Publish Date:08-Nov-2019 21:51:36
अल्प अवधि के सत्र में किसानों की समस्याओं और प्रदेश के जनहित के मुददो पर व्यापक चर्चा संभव नही- गोपाल भार्गव
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ने विधानसभा के आहूत किए गए चतुर्थ सत्र की समयावधि बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ को पत्र लिखा है। उन्होने कहा कि शीतकालीन सत्र की जो अवधि निश्चित की है उसमे सभी शासकीय अशासकीय कार्य निपटा देना व्यवहारिक रूप से संभव नही है। बजट सत्र के बाद प्रदेश में बाढ़ और अतिवर्षा से किसानों की सारी फसले नष्ट हो चुकी है और उन्हे अभी तक मुआवजा राशि नही मिली हैं, किसानों की समस्या एवं प्रदेश के अनेक जनहित के विषयों पर व्यापक चर्चा 5 दिवस की अल्प अवधि मे संभव नही है।
श्री भार्गव ने अपने पत्र मे कहा कि प्रदेश की समस्याओं को उठाने का एकमात्र सक्षम और संवैधानिक मंच विधानसभा ही है जिसमें विशेष रूप से विपक्षी सदस्यों को अपने संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन का उचित अवसर प्राप्त होता हैं। पूर्व की सरकारों में हमेशा से यह स्वस्थ परम्परा रही है कि सत्र की तिथियां और समयावधि प्रतिपक्ष से चर्चा के उपरांत ही सरकार तय करती थी किन्तु खेद है कि इस परंपरा का भी सरकार के द्वारा पालन नही किया जा रहा हैं, जबकि सदन को सुचारू रूप से सौहार्द्रपूर्ण वातावरण मे चलाने के लिए परंपरा को अनवरत बनाएं रखना एवं विपक्ष को विश्वास मे लेकर सत्र चलाया जाना आवश्यक है।
श्री भार्गव ने कहा कि बजट सत्र के बाद मेरे आग्रह किए जाने के बावजूद किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु विशेष सत्र नही बुलाया जा सका हैं जिसके परिणाम स्वरूप किसानों की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी हैं। प्रदेश में कर्ज से परेशान होकर किसान आत्महत्या को मजबूर हैं। बजट सत्र भी तय अवधि के पूर्व ही समाप्त कर दिया गया था एवं किसानों से संबंधित नियम 139 की चर्चा भी नही करवाई गई थी। नेता प्रतिपक्ष श्री भार्गव ने पत्र में मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ से विधानसभा के शीतकालीन सत्र की बैठकों की संख्या बढ़ाकर 10 से 12 बैठकें आहूत करने की मांग की हैं।