Publish Date:17-May-2018 10:27:12
राज्यपाल को दी गयी चिट्ठी नहीं तो आपकी दलील कैसे सुने
राजकाज न्यूज, नई दिल्ली
कर्नाटक में बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देने के राज्यपाल के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अर्ज़ी को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। तीन घंटे से ज़्यादा समय तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि येदियुरप्पा पहले से तय समय पर ही शपथ लेंगे। येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर तत्काल रोक लगाने की कांग्रेस-जेडीएस की अर्ज़ी ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्यपाल के फ़ैसले पर न्यायिक समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें रोकने के आदेश कैसे जारी करें। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को आदेश जारी नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पास वो चिट्ठी तक नहीं है, जो राज्यपाल ने बीजेपी को लिखी है। ऐसे में हम शपथग्रहण को नहीं रोक सकते। हम पहले वो चिट्ठी देखना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार सुबह सुबह 10:30 बजे फिर इस मामले पर सुनवाई करेगा।
रात्रि में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा की राजी होने को कांग्रेस ने लोकतंत्र की जीत बताया। जबकि बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में रात्रि में सुनवाई ही नहीं होना चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने रोहतगी से पूछा कि जब कांग्रेस एवं जेडीएस की ओर से 117 का दावा किया जा रहा है तो बीजेपी 113 का दावा किस आधार पर कह रही हैं। कोर्ट ने अर्टानी जनरल से यह पूछा कि 15 दिनों का वक्त क्यों दिया गया। क्या हार्स ट्रेडिंग कराना चाहती है। अटार्नी जनरल की ओर से कहा गया कि बहुमत साबित तो विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण हो जाता तो आसमान नहीं टूट जाता। सुप्रीम कोर्ट को आधी रात को कांग्रेस की दलीलें सुनने की जरूरत नहीं थी। रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट चाहे तो बीजेपी फ्लोर टेस्ट के लिए समय घटाकर 7 से 10 दिन कर सकती हैं। हम तैयार है। रोहतगी की ओर से कहा गया कि यह याचिका तुरंत खारिज किया जाना चाहिए। क्योंकि राज्यपाल के फैसले पर रोक की मांग नहीं की जा सकती। राज्यपाल का कार्य शपथ दिलाना है।
जजेस ने अभिषेक मनु सिंघवी से राज्यपाल को दी गयी समर्थन वाली चिट्ठी मांगी तो उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी वह चिट्ठी नहीं है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि जब आपके पास वह चिट्ठी नहीं है तो हम फैसला कैसे लें, आपकी दलील कैसे और क्यों सुने। अदालत में सरकारिया अायोग का हवाला दिया गया। जिसमें सबसे बड़ी पार्टी को मौका दिये जाने की बात कही गयी है। कांग्रेस एवं जेडीएस का गठबंधन चुनाव बाद का है। कांग्रेस की ओर से 15 दिन का समय दिये जाने पर भी सख्त आपत्ति की गयी है। सिंघवी ने इतना समय दिये जाने को असंवैधानिक बताया। वहीं उन्होंने बहुमत साबित करने के लिए 48 घंटे का समय दिया जाए। उन्होंने कहा कि बहुमत के दावे के लिए अधिकतम विधायकों वाले समूह को मौका दिया जाए। सिंघवी ने कहा कि शपथ ग्रहण की इतनी जल्दी क्यों। उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण को रोका जावें।
कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा, वहीं दूसरी ओर बीजेपी की ओर से मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा। सिंघवी की ओर से कहा गया कि कांग्रेस और जेडीएस ने 117 विधायकों के गठबंधन को मौका मिलना चाहिए था, जबकि राज्यपाल ने 104 सदस्यों वाली बीजेपी को सरकार बनाने का मौका दिया। सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल को 117 विधायकों की सूची भी सौंपी। अदालत के सामने सिंघवी ने यह पूछा है कि बीजेपी यह बताये कि वह बहुमत कैसे साबित करेगी। उधर मुकुल रोहतगी ओर से कहा गया कि अनुच्छेद 361 के अनुसार राज्यपाल के आदेश को चुनौति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने जो किया वह सही किया। राज्य सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद रहे। सिंघवी ने मेघालय, गोवा, झारखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी चुनाव बाद गठबंधन किया गया था। वहां भी राज्यपालों ने उन्हें मौका दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट को राज्यपाल के फैसले को रिव्यू कर सकती है।
गौरतलब है कि कर्नाटक मामले में सीजेआई दीपक मिश्रा अपनी बेंच के साथ सुनवाई की। बुधवार देर रात कांग्रेस के नेता सीजेआई के पास पुहंचे थे। कर्नाटक मामले में कांग्रेस ने की सीजेआई से रात में ही मामले की सुनवाई करने की मांग करते हुए नियमों के अनुसार कम से कम दो जजों की पीठ से सुनवाई की बात कही थी।
इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल ने संविधान के खिलाफ काम किया। इतना नहीं राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। कांग्रेस ने कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता देने को असंवैधानिक बताया है। कांग्रेस ने कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा येदियुरप्पा को 15 दिन का समय दिये जाने पर भी सख्त आपत्ति की है।
उधर, युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने रात्रि एक बजे से कर्नाटक मामले में विरोध प्रदर्शन किया। ये कार्यकर्ता नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने पुतलों का दहन भी किया।