Publish Date:04-Dec-2017 20:12:00
विधानसभा में दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पारित
राजकाज न्यूज, भोपाल
राज्य विधानसभा में सोमवार को दंड विधि (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इस विधेयक में दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा दिलाने का प्रावधान है। राज्य के कानून मंत्री रामपाल सिंह ने दंड विधि संशोधन विधेयक को सदन में पेश किया, और विधेयक पर चर्चा के बाद इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। विधेयक के मुताबिक 12 साल तक की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के दोषियों को धारा 376 एए के तहत तथा सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को धारा 376 डीए के तहत फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा विवाह करने का झांसा देकर संबंध बनाने और उसके खिलाफ शिकायत प्रमाणित होने पर तीन साल कारावास की सजा का प्रावधान नई धारा जोड़कर किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस संशोधन विधेयक को आवश्यक बताते हुए कहा, "महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, ताकि भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन हो सके।" यह विधेयक विधानसभा में प्रदेश के विधि एवं विधायी कार्य मंत्री रामपाल सिंह ने प्रस्तुत किया. इस पर पक्ष विपक्ष के सदस्यों के बीच विस्तृत चर्चा के बाद आज इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक के पारित होने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में दंड विधान बनाया तो यह सोचकर ही बनाया कि कुछ लोग दंड से ही मानते हैं. इसलिये दंड कड़ा किया गया है। दूसरी तरफ इस प्रकार के अपराधों के प्रति समाज को जागरूक करने के प्रयास भी किये जायेंगे और इस मामले में जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।
प्रदेश के गृहमंत्री ने मीडिया से कहा, अब इसे स्वीकृति के लिये राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा. उनकी स्वीकृति के बाद यह प्रदेश में कानून के तौर पर लागू हो जायेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मंशा अनुसार महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराध करने वाले दोषियों को फांसी जैसी सख्त सजा देने के प्रावधान वाला यह विधेयक सदन में आज पारित हो गया है. मध्यप्रदेश के लिये आज का दिन ऐतिहासिक है।
मासूम बेटियों से दुराचार करने वालों को फांसी की सजा मिलना चाहिए- मुख्यमंत्री चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऐसे नराधम जो मासूम बेटियों से दुराचार करते हैं उन्हें धरती पर रहने का अधिकार नहीं है, उन्हें फांसी की सजा मिलना चाहिए। इसके लिये विधेयक पारित कर प्रदेश की विधानसभा नया इतिहास रच रही है। इस विधेयक के लिये राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करने के लिये भरसक प्रयास किये जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहां विधानसभा में दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पर हुई चर्चा के दौरान संबोधित कर रहे थे। इस विधेयक को आज प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित किया गया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में समाज और सरकार मिलकर एक सामाजिक नैतिक आंदोलन चलायेंगे, जो बेटियों के प्रति गलत मानसिकता को दूर करेगा। जब तक बेटी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होगी, तब तक बोझ मानी जाती रहेगी। बेटियों के प्रति दुराचार जैसे अपराध मानवता के खिलाफ अपराध है। सभ्य समाज सभ्य इंसानों के लिये होता है और जिनमें मानवता नहीं है उन्हें मानव कैसे माना जाये। मानव अधिकार मानवों के लिये होते हैं नर पिशाचों के लिये नहीं। बलात्कार करने वाले अपराधी नर पिशाच हैं। समाज को गंभीरता से विचार करना होगा कि नारी केवल भोग्या नहीं है। बारह वर्ष तक की अबोध मासूम बेटियों से बलात्कार करने वालों को फांसी की सजा मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीकी विकास से आज बच्चों के सामने मोबाईल और अन्य माध्यमों से अश्लील सामग्री परोसी जा रही है, जिससे वे प्रभावित होते हैं। इस विधेयक के माध्यम से हम एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं। बेटियों के साथ दुराचार की अधिकांश घटनाएं परिचितों और रिश्तेदारों द्वारा की जाती है। इस तरह के विश्वासघात करने वाले लोग जीने लायक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बेटियों का भावनात्मक शोषण के बाद उन्हें भटकने के लिये छोड़ देने वाले भी अपराधी हैं। समाज को इस पर भी गंभीरता से विचार करना होगा। राज्य सरकार द्वारा एक जनसुरक्षा विधेयक लाया जायेगा जिसमें बेटियों की सुरक्षा से संबंधित सुझाव शामिल किये जायेंगे।
श्री चौहान ने कहा कि आज पारित विधेयक के माध्यम से हम विचार की शुरुआत कर रहे हैं। इस विधेयक के दुरुपयोग को रोकने के सुरक्षात्मक उपाय किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि कानून के साथ एक नैतिक और सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता भी है। इस विधेयक में कोचिंग क्लास जाने वाली बेटियों का पीछा करने वाले और साइबर क्राइम से उन्हें परेशान करने वालों के विरुद्ध दण्ड का प्रावधान किया गया है। इसमें दूसरी बार अपराध करने पर गैर जमानती अपराध और सात साल की सजा का प्रावधान रखा गया है। इस विधेयक से बनने वाला कानून उन्हें सुरक्षा कवच प्रदान करेगा। इसमें छेड़छाड़ की घटनाओं को गैर-जमानती और दोबारा अपराध पर दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है। यह दण्ड विधेयक एक सद्इच्छा से लाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बेटिय़ों की सुरक्षा के लिये स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, महिला कण्डक्टर होने, गर्ल्स होस्टल में प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाने तथा महिला वार्डन रखने जैसे उपाय किये हैं। उन्होंने कहा कि कलेक्टरों को निर्देश दिये जायेंगे कि वे अनाथ बालक-बालिकाओं के रहने, खाने और पढ़ाई की व्यवस्था करें। मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिये हम सब मिलकर मध्यप्रदेश में एक नैतिक अभियान चलायेंगे।
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री रामपाल सिंह का वक्तव्य
लोक निर्माण, विधि एवं विधायी मंत्री रामपाल सिंह ने कहा है कि महिलाओं और बालिकाओं के विरुद्ध यौन शोषण, हमला एवं आपराधिक बल के प्रयोग की आपराधिक घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। विगत कुछ वर्षों से बलात्संग एवं सामुहिक बलात्संगत, विशेष रूप से छोटी उम्र की बालिकाओं के साथ, के अपराधों में वृद्धि देखी गई है और इसके फलस्वरूप उनके द्वारा आत्म-हत्या किये जाने की घटनाएँ भी शीघ्र घटित हुई हैं।
महिलाओं और बालिकाओं के विरुद्ध अपराध कारित करने वाले संभावित व्यक्तियों को ऐसे अपराधों से विरत रखने के लिए और भारत के संविधान में उपबंधित महिलाओं की पूर्ण स्वतंत्रता और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) में मध्यप्रदेश संशोधन के माध्यम से महिलाओं को विवस्त्र करने एवं उनका पीछा करने संबंधी अपराधों के लिए विहित दण्ड एवं अर्थदण्ड में यथोचित अभिवृद्धि की गई है। बारह वर्ष या उससे कम आयु की बालिकाओं के साथ बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार के अपराधों के लिए भारतीय दण्ड संहिता में दो नई धाराएँ क्रमश: 376 एए एवं 376 डीए अंत:स्थापित कर मृत्यु दण्ड का भी प्रावधान किया गया है। उक्त के अतिरिक्त महिलाओं को विवाह का प्रलोभन लेकर उनका यौन शोषण करने के कृत्य को भारतीय दण्ड संहिता में एक नई धारा 493ए का सृजन कर दण्डनीय बनाया गया है। मंत्री सिंह ने कहा है कि महिलाओं को त्वरित एवं शीघ्र न्याय सुलभ कराने के लिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 493 एवं 493 क को दण्ड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर पुलिस हस्तक्षेप योग्य बनाया गया है। महिलाओं के विरुद्ध आदतन यौन उत्पीड़न एवं छेड़-छाड़ जैसे अपराध कारित करने वाले व्यक्तियों को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 110 की परिधि में लाकर कार्यपालिक मजिस्ट्रेटों को उनसे सदाचार की प्रतिभूति लेने के लिए सशक्त किया गया है।
दुष्कर्मियों को फांसी का विधेयक देश में नजीर बनेगा: चौहान
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद नंदकुमारसिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मध्यप्रदेश विधानसभा में पारित दंड विधि संशोधन विधेयक महिला सम्मान की दिशा में देश में नजीर बनेगी। विधेयक के अंतर्गत 12 साल या उससे कम उम्र की बच्चियो के साथ दुष्कर्म अथवा सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दोषियों को फांसी की सजा होगी। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के समक्ष भेजा जायेगा। जिसके पश्चात भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि महिला सम्मान की दिशा में मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने हमेशा ठोस निर्णय लिए है। महिला सशक्तिकरण भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। महिला सशक्तिकरण का दूसरा अर्थ ही देश, समाज और प्रदेश का सशक्तिकरण है। निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर एक नई बहस देश में छिड़ी। इस दिशा में सजगता और संवेदनशीलता को लेकर कई निर्णय लिए गए। चौहान ने कहा कि महिला सुरक्षा की दृष्टि से हमेशा कठोर निर्णयों की दरकार रही। ताकि ऐसे अपराधियों की रूह कांपे। नाबालिग से दुष्कर्म की सजा फांसी हो, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की ठोस पहल से विधानसभा में सर्वसम्मति से दंड विधि संशोधन विधेयक को पारित करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य बना है। शिवराज सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में लगातार काम किए है। महिला हिंसा के विरूद्ध बेहतर काम करने वालों को सरकार द्वारा पुरस्कार और पुलिस भर्ती में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने जैसे अनेक निर्णय भाजपा सरकार ने लिए है। प्रदेश की बेटियों के लिए रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे है।