Publish Date:26-Sep-2016 11:20:40
नयी दिल्ली : उड़ी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव के मद्देनजर सिंधु जल समझौते पर आज अहम बैठक होने वाली है जिसमें सीनियर अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिंधु जल समझौते के प्रावधानों के बारे में जानकारी देंगे. पीएम मोदी को समझौते के फायदे और नुकसान के संबंध में बताया जाएगा. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार समझौते पर कड़ा रुख अपना सकती है. मसलन सरकार की तरफ से बिना 'समझौता' शब्द को तोड़े सिंधु के संसाधनों पर दावेदारी वाले ऑप्शंस पर विचार किया जा सकता है.
जानकारों की माने तो 'समझौता' तोड़ना भारत के लिए आसान काम नहीं हैं. भारत ने पाकिस्तान के अलावा चीन से भी एक समझौता किया है. इस प्रस्ताव के मुताबिक, चीन ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी तट राज्य और भारत निचला नदी तट राज्य है. इसका सीधा अर्थ है कि ब्रह्मपुत्र नदी के उपरी तल पर स्थित चीन यदि पानी रोक देता है तो निचली तल पर स्थित भारत के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
आपको बता दें कि हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि चीन पाकिस्तान की जबरदस्त पैरोकारी कर रहा है. अपने संबंध को गहरा करने के लिए चीन ऊपरी तट नदी राज्य में स्थित चीन हाइड्रोलॉजिकल सूचनाएं रोकने के अलावा निचले तट नदी राज्य में नदी के बहाव में अवरोध खड़ा कर सकता है. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर चीन पहले भी ज्यादा भरोसेमंद नहीं रहा है और हाइड्रोप्रोजक्ट्स की जानकारी देने से इनकार कर चुका है.
जानकारों के अनुसार यदि भारत 'सिंधु जल समझौता' के तहत निचला नदी तट राज्य पाकिस्तान से समझौता तोड़ता है तो उसे चीन के साथ समझौते में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
जानिए, पाक को क्यों मिल रही है चीनी मदद
1. पाक और चीन के संबंधों की शुरुआत 1950 में हुई. बीतते वक्त के साथ यह प्रगाढ़ होता गया और दोनों ही देशों ने इसका बड़ा आधार अपने ‘कॉमन शत्रु’ भारत के खिलाफ मजबूती से उभरना तय किया.
2. चीन जहां कश्मीर मसले पर पाकिस्तान का समर्थन करता है, वहीं पाकिस्तान तिब्बत, ताइवान और शिनजियांग मामले पर चीन का समर्थन करता है.
3. इस समय चीन के लिए पाकिस्तान भारत को उभरने से रोकनेवाला एक सस्ता द्वितीयक फैक्टर है, जबकि पाकिस्तान के लिए चीन भारत के विरुद्ध सुरक्षा मुहैया करानेवाला एक बड़ा गारंटर है.
4. भारत और पाक के बीच तनाव को चीन इसलिए भी बढ़ावा देता रहा है, क्योंकि वह चाहता है कि भारत दक्षिण एशिया में ही उलझा रहे और अंतरराष्ट्रीय फलक पर उसके लिए चुनौती बन कर नहीं उभर सके.
ताकि पाक पर ही रहे भारतीय सेना फोकस
वॉशिंगटन आधारित एक फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को मदद करने की चीन की रणनीति का बड़ा कारण यह है कि इसके जरिये वह भारतीय सैन्य बलों का फोकस इस क्षेत्र में चीन के बजाय पाकिस्तान की ओर बनाये रखना चाहता है.
पाक के लिए बड़ा आर्म्स सप्लायर है चीन
पाकिस्तान के लिए चीन एक बड़ा आर्म्स सप्लायर है. तकनीक हासिल करने के लिए भी वह चीन पर ही निर्भर है. वर्ष 1992 में चीन ने आधिकारिक तौर पर 36 एम9 बैलिस्टिक मिसाइल ट्रांसफर किये. इसके बाद से दोनों देशों के संबंध मजबूती की ओर बढ़ते गये. फिर चीन ने पाकिस्तान को जेएफ-17, एफ-7 एयरक्राफ्ट समेत विविध किस्म के अन्य छोटे हथियार मुहैया कराये हैं.
ऑर्म्ड फोर्सेज एयरक्राफ्ट चीन का योगदान
पाक के करीब 70 फीसदी ऑर्म्ड फोर्सेज एयरक्राफ्ट और मुख्य युद्धक टैंक चीन से लिये गये हैं. चीन ने उसे 400 से ज्यादा मिलिटरी एयरक्राफ्ट, 1,600 मुख्य युद्धक टैंक और 40 से ज्यादा नेवी शिप दिये हैं.
चीन की मदद से विकसित किये हथियार
चीन ने न केवल पाकिस्तानी सेना को आधुनिक बनाया है, बल्कि पाकिस्तान में संयुक्त रूप से अनेक हथियार भी विकसित किये हैं. जे-10 और जेएफ- 17 रूसी एयरक्राफ्ट एसयू-27 और मिग-29 के हालिया चीनी संस्करण हैं. जेएफ- 17 थंडर एयरक्राफ्ट को पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स, कामरा में चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से विकसित किया था.