Publish Date:05-Dec-2016 19:13:44
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद नंदकुमारसिंह चौहान ने कहा कि हार्ट आफ एशिया मंच का संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री अशरफ घानी ने उदघाटन किया। नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को मानवता का शत्रु निरूपित करते हुए आतंकवाद के विरूद्ध संयुक्त अभियान की आवश्यकता रेखांकित की, लेकिन भारत मंच की मेजबानी कर रहा था। पाकिस्तान का नाम लिए बगैर ही पाक प्रायोजित आतंकवाद, आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों और आतंकवादियों की सरपस्ती करने वाले मुल्क के रूप में पड़ोसी देश को आईना दिखा दिया।
उन्होंने कहा कि मंच की बैठक के पूर्व भारत और अफगानिस्तान के प्रधानमंत्रियों की बैठक में श्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को बता दिया किस प्रकार पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत और अफगानिस्तान में आतंकवाद का कहर बरपाने में लगा है जिससे आतंकवाद दुनिया के लिए अभिशाप बन चुका है। इससे निपटने के लिए दुनिया को आतंकवाद के विरूद्ध एकजुटता के साथ संघर्ष को आतंकवाद के विरूद्ध एकजुटता के साथ संघर्ष में उतरना होगा। उन मुल्कों को बेनकाब किया जाए जो आतंकवाद प्रोत्साहन के लिए संसाधन पैसा देकर उनका हौसला बढ़ाने में लगे है।
चौहान ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने मंच की बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा कि पड़ोसी देश दोहरे मापदंड अपना रहा है जिसकी उसे कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि अमृतसर में हार्ट आफ एशिया मंच की बैठक में दुनिया के 40 मुल्कों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और देखा कि मंच की बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत पाक प्रायोजित आतंकवाद के निशाने पर है। नगरोटा में आतंकी घटना ने भारत और सुरक्षा बलों के स्वाभिमान को ललकारा है।
उन्होंने कहा कि बैठक में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और नवाज शरीफ के प्रतिनिधि सरताज अजीज के बीच औपचारिक मुलाकात तो हुई लेकिन द्विपक्षीय चर्चा नहीं हुई, क्योंकि भारत का दो टूक कहना है कि आतंकवाद और वार्ता साथ साथ नहीं चल सकती। भारत ने पाकिस्तान को आगाह किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों पर लगाम नहीं लगाता और सीमा पर शांति स्थापित नहीं होती। परस्पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं है। मंच की बैठक में पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता पर सभी क्षेत्रों में निंदा की गयी। इसके लिए उत्तरदाई पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान और आईएसआई की चर्चा के केन्द्र बनें, क्योंकि पाकिस्तान में लोकतंत्र सिर्फ मुखौटा है। सेना और आईएसआई ने आतंकवाद को विदेश नीति का एक माध्यम बना लिया है।