भी कहा कि पुलिस कमिश्नर से पूछताछ किसी निष्पक्ष जगह जैसे शिलांग में हो.
वेणुगोपाल फिर चाहते थे कि राज्य पुलिस के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाया जाए. लेकिन मुख्य न्यायाधीश इस पर बहुत उत्सुक नजर नहीं आए. वेणुगोपाल ने बताया कि सीबीआई के अधिकारियों को बंगाल में परेशान किया जा रहा है. संविधान की प्रक्रिया को ध्वस्त कर दिया गया है.
इस पर कोर्ट ने डीजीपी, चीफ सेक्रेटरी और पुलिस कमिश्नर को 18 फ़रवरी तक जवाब देने को कहा कि क्या उन्होंने कोर्ट की अवमानना की है? मामले की अगली सुनवाई 20 फ़रवरी को होगी.
साभार- न्यूज 18