24-Apr-2024

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शोध के सामने, अच्छी दोस्ती स्मृति को तेजी से लाती है, कभी अल्जाइमर नहीं मिलती है

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दोस्त हर किसी के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इनके होने से जीवन की तमाम परेशानियों से जूझने में थोड़ी आसानी हो जाती है। एक दूसरे की मदद के अलावा अकेलेपन को खत्म करने में भी दोस्तों का बड़ा योगदान होता है। हममें से हर किसी के पास अपने दोस्तों की एक मंडली होती है जिनके बीच रहकर हम सबसे ज्यादा खुश रहते हैं। दोस्त सिर्फ अकेलापन ही दूर नहीं करते हैं बल्कि उनकी संगत आपका दिमाग भी तेज करती है। हाल ही में एक शोध में इस बात का दावा किया गया है कि मजबूत और पॉजिटिव दोस्ती की वजह से न सिर्फ आपकी मेमोरी तेज होती है बल्कि आपकी दिमागी क्षमता भी काफी दुरुस्त रहती है।

प्लोस वन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि 80 साल और उससे अधिक की उम्र होने के बावजूद जिन लोगों की दिमागी क्षमता 50-60 साल के उम्र की दिमागी क्षमता के बराबर थी ऐसे लोगों में से अधिकांश लोग एक मजबूत और पॉजिटिव रिलेशनशिप में थे। इन लोगों की संज्ञानात्मक क्षमता अपनी उम्र के उन लोगों से काफी बेहतर थी जो लोग एक एवरेज रिलेशनशिप में थे। शोध से जुड़े एक शोधकर्ता बताते हैं कि जीवन में आपको पार्टी लाइफ की बहुत अहमियत नहीं लेकिन अगर आप अपने सोशल नेटवर्क को मजबूत बनाए रखते हैं तो इससे आपके दिमागी क्षमता के क्षरण में काफी कमी आती है।

शोध में शामिल उत्तरदाताओं ने एक प्रश्नावली में लिखे प्रश्नों का जवाब दिया था। इस प्रश्नावली को रिफ साइकोलॉजिकल वेल-बीइंग स्केल कहा जाता है। यह मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला स्केल होता है। यह स्केल मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के छः पहलुओं का परीक्षण करता है जिसमें स्वायत्तता (autonomy), सकारात्मक रिश्ते (positive relations with others), पर्यावरणीय श्रेष्ठता (environmental mastery), व्यक्तिगत विकास (personal growth), जीवन के उद्देश्य (purpose in life) तथा आत्म-स्वीकार्यता (self-acceptance) शामिल हैं। शोधकारों का कहना है कि इस अध्ययन से इस बात को समझने में मदद मिलेगी कि वे कौन से कारक हैं जो अधिक उम्र में भी दिमागी क्षमता को संरक्षित रखने का काम करते हैं। प्रमुख शोधकर्ता रोगल्स्की का कहना है कि यह कहने में भले सामान्य लगे कि आपके मजबूत सामाजिक संबंधों की वजह से आपको कभी अल्जाइमर नहीं हो सकता लेकिन अगर आप कुछ निश्चित डाइट फॉलो करें, स्मोकिंग न करें और सोशल नेटवर्क को मजबूत रखें तो यह भी संभव है।


साभार- जनसत्‍ता

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