Publish Date:15-Nov-2018 19:38:24
केरल के बहुचर्चित सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं की एंट्री को लेकर मचा तनाव बढ़ता ही जा रहा है. इस मुद्दे पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को सभी दलों की बैठक बुलाई. कांग्रेस-बीजेपी ने इस सर्वदलीय बैठक से किनारा (वॉकआउट) किया. इसके साथ ही दोनों पार्टियों ने पिनाराई सरकार को नसीहत दी कि सबरीमाला पर फैसला लागू करने के लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट से कुछ और मोहलत लेनी चाहिए.
इस बीच महिलाओं की एंट्री के लिए केरल सरकार कुछ नियम बनाने को लेकर विचार कर रही है. इनमें से एक विकल्प यह भी है कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए दिन ही तय कर दिए जाएं. मीटिंग के बाद सीएम पिनाराई विजयन ने कहा, 'हमें देखना होगा कि क्या सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए महिलाओं के लिए कुछ दिन तय किए जा सकते हैं. इस पर विचार किए जाने की जरूरत है.' बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 28 सितंबर के आदेश में साफ कहा है कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिया जाए.
सर्वदलीय बैठक से कांग्रेस और बीजेपी के दूर रहने के बाद पिनाराई सरकार के पास सीमित विकल्प ही बचे हैं. कांग्रेस और बीजेपी इस मसले पर मंदिर की परंपरा के पालन का तर्क दे रही है. दूसरी तरफ लेफ्ट सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन कराने का दबाव बना हुआ है.
बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 48 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन सभी पर शीर्ष अदालत ने 22 जनवरी को एक साथ सुनवाई करने की बात कही है. सोमवार को केरल सरकार की तरफ से कहा गया है कि सबरीमाला मंदिर धर्म निरपेक्ष है और मंदिर के द्वार सभी लोगों के लिए खुले हैं.
सरकार की तरफ से दायर किए गए शपथपत्र में कहा गया है, 'यह ऐतिहासिक सत्य है कि सबरीमाला मंदिर धर्मनिरपेक्ष है. मंदिर में किसी भी श्रद्धालु का धर्म या जाति के आधार पर प्रवेश प्रतिबंधित नहीं है.' शपथपत्र में लिखा है, 'यह सच है कि सन्नीधनम में वावर नादा सबरीमाला के साथ सह-अस्तित्व में थे. अति प्राचीन काल से मुसलमान वावर नादा और सबरीमाला मंदिर दोनों जगह प्रार्थना करने आते थे.'
साभार- न्यूज 18