Publish Date:19-Mar-2020 14:28:54
राजकाज न्यूज, भोपाल एवं नई दिल्ली
मध्यप्रदेश के सियासी संकट के बीच गुरूवार को सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर टिकी हुइ्र है। लंच के पहले हुई सुनवाई में मध्य प्रदेश के स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधायकों का इस्तीफा पर फैसला करना स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में है। बीजेपी की याचिका उनके अधिकार में दखल है। सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम केवल एक ऐसी स्थिति बना सकते हैं जहां साँठ-गाँठ की कोशिश वास्तव में स्वैच्छिक है। स्पीकर की ओर से सिंघवी ने कहा- इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों को नई सरकार से लाभ मिलेगा। अध्यक्ष के वकील सिंघवी ने कहा कि सुप्री म कोर्ट भी अध्यक्ष के अधिकार को निरस्त नहीं कर सकता। बताया गया है कि इस दौरान कोर्ट ने संवैधानिक कर्तव्यों का हवाला देकर कहा कि वह फ्लोर टेस्ट में दखल नहीं देगा, क्योंकि उसका काम यह तय करना नहीं है कि सदन में किसके पास बहुमत है या नहीं। यह काम विधायिका का है। सुनवाई अभी जारी है। अभी मुख्यमंत्री की ओर से कपिल सिब्बल उनका पक्ष रख रहे है। माना जा रहा है कि सुनवाई का यह सिलसिला शाम तक चलेगा और कल यानि शुक्रवार को अदालत अपना निर्णय सुना सकती है।
मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष की ओर से न्यायालय से कहा गया है कि राज्यपाल के पास केवल तीन शक्तियां हैं। सदन कब बुलाना है, कब स्थगित करना है और भंग करना।
विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अदालत बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए उन्हें दो सप्ताह जितना पर्याप्त समय दे। सिंघवी ने कहा कि स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश की जा रही है। बार-बार फ्लोर टेस्ट की बात की जा रहा है। दलबदल कानून से बचने के लिए नया तरीका अपनाया गया है, 16 विधायकों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी। बाद में सरकार बनने पर ये 16 विधायक इसका फायदा उठाएंगे। वकील ने कहा कि विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने के लिए स्पीकर को 2 हफ्ते का समय दिया जाए। जिस्टस चंद्रचूड़ ने इस पर कहा कि हम विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराना चाहते हैं।
इस पर उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्पीकर की विधायकों से बात करने का सुझाव भी दिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यवेक्षक बैठाने की भी बात कही। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा विधायकों के इस्तीफे को लेकर समय देने की बात पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट को जल्दी कराना जरूरी है। जज ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर सकती है। वकील सिंघवी ने यह भी कहा कि विधायक बंधक है, दिग्विजय सिंह मिलने गए थे, लेकिन नहीं मिल सके।
चौहान की ओर से कहा गया कि नियुक्तियों के लिए मांगा जा रहा समय
सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार करने स्पीकर के वकील ने 2 हफ्ते का समय मांगा है। इस पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बहाना बनाकर और कुछ और नियुक्तियां करने के लिए समय मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम आराम से हैं, विधायक आराम से हैं और आने वाले समय को देखते हुए जनता भी आराम से है। शिवराज ने दावा किया कि सत्य की विजय होगी और न्याय की जीत होगी। उन्होंने कहा कि क्या विधायकों की खरीद-फरोख्त कराना चाहते हैं, कांग्रेस के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सभी बागी विधायकों को न्यायाधीशों के चैंबर में पेश करने का प्रस्ताव रखा जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया। विपक्षी भाजपा ने 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार का तत्काल शक्ति परीक्षण कराने की मांग की है।
इससे पहले अदालत ने बुधवार को यह स्वीकार किया कि कमलनाथ सरकार की किस्मत 16 बागी विधायकों के हाथों में है। अदालत ने कहा कि वह विधानसभा द्वारा यह तय करने के बीच में दखल नहीं देगी कि किसके पास विश्वासमत है। अदालत ने कहा कि उसे यह सुनिश्चित करना है कि बागी विधायक स्वतंत्र रूप से अपने अधिकार का इस्तेमाल करें।
राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार की रात मुख्यमंत्री को संदेश भेजा था कि विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद सदन में विश्वास मत हासिल किया जाये क्योंकि उनकी सरकार अब अल्पमत में है। अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किये जाने के बाद 222 सदस्यीय विधान सभा में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों की संख्या घटकर 108 रह गयी है। इनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं, जिनके इस्तीफे अभी स्वीकार नहीं किये गये हैं। राज्य विधानसभा में इस समय भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों की संख्या 107 है।