26-Apr-2024

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लता मंगेशकर होने का अर्थ- अशोक मनवानी

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प्रसंग - 87 वीं जन्म वर्षगांठ

मध्य प्रदेश के इंदौर में 28 सितम्बर 1929  को जन्मी हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका  लता मंगेशकर   ने फिल्मी और गैर फिल्मी मिलाकर   हजारों  गीत  गाये हैं.इनकी आवाज़ के प्रशंसक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। लता जी की विशेषता है कि इन्होंने शास्त्रीय संगीत, गजल और पॉप संगीत हर क्षेत्र में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है और एक समान सफलता पाई है।
 
हिंदी सिनेमा  के अनेक लोकप्रिय  गीतों के लिए लता  जी को जाना जाता है. इन गीतों में   -तेरे सुर और मेरे गीत …. ,घर आया मेरा परदेसी … , यूं  हसरतों के दाग … ,ये जिन्दगी उसी की है … ,धीरे धीरे मचल  ऐ  दिले … ,ना कोई उमंग है … ,ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम … ,आज हम अपनी दुआओं  का असर … ,दिल अपना और प्रीत परायी … ,लाख छुपाओ छुप न सकेगा … ,ये हरियाली और ये रास्ता … , ढूंढो  ढूंढो  रे साजना ….  झिलमिल  सितारों  का आंगन होगा … ,मुझको इस रात  की तन्हाई में आवाज न दो … फूल तुम्हें  भेजा  है ख़त में … ,मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम … तू जहाँ -जहाँ चलेगा … आएगा ,आएगा … आने वाला   … ,मोहब्बत की झूठी कहानी पर … जाने क्यों लोग मोहब्बत किया … जोत से जोत जगाते … ,हवा में उड़ता जाये … हँसता हुआ नूरानी चेहरा … ,जिन्दगी भर नहीं भूलेंगे … मोहे भूल गए सांवरिया … ज्योति कलश  छलके … नगरी नगरी … गाता  जाये  बंजारा …. कहीं  दीप  जले कहीं दिल … ओ सजना बरखा बहार आई … लो आ गयी उनकी याद … मेरा दिल ये पुकारे … ,दिल तड़फ तड़फ के कह रहा … अजीब दास्ताँ है ये … हमने देखी  है इन आँखों की महकती खुशबू  … शामिल हैं .लता मंगेशकर  जी नई सदी में नई  ताजगी से आती हैं।  हल ही में उन्होंने एक पंजाबी एल्बम के लिए गाया  है। कुछ बरस पहले फिल्म पेज थ्री के लिए गाया गया  उनका एक सुमधुर गीत -"कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पर …. " यह सिद्ध करता है कि  बढ़ती आयु का उनके गायन पर कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ा।  भारतीय सिनेमा की एक सदी पूरी होने पर भी उनका मन उल्लास से भर उठता है और वे  गीत गाने के  अनुरोध ठुकरा नहीं पातीं . एक तरफ हम देखते हैं कि  अभिनय से जुड़ी  वे अनेक नायिकाएं जिनके लिए ताई ने गाया ,अब जिन्दगी को अपने घर की चार दीवारी  में समेट  चुकी  हैं ,लेकिन लता जी कर्म में यकीन रखते हुए अपनी आराधना  में तल्लीन  हैं . आज भी मानो  वे गा  रही हों -अल्लाह तेरो नाम ,ईश्वर तेरो नाम … या फिर प्रभु तेरो नाम ,जो ध्याये ,फल पाये …. लता जी सर्वाधिक गीत गाने वाली गायिका और सबसे अधिक भाषाओ  में गाने का रिकॉर्ड बना चुकी हैं। यह कितनी सुखद और संतोष देने वाली बात है कि  उनका जज्बा कायम है. चार -पांच  दशक तक लगातार हिंदी सिनेमा के लिए पार्श्व गायन कर अलग पहचान बनाने वाली प्रसिद्द पार्श्व गायिका लता जी के   लिए गाना एक इबादत है . इसलिए वे जब गीत गाती  हैं तब मन से एकाग्र  और सिर्फ अपने गायन  पर ध्यान देती हैं।  अपने पिता दीना नाथ मंगेशकर  का दिया आशीर्वाद  उनके साथ रहता है।  लता जी ने  ने गायन के लिए शब्दों के सही  उच्चारण  के लिए अनेक भारतीय  भाषाओ  मे  खुद को जानकार और  पारंगत बनाया . उन्होंने बंगाली , पंजाबी ,उर्दू ,सिंधी ,गुजराती  और मराठी भाषाओं  की तालीम भी  हासिल की.बहुत कम लोग जानते हैं कि इंदौर में  एक  अनोखा म्यूजियम भी है लता जी के नाम पर.   इंदौर शहर से कुछ दूरी पर पिगडम्बर  ग्राम में लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय  को श्री सुमन चौरसिया जी ने आकर्षक शक्ल  देकर संजोया  है  -लता जी के गाये गीतों के सभी रिकार्ड्स से ,बहुत से रिकॉर्ड तो  दुर्लभ   श्रेणी के हैं।  यहाँ अनेक पुस्तकें भी संग्रहीत हैं।  चौरसिया परिवार की संगीत के प्रति आत्मीय अभिरुचि का प्रतीक है ये संग्रहालय। यहाँ फिल्म लेखक , गीतकार , संगीतकार ,कलाकार आदि अक्सर  आते रहते हैं। यह एक शोध केंद्र भी बन चुका  है।   लता ज के साथ ही आशा भोसले जी और हृदयनाथ  मंगेशकर भी इस संग्रहालय को बहुत पसंद करते हैं।  लता   जी खास अवसरों पर विशिष्ट  समारोहों के लिए  भी गाती  रही हैं . लेकिन अभी मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस  समारोह में उनके स्वर गूंजना  बाकी  हैं । दरअसल  यह मध्य प्रदेश वासियों  के लिए एक विशेष अवसर होगा जब वे  ऐसे कार्यक्रम में उन्हें मौजूद पाएंगे। लता जी   को  मध्य  प्रदेश के लोगों  की भावना का  सम्मान करते हुए अब एक बार सार्वजानिक गायन के लिए अपने मध्य प्रदेश की धरती पर आ जाना चाहिए। बहुत बरस हो गए, लता जी ने अपने जन्म प लता   जी   अपने गीत- गायन में शास्त्रीय शैली को अपनाने  के साथ - साथ  विशेष अंदाज में गाने वाली गायिका  मानी  जाती हैं और वे  अनेक  भाषाओ  में गाने का रिकॉर्ड बना चुकी हैं।  इस अवस्था में भी उनका जज्बा कायम है.लता   जी के   प्रति न सिर्फ करोड़ों  गीत -संगीत  प्रेमियों बल्कि आम लोगों  के मन में एक समर्पित गायिका ही नहीं आत्मनिर्भर , स्वाभिमानी भारतीय स्त्री की छवि के साथ विशेष  आदर भाव है. लता जी की बहन आशा जी को सुनने आए  नागरिक तब बहुत खुश हो गए थे जब उन्होंने भोपाल के कुदरती सौंदर्य के साथ ही इंदौर की तारीफ के पुल  बांधे और वहाँ  के  सराफा बाजार के व्यंजनों की  खास तौर  पर तारीफ की। चूँकि
लता जी का जन्म इंदौर का है ,इसलिए लता जी का मध्य प्रदेश में काफी आदर किया जाता है लेकिन   लता जी के साथ  ही उनकी छोटी बहन के नाते आशा जी को भी  मध्य प्रदेश के  नागरिक  अति  सम्मानीय मानते  हैं  . मध्य प्रदेश  के बाशिंदे  लता जी और आशा जी  सहित उनकी और बहनों  उषा जी , मीना  जी और भाई हृदयनाथ मंगेशकर   के लिए सेहतमंद बने रहने और सवा सौ साल जीने की कामना  करते हैं.  उन्हें चाहने वालों की इच्छा है      लता  जी  एक बार आएं  और अपने   प्रदेश  में गायें. यह आशा जी  और  लता जी के लिए और मध्य प्रदेश  के लिए बहुत अच्छा होगा और स्मरणीय रहेगा  यदि दोनों बहनें  मध्य प्रदेश के और  नजदीक आ जाएँ। ऐसा लगता है शायद वे बच्चों  की तरह किसी छोटी सी बात पर अपने ही घर के सदस्यों से रूठ  गई  हैं।  यह कितना सुखद होगा कि    लता ताई मध्य प्रदेश आयें और यहाँ गायें। मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के भव्य समारोह में 2012  में आशा भोसले जी आ सकती हैं  तब  लता जी भी अपने जन्म प्रदेश में पधारें यह लाखों -लाख लोगों  की ख्वाहिश है। इस दिशा में अब सामाजिक स्तर  पर ठोस पहल होना चाहिए। कोई असंभव नहीं कि  लता जी और  आशा जी के साथ एक मंच पर  ,मध्य प्रदेश आकर गायें। बस हमारा आत्मीय आग्रह हो और उन्हें ससम्मान आमंत्रित किया जाये ,इसकी जरुरत है। आशा जी  और  लता ताई ,भारत या एशिया की धरोहर  नहीं  बल्कि  विश्व स्तरीय  शख्सियत हैं। ये शब्द गीतकार हसरत जयपुरी के हैं  लेकिन  मानो  मध्य प्रदेश के लोग किसी बात पर  अपनों से ही रूठी  लता जी के लिए कह रहे हों - अजी  रूठकर अब कहाँ  जाईएगा , जहाँ जाईयेगा ,हमें  पाईयेगा..... लता जी  मध्य प्रदेश की इस धरती पर जरूर जल्द आएँगी और गाएंगी ,ये उनके चाहने वालों  का यकीन है। दिल कहता है --अजी रूठकर अब कहा जाईयेगा, जहा जाईयेगा, हमें पाईयेगा
निगाहों से छूपकर दिखाओ तो जाने
ख़यालों में भी तुम ना आओ तो जाने
अजी लाख परदों में छूप जाईयेगा
नज़र आईयेगा, नज़र आईयेगा

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