Publish Date:22-May-2018 13:13:13
पेट्रोल और डीजल की आसमान छू रही कीमतों से हाहाकार मचा हुआ है. इससे सबसे अधिक परेशानी आम लोगों को हो रही है. आवाजाही महंगी होने से जरूरत की अधिकांश चीजें दायरे से बाहर होती जा रही हैं. यही कारण है कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. जीएसटी के दायरे में आने से दोनों की कीमतों में बड़ी गिरावट आने की उम्मीद है, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जाने वाले अलग-अलग टैक्स की जगह जीएसटी की एक रेट इन पर लागू होगी.
माना जा रहा है कि आने वाले एक जुलाई को जीएसटी के एक साल पूरे होने से पहले सरकार इस संबंध में ठोस फैसला ले सकती है. ऐसे में सभी लोगों के जेहन यह सवाल घुमड़ रहा है कि अगर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वास्तविक अर्थों में कितनी कमी आएगी.
आपको यह जानकार हैरानी होगी कि पेट्रोल पर आप लगभग 55.5% और डीजल पर लगभग 47.3% टैक्स चुकाते हैं. पेट्रोल और डीजल पर वसूले जाने वाले प्रमुख टैक्स में केंद्र सरकार की सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों का वैट शामिल है.
एक्सपर्ट्स की मानें तो पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर अगर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है तो दिल्ली में पेट्रोल की कीमत कम होकर 45.75 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी. हालांकि इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों को काफी साहसपूर्ण कदम उठाना होगा, जो संभव होता नहीं दिख रहा है.
इसीलिए अधिकांश एक्सपर्ट्स का मानना है कि पेट्रोल-डीजल आदि पर 28 फीसदी जीएसटी लगाया जा सकता है. इस स्थिति में भी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 55 रुपए प्रति लीटर के आसपास रह सकती है. लेकिन एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि 28 फीसदी जीएसटी के अलावा राज्यों को कुछ सेस लगाने का अधिकार भी दिया जा सकता है, ताकि वे अपने घाटे की कुछ भरपाई कर सकें. बाकी जीएसटी नियमों के तहत 5 सालों तक केंद्र उनके रेवेन्यू में आने वाली कमी की भरपाई तो करेगी ही.
इस तरह पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाने पर असली दबाव केंद्र पर होगा. हालांकि 28 फीसदी जीएसटी के बाद सेस लगाने की स्थिति में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 6 से 8 रुपए की कमी आने की पूरी संभावना दिखती है. कुछ लोग इन्हें 40 फीसदी सिन टैक्स वाले दायरे में रखने की भी वकालत कर रहे हैं ताकि केंद्र और राज्यों को अधिक नुकसान नहीं हो, लेकिन पेट्रोल और डीजल जैसी चीजें लग्जरी आयटम्स नहीं हैं. इस आधार पर इस दलील का विरोध हो रहा है.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर लागू टैक्स में एक रुपए की कमी करने पर सरकार के टैक्स कलेक्शन में लगभग 13,000 करोड़ रुपए की सालाना कमी आएगी. एक अनुमान के मुताबिक अगर इन्हें जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो सरकार के टैक्स कलेक्शन में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की कमी आ सकती है.
गौरतलब है कि ईंधन पर लगाए गए टैक्स से केंद्र और राज्य सरकारों को 2016-17 में 4.63 लाख करोड़ रुपए मिले थे. ऐसे में केंद्र के साथ राज्यों की खराब माली हालत को देखते हुए आगे का सफर कैसा होगा, इसके बारे में फिलहाल अनुमान ही लगाया जा सकता है.
साभार- आईबीएन खबर